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Kavita Path

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By aks

Poems from well known Hindi poets recited for your listening pleasure.
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Jo Tum Aa Jaate Ek Baar - Mahadevi Verma

Kavita PathOct 18, 2021

00:00
02:03
Ayodhaya Dharm Aur Sanskriti Ki Gatha - Aks

Ayodhaya Dharm Aur Sanskriti Ki Gatha - Aks

Listen in to a recitation of the poem "Ayodhaya Dharm Aur Sanskriti Ki Gatha" written by Aks.


Lyrics in Hindi:


सुना नहीं शायद तुमने फैसला न्यायालय का,
राम लला हैं विराजमान, देव भूमि है जन्मस्थान।

अयोध्या की इस पावन धरा पर,
इतिहास के पन्नों में मिलता संस्कृति का सार।

जहां राम की पदचाप से, मिटते सभी अंधकार,
वहीं उजाला फैला हर घर, हर द्वार।

न्याय की इस जीत ने जोड़ा हर दिल,
अयोध्या अब बन गयी है आस्था का गिल।


धरा पर जहाँ धर्म और आदर्श की ज्योत जली,
वहां राम की महिमा से बदली हर गली।

सदियों से जो गूँज रहा था हर हृदय में,
अब लय मिली, अनुराग मिला, इस अद्भुत छवि में।

राम के चरणों में जहाँ बसती है संस्कृति,
उस अयोध्या में है हर रंग, हर ऋतु की सुगंधित वृत्ति।

समय की धारा में भी, यहाँ अटल है आस्था,
जहां एकता और प्रेम का, बहता निर्मल वास्ता।


अयोध्या की इस धरा पर, जहाँ हर दिन है दिवाली,
राम राज्य की इस भूमि पर, जहाँ प्रेम है अति विशाली।

इस पावन भूमि की महिमा, अनंत काल तक गूँजे,
जहां हर भाव, हर कर्म, राम के नाम को दूँजे।

वहां प्रकृति भी गाती है, रामायण के गीत सुनहरे,
अयोध्या की इस पावन भूमि पर, जहाँ सदा सत्य के दीप जले।

अयोध्या, जहां धर्म और इतिहास का, मिलता है संगम,
जहां हर रंग है राम का, जहां हर ध्वनि में है राम का दम।


यह अयोध्या की गाथा, जो हृदय में बस जाती है,

जीवन के हर पथ पर, जो सत्य और धर्म की राह दिखाती है।

इस गाथा में समाया सभी का प्यार, यहाँ की मिट्टी में है संस्कार,

सद्भावना और प्रेम का संचार, यही अयोध्या का है आधार।

Dec 27, 202303:46
Kab Tak Geet Sunau Radha - Kumar Vishwas

Kab Tak Geet Sunau Radha - Kumar Vishwas

Listen in to a recitation of the poem "Kab Tak Geet Sunau Radha" written by Kumar Vishwas.

Lyrics in Hindi:

कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं मथुरा छूटी, छूटी द्वारिका, इंद्रप्रस्थ ठुकराऊं बंसी छूटी, गोकुल छूटा, कब तक चक्र उठाऊं पिछले जन्म जानकी तुझ बिन जैसे तैसे बीता महासमर में रीता रीता, कब तक गाउ गीता और अभी कितने जन्मों तक तुझे दूर बिताऊं.... कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

बचपन से प्रभुता का बोजा ढोते कटी जवानी हरपल षडयंत्रो में उलझी सांसे आनी जानी युगकी आंखे अमृत पीती रही मुझे तक तक कर अधर मधुर देखे सबने पर पीड़ा न पहचानी इस पीडाको यार सुदामा कबतक महल दिखाऊ' कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

दो माँ ओने लाड लड़ाया, दो चहेरोने चाहा फिरभी भरी द्वरिकामे में खुदको लगा पराया मेरा क्या अपराध के मेरा गाँव गली घर छूटा आँचलसे बिछडेको जग ने पीताम्बर पहनाया चाहे जाते जाते भी बंसी मधुर बजाऊ, कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

जग भरके अपराध सदा हीं, अपने शीश उठाये रस का माखन समने चाखा, चोर हमी कहलाये युगके दुर्योधनके जब जब अहंकार को कुचला दुनिया जीती, गांधारी के शाप हमीने खाये मुझको गले लगाओ या में ही गले लगाऊ, कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं

In this poem, god Krishna is talking to his beloved Radha. He is lamenting the fact that he has to be away from her for so long, and he is asking her how long he has to keep singing songs to her before she will come back to him.

Nov 06, 202303:09
Kuch Chote Sapno Ke Badle - Kumar Vishwas

Kuch Chote Sapno Ke Badle - Kumar Vishwas

Listen in to a recitation of a "Kuch Chote Sapno Ke Badle" written by Kumar Vishwas.

Lyrics in Hindi:

कुछ छोटे सपनो के बदले,
बड़ी नींद का सौदा करने,
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
वही प्यास के अनगढ़ मोती,
वही धूप की सुर्ख कहानी,
वही आंख में घुटकर मरती,
आंसू की खुद्दार जवानी,
हर मोहरे की मूक विवशता,चौसर के खाने क्या जाने
हार जीत तय करती है वे, आज कौन से घर ठहरेंगे
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
कुछ पलकों में बंद चांदनी,
कुछ होठों में कैद तराने,
मंजिल के गुमनाम भरोसे,
सपनो के लाचार बहाने,
जिनकी जिद के आगे सूरज, मोरपंख से छाया मांगे,
उन के भी दुर्दम्य इरादे, वीणा के स्वर पर ठहरेंगे
निकल पडे हैं पांव अभागे,जाने कौन डगर ठहरेंगे

Nov 04, 202302:25
Woh Aane Wali Hai Ya Aane Wala Hai

Woh Aane Wali Hai Ya Aane Wala Hai

Listen in to a recitation of a poem written for the occasion of baby shower “Woh Aane Wali Hai Ya Aane Wala Hai” by an unknown poet.

Lyrics in Hindi:

वो आने वाली है, या आने वाला है।

ये जल्दी ही पता चल जाने वाला है।

कोई छोटे छोटे हाथों से,

हमारा संसार सजाने वाला है।

बचपन जीने का एक मौका फिर से लाने वाला है।

उनगली पकड़ कर किसी नए रास्ते ले जाने वाला है।

बेटा तेरी हर ज़िद का मतलब पूछूंगा,

तू बाप बनेगा जिस दिन, तुझसे तब पूछूंगा।

दादाजी का ये कहना अब सच होने वाला है।

कोई नटखट, नानी का आराम चुराने वाला है।

और वो जिस ने अपना सब कुछ बंटा आधा आधा है।

प्यार जिस्का बाकी सबसे, नो महिने ज्यादा है।

कभी हसने कभी रुलाने, रात जगाने वाला है।

अभी तो बस शुरवात है, वो खूब नचाने वाला है।

प्यार उससे रोज रोज बार बार होगा,

अभी बहुत कुछ बाकी है जो पहली बार होगा।

उसे अपने पेरों पे चलते देखना,

उसका मा कहते खुद को पिघलते देखना।

धेर सारे नए नए एहसास करने वाला है,

कोई कमरे की छत पर अब तारे लगाने वाला है।

वो आने वाली है, या आने वाला है।

ये जल्दी ही पता चल जाने वाला है।

कोई छोटे छोटे हाथों से,

हमारा संसार सजाने वाला है।

Nov 22, 202202:53
Audience Message - Krishna Upadhyay [Bonus Episode]
Sep 10, 202202:32
 Yeh Kadamb Ka Ped - Subhadra Kumari Chauhan

Yeh Kadamb Ka Ped - Subhadra Kumari Chauhan

Listen in to a recitation of the famous poem “Yeh Kadamb Ka Ped” by Subhadra Kumari Chauhan.

Lyrics in Hindi:

यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥

ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली।
किसी तरह नीची हो जाती यह कदंब की डाली॥

तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता।
उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता॥

वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता।
अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाता॥

 सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती।
मुझे देखने काम छोड़ कर तुम बाहर तक आती॥

तुमको आता देख बांसुरी रख मैं चुप हो जाता।
पत्तों में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बजाता॥

गुस्सा होकर मुझे डांटती, कहती "नीचे आजा"।
पर जब मैं ना उतरता, हंसकर कहती "मुन्ना राजा"॥

"नीचे उतरो मेरे भैया तुम्हें मिठाई दूंगी।
नए खिलौने, माखन-मिसरी, दूध मलाई दूंगी"॥

बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता।
माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता॥

तुम आँचल फैला कर अम्मां वहीं पेड़ के नीचे।
ईश्वर से कुछ विनती करतीं बैठी आँखें मीचे॥

तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आता।
और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाता॥

तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती।
जब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातीं॥

इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे।
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे॥

May 12, 202203:26
Kuch Dost Bahut Yaad Aate Hain - Harivansh Rai Bachchan

Kuch Dost Bahut Yaad Aate Hain - Harivansh Rai Bachchan

Listen in to a recitation of the famous poem “Kuch Dost Bahut Yaad Aate Hain” by Harivansh Rai Bachchan.

Lyrics in Hindi:

मै यादों का किस्सा खोलूँ तो,

कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं

मै गुजरे पल को सोचूँ  तो,

कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं

अब जाने कौन सी नगरी में,

आबाद हैं जाकर मुद्दत से

मै देर रात तक जागूँ तो ,

कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं

कुछ बातें थीं फूलों जैसी,

कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,

मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,

कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

सबकी जिंदगी बदल गयी,

एक नए सिरे में ढल गयी,

किसी को नौकरी से फुरसत नही

किसी को दोस्तों की जरुरत नही

सारे यार गुम हो गये हैं...

"तू" से "तुम" और "आप" हो गये है

मै गुजरे पल को सोचूँ

तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं

धीरे धीरे उम्र कट जाती है...

जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,

कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है

और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है

किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते,

फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते

जी लो इन पलों को हस के दोस्त,

फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते

Jan 29, 202202:53
Ye Nav Varsh Hame Swikar Nahi - Ramdhari Singh Dinkar

Ye Nav Varsh Hame Swikar Nahi - Ramdhari Singh Dinkar

Listen in to a recitation of the famous poem “Ye Nav Varsh Hame Swikar Nahi” by Ramdhari Singh Dinkar.

Lyrics in Hindi:

ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं
हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो
नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं


Jan 02, 202203:27
Kagazon Mein Hai Salamat Ab Bhi Naksha Gaon Ka - Devmani Pandey

Kagazon Mein Hai Salamat Ab Bhi Naksha Gaon Ka - Devmani Pandey

Listen in to a recitation of "Kagazon Mein Hai Salamat Ab Bhi Naksha Gaon Ka" written by Devmani Pandey.

Lyrics in Hindi:

काग़ज़ों में है सलामत अब भी नक़्शा गाँव का।
पर नज़र आता नहीं पीपल पुराना गाँव का।

बूढ़ीं आँखें मुंतज़िर हैं पर वो आख़िर क्या करें
नौजवाँ तो भूल ही बैठे हैं रस्ता गाँव का।

पहले कितने ही परिन्दे आते थे परदेस से
अब नहीं भाता किसी को आशियाना गाँव का।

छोड़ आए थे जो बचपन फिर नज़र आया नहीं
हमने यारो छान मारा चप्पा-चप्पा गाँव का।

हो गईं वीरान गलियाँ, खो गई सब रौनक़ें
तीरगी में खो गया सारा उजाला गाँव का।

वक़्त ने क्या दिन दिखाए चन्द पैसों के लिए
बन गया मज़दूर इक छोटा-सा बच्चा गाँव का।

सुख में, दुख में, धूप में जो सर पे आता था नज़र
गुम हुआ जाने कहाँ वो लाल गमछा गाँव का।

हर तरफ़ फैली हुई है बेकसी की तेज़ धूप
सब के सर से उठ गया है जैसे साया गाँव का।

जो गए परदेस उसको छोड़कर दालान में
राह उनकी देखता है अब बिछौना गाँव का।

शाम को चौपाल में क्या गूँजते थे क़हक़हे
सिर्फ़ यादों में बचा है वो फ़साना गाँव का।

हाल इक-दूजे का कोई पूछने वाला नहीं
क्या पता अगले बरस क्या हाल होगा गाँव का।

सोच में डूबे हुए हैं गाँव के बूढ़े दरख़्त
वाक़ई क्या लुट गया है कुल असासा गाँव का।

Dec 20, 202103:15
Covid - Harjeet Singh Tuktuk

Covid - Harjeet Singh Tuktuk

Listen in to a recitation of "Covid" written by Harjeet Singh Tuktuk.

Lyrics in Hindi:

हमारा तो निकल गया रोना।
जब पता चला कि पड़ोसी को हो गया है कोरोना।
रात के अंधेरे में, सुबह और सवेरे में।
हम भी आ गए, शक के घेरे में।

हमने सबको यक़ीन दिलाया।
कि हम हैं सोबर और सुशील।
फिर भी करम जलों ने।
कर दिया हमारा घर सील।

हम इस बात से थे दुखी।
तभी पत्नी पास आके रुकी।
बोली घर में खतम हो गया हैं राशन।
हमने कहा देवी बंद करो यह भाषण।

पत्नी को नहीं पसंद आया हमारा टोन।
उठा के तोड़ दिया हमारा मोबाइल फ़ोन।
ग़ुस्से में उसका चेहरा हो गया लाल पीला।
पता नहीं, ग़रीबी में ही क्यों होता है आटा गीला।

अब हमें पत्नी के हुक्म का पालन करना था।
घर के लिए राशन का इंतज़ाम करना था।
हमने अपनी इज्जत खूँटी पे टांगी।
खिड़की से चिल्ला चिल्ला के सबसे मदद माँगी।
कोई नहीं आया।

जो भी कहते थे कि हम भगवान के दूत हैं।
बिना देखे ऐसे निकल गए जैसे हम कोई भूत हैं।
आख़िर एक बूढ़ा चौक़ीदार आया।
उसने घर के बाहर एक बोर्ड लगाया।

बोर्ड पे लिखा था,
साहब वैसे तो जेंटल हैं।
लॉकडाउन में हो गए मेंटल हैं।
इफ़ यू हीयर शोर,प्लीज़ इग्नोर।

हमने कहा,
भैया, आ रहा है मज़ा।
दूसरे के कर्मों की हमको दे के सजा।

वो बोला बाबूजी,
लाखों रोज़गार छोड़ कर चले गए घर।
हज़ारों बिना इलाज के कर रहे हैं suffer।
सैकड़ों रोज़ करते हैं भूख से लड़ाई।

वो सब भी इसी बात की दे रहे हैं दुहाई।
आख़िर किसकी गलती की सजा हमने है पाई।

बुरा मत मानिएगा,
बात सच्ची है, कड़वी लग सकती है।
पर किसी की गलती की सजा
किसी को भी मिल सकती है।

वैसे आपकी बताने आया था विद स्माइल।
आपके पड़ोसी की बदल गयी थी फ़ाइल।
हमने भगवान को लाख लाख धन्यवाद दिया।
और कविता का अंत कुछ इस तरह से किया।

पड़ोसी तो लग के आ गया
हॉस्पिटल की लाइन में।
हम अभी भी चल रहे हैं
क्वॉरंटाइन में।

Dec 19, 202104:02
Moko Kahan Dhunde Tu Bande - Kabir Das

Moko Kahan Dhunde Tu Bande - Kabir Das

Listen in to a recitation of "Moko Kahan Dhunde Tu Bande" written by Kabir Das.

Lyrics in Hindi:

मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे ।

ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे ।
नही खाल में नही पूंछ में ना हड्डी ना मांस मे ॥

ना मै देवल ना मै मसजिद ना काबे कैलाश मे ।
ना तो कोनी क्रिया-कर्म मे नही जोग-बैराग मे ॥

खोजी होय तुरंतै मिलिहौं पल भर की तलास मे
मै तो रहौं सहर के बाहर मेरी पुरी मवास मे

कहै कबीर सुनो भाई साधो सब सांसो की सांस मे ॥

Nov 28, 202102:12
Muktak - Kumar Vishwas

Muktak - Kumar Vishwas

Listen in to a recitation of a "muktak" written by Kumar Vishwas.

Lyrics in Hindi:

बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तन चंदन
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन||1||

जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक ऐसा इकतारा है,
जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,
तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है||2||

जो धरती से अम्बर जोड़े, उसका नाम मोहब्बत है ,
जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है ,
कतरा कतरा सागर तक तो,जाती है हर उमर मगर ,
बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है||3||

बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेड़े सह नहीं पाया
हवाओं के इशारों पर मगर मैं बह नहीं पाया
रहा है अनसुना और अनकहा ही प्यार का किस्सा
कभी तुम सुन नहीं पायी कभी मैं कह नहीं पाया||4||

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हे मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ||5||

पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार करना क्या
जो दिल हारा हुआ हो उस पर फिर अधिकार करना क्या
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कश्मकश में है
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या||6||

समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आँसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता||7||

पुकारे आँख में चढ़कर तो खू को खू समझता है,
अँधेरा किसको को कहते हैं ये बस जुगनू समझता है,
हमें तो चाँद तारों में भी तेरा रूप दिखता है,
मोहब्बत में नुमाइश को अदाएं तू समझता है||8||

गिरेबां चाक करना क्या है, सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्काराकर अश्क पीना और मुश्किल है
हमारी बदनसीबी ने हमें इतना सिखाया है,
किसी के इश्क में मरने से जीना और मुश्किल है||9||

मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हें बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब अभी तक गा रहा हूँ मैं
फिराके यार में कैसे जिया जाये बिना तड़पे
जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हूँ मैं||10||

किसी पत्थर में मूरत है कोई पत्थर की मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी ख़ूबसूरत है
ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है
तुम्हें मेरी जरूरत है मुझे तेरी जरूरत है||11||


Nov 18, 202105:15
Waqt - Vikram Singh Rawat

Waqt - Vikram Singh Rawat

Listen in to a recitation of the famous poem “Waqt” by Vikram Singh Rawat.

Lyrics in Hindi:

ज़िन्दगी में कुछ भी कभी हरपल नहीं रहता

जो आज साथ होता है तुम्हारे वो कल नहीं रहता।

मैं फ़िज़ूल रोया करता था लम्हों पे दशको पे

समझ आया अब की वक़्त खुद भी सदा प्रबल नहीं रहता।

मरते हैं इसके भी पल जो बहते हैं इसकी धाराओ में

सदा को ठहरा हुआ कोई भी इसका पल नहीं रहता।

जीवनचक्र निरंतर है, मत कोस तू अपनी किस्मत को

इस दौर में ये दरिया किसी के लिये कल-कल नहीं बहता।

तुम्हे पता ही नहीं वक्त का दूसरा नाम ही जिंदगी है

यूँहीं तुम कहतें हो तुम्हारे पास ये किसीपल नहीं रहता।

इस दूध की धारा को मैंने पूजा भी दिए भी सिराये

पर जब से सागर में मिला फिर वो गंगाजल नहीं रहता।

कितना लालची हूँ की जिसके सजदे किये नवाज़ा भी

वो जिस दिन खारा हुआ ठोकरों के भी काबिल नहीं रहता।

ज़िन्दगी केवल मौत से मौत के सफ़र का नाम है

और बंजारों का कोर्इ् ठौर—ठिकाना ऊम्रभर नहीं रहता।

तू हाथों की लकीरों पे चला तो नदी जैसा भटकता रहा

तूने खुद को कभी नहीं खोजा तभी तू सफल नहीं रहता।

और तू मुझे मसीहा मत समझ मैं खुद विफल हूँ हालातों से

हाँ मगर हौंसला अब तक नहीं हरा वर्ना ये ग़ज़ल नहीं कहता।

॥ज़िन्दगी में कुछ भी कभी हरपल नहीं रहता॥

॥जो आज साथ होता है तुम्हारे वो कल नहीं रहता॥


Nov 14, 202103:26
Aaj Phir Se - Harivansh Rai Bachchan

Aaj Phir Se - Harivansh Rai Bachchan

Listen in to a recitation of the famous poem “Aaj Phir Se” by Harivansh Rai Bachchan.

Lyrics in Hindi:

आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,
है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए,

रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,
नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी,

आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

मैं तपोमय ज्योती की, पर, प्यास मुझको,
है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको,

स्नेह की दो बूंदे भी तो तुम गिराओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

कल तिमिर को भेद मैं आगे बढूंगा,
कल प्रलय की आंधियों से मैं लडूंगा,

किन्तु आज मुझको आंचल से बचाओ;
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।


Nov 06, 202102:27
Aao Phir Se Diya Jalaye - Atal Bihari Vajpayee

Aao Phir Se Diya Jalaye - Atal Bihari Vajpayee

Listen in to a recitation of the famous poem “Aao Phir Se Diya Jalaye” by Atal Bihari Vajpayee.

Lyrics in Hindi:

आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ


Nov 05, 202102:24
Jagmag Jagmag - Sohan Lal Dwivedi

Jagmag Jagmag - Sohan Lal Dwivedi

Listen in to a recitation of the famous poem “Jagmag Jagmag” by Sohan Lal Dwivedi.

Lyrics in Hindi:

हर घर, हर दर, बाहर, भीतर,
नीचे ऊपर, हर जगह सुघर,
कैसी उजियाली है पग-पग?
जगमग जगमग जगमग जगमग!

छज्जों में, छत में, आले में,
तुलसी के नन्हें थाले में,
यह कौन रहा है दृग को ठग?
जगमग जगमग जगमग जगमग!

पर्वत में, नदियों, नहरों में,
प्यारी प्यारी सी लहरों में,
तैरते दीप कैसे भग-भग!
जगमग जगमग जगमग जगमग!

राजा के घर, कंगले के घर,
हैं वही दीप सुंदर सुंदर!
दीवाली की श्री है पग-पग,
जगमग जगमग जगमग जगमग!

Nov 04, 202102:17
Bansuri Chali Aao - Kumar Vishwas

Bansuri Chali Aao - Kumar Vishwas

Listen in to a recitation of the famous poem “Bansuri Chali Aao” by Kumar Vishwas.

Lyrics in Hindi:

तुम अगर नहीं आई गीत गा न पाऊँगा
साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाऊँगा
तान भावना की है शब्द-शब्द दर्पण है
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है
तीर पार कान्हा से दूर राधिका-सी है
रात की उदासी को याद संग खेला है
कुछ गलत ना कर बैठें मन बहुत अकेला है
औषधि चली आओ चोट का निमंत्रण है
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है

तुम अलग हुई मुझसे साँस की ख़ताओं से
भूख की दलीलों से वक्त की सज़ाओं से
दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना है
आँख लाख चाहे पर होंठ से न कहना है
कंचना कसौटी को खोट का निमंत्रण है
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है


Nov 03, 202102:33
Yun Hi Kuch Muskakar Tumne - Trilochan

Yun Hi Kuch Muskakar Tumne - Trilochan

Listen in to a recitation of the famous poem “Yun Hi Kuch Muskakar Tumne” by Trilochan.

Lyrics in Hindi:

यूँ ही कुछ मुस्काकर तुमने
परिचय की वो गाँठ लगा दी !

था पथ पर मैं भूला-भूला
फूल उपेक्षित कोई फूला
जाने कौन लहर थी उस दिन
तुमने अपनी याद जगा दी ।

कभी कभी यूँ हो जाता है
गीत कहीं कोई गाता है
गूँज किसी उर में उठती है
तुमने वही धार उमगा दी ।

जड़ता है जीवन की पीड़ा
निस्-तरँग पाषाणी क्रीड़ा
तुमने अन्जाने वह पीड़ा
छवि के शर से दूर भगा दी ।


Nov 03, 202102:18
Adhikaar - Mahadevi Verma

Adhikaar - Mahadevi Verma

Listen in to a recitation of the famous poem “Adhikaar” by Mahadevi Verma.

Lyrics in Hindi:

वे मुस्काते फूल, नहीं
जिनको आता है मुर्झाना,
वे तारों के दीप, नहीं
जिनको भाता है बुझ जाना;

वे नीलम के मेघ, नहीं
जिनको है घुल जाने की चाह
वह अनन्त रितुराज,नहीं
जिसने देखी जाने की राह|

वे सूने से नयन,नहीं
जिनमें बनते आँसू मोती,
वह प्राणों की सेज,नही
जिसमें बेसुध पीड़ा सोती;

ऐसा तेरा लोक, वेदना
नहीं,नहीं जिसमें अवसाद,
जलना जाना नहीं, नहीं
जिसने जाना मिटने का स्वाद!

क्या अमरों का लोक मिलेगा
तेरी करुणा का उपहार?
रहने दो हे देव! अरे
यह मेरा मिटने का अधिकार!


Nov 01, 202102:12
Agneepath - Harivansh Rai Bachchan

Agneepath - Harivansh Rai Bachchan

Listen in to a recitation of the famous poem “Agneepath” by Harivansh Rai Bachchan.

Lyrics in Hindi:

वृक्ष हों भले खड़े,

हों घने हों बड़े,

एक पत्र छाँह भी,

माँग मत, माँग मत, माँग मत,

अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

तू न थकेगा कभी,

तू न रुकेगा कभी,

तू न मुड़ेगा कभी,

कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,

अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

यह महान दृश्य है,

चल रहा मनुष्य है,

अश्रु श्वेद रक्त से,

लथपथ लथपथ लथपथ,

अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।


Oct 29, 202102:01
Teri Yaad Aati Hai - Kumar Vishwas

Teri Yaad Aati Hai - Kumar Vishwas

Listen in to a recitation of the famous poem “Teri Yaad Aati Hai” by Kumar Vishwas.

Lyrics in Hindi:

हर एक खोने हर एक पाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है

हर एक खाली पड़े आलिन्द तेरी याद आती है
सुबह के ख्वाब के मानिंद तेरी याद आती है
हेलो, हे, हाय! सुन के तो नहीं आती मगर हमसे
कोई कहता है जब “जय हिंद” तेरी याद आती है

कोई देखे जनम पत्री तो तेरी याद आती है
कोई व्रत रख ले सावित्री तो तेरी याद आती है
अचानक मुश्किलों में हाथ जोड़े आँख मूंदे जब
कोई गाता हो गायत्री तो तेरी याद आती है

सुझाये माँ जो मुहूर्त तो तेरी याद आती है
हँसे जब बुद्ध की मूरत तो तेरी याद आती है
कहीं डॉलर के पीछे छिप गए भारत के नोटों पर
दिखे गाँधी की जो सूरत तो तेरी याद आती है

अगर मौसम हो मनभावन तो तेरी याद आती है
झरे मेघों से गर सावन तो तेरी याद आती है
कहीं रहमान की जय हो को सुन कर गर्व के आंसू
करें आँखों को जब पावन तो तेरी याद आती है



Oct 26, 202103:05
Chand Ka Kurta - Ramdhari Singh Dinkar

Chand Ka Kurta - Ramdhari Singh Dinkar

Listen in to a recitation of the famous poem “Chand Ka Kurta” by Ramdhari Singh Dinkar.

Lyrics in Hindi:

हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला
सिलवा दो मां मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला

सन सन चलती हवा रात भर जाड़े में मरता हूं
ठिठुर ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूं

आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का
न हो अगर तो ला दो मुझको कुर्ता ही भाड़े का

बच्चे की सुन बात कहा माता ने अरे सलोने
कुशल करे भगवान लगे मत तुझको जादू टोने

जाड़े की तो बात ठीक है पर मैं तो डरती हूं
एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूं

कभी एक अंगुल भर चौड़ा कभी एक फुट मोटा
बड़ा किसी दिन हो जाता है और किसी दिन छोटा

घटता बढ़ता रोज किसी दिन ऐसा भी करता है
नहीं किसी की भी आंखों को दिखलाई पड़ता है

अब तू ही यह बता नाप तेरा किस रोज लिवायें?
सी दें एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आये?


Oct 25, 202102:42
Main Bhav Suchi Un Bhavo Ki - Kumar Vishwas

Main Bhav Suchi Un Bhavo Ki - Kumar Vishwas

Listen in to a recitation of the famous poem “Main Bhav Suchi Un Bhavo Ki” by Kumar Vishwas.

Lyrics in Hindi:

में भाव सूची उन भावों की, जो बिके सदा ही बिन तोले
तन्‍हाई हूं हर उस खत की, जो पढा गया है बिन खोले
हर आंसू को हर पत्‍थर तक पहुंचाने की लाचार हूक,
में सहज अर्थ उन शब्‍दों का जो सुने गये हैं बिन बोले
जो कभी नहीं बरसा खुलकर हर उस बादल का पानी हूं
लव कुश की पीर बिना गाई सीता की रामकहानी हूं

जिनके सपनों के ताजमहल, बनने से पहले टूट गये
जिन हाथों में दो हाथ कभी आने से पहले छूट गये
धरती पर जिनके खोने और पाने की अजब कहानी है
किस्‍मत की देवी मान गयी पर प्रणय देवता रूठ गये
में मैली चादर वाले उस कबिरा की अम़तवाणी हूं
लव कुश की पीर बिना गाई सीता की रामकहानी हूं

कुछ कहते हैं में सीखा हूं अपने जख्‍मों को खुद सींकर
कुछ जान गये में हंसता हूं भीतर भीतर आंसू पीकर
कुछ कहते हैं में हूं बिरोध से उपजी एक खुददार विजय
कुछ कहते में रचता हूं खुद में मरकर खुद में जीकर
लेकिन हर चतुराई की सोची समझी नादानी हूं
लव कुश की पीर बिना गाई सीता की रामकहानी हूं


Oct 22, 202103:04
Shakti Aur Kshama - Ramdhari Singh Dinkar

Shakti Aur Kshama - Ramdhari Singh Dinkar

Listen in to a recitation of the famous poem “Shakti Aur Kshama” by Ramdhari Singh Dinkar.

Lyrics in Hindi:

क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल
सबका लिया सहारा
पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे
कहो, कहाँ, कब हारा?

क्षमाशील हो रिपु-समक्ष
तुम हुये विनत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही।

अत्याचार सहन करने का
कुफल यही होता है
पौरुष का आतंक मनुज
कोमल होकर खोता है।

क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन
विषरहित, विनीत, सरल हो।

तीन दिवस तक पंथ मांगते
रघुपति सिन्धु किनारे,
बैठे पढ़ते रहे छन्द
अनुनय के प्यारे-प्यारे।

उत्तर में जब एक नाद भी
उठा नहीं सागर से
उठी अधीर धधक पौरुष की
आग राम के शर से।

सिन्धु देह धर त्राहि-त्राहि
करता आ गिरा शरण में
चरण पूज दासता ग्रहण की
बँधा मूढ़ बन्धन में।

सच पूछो, तो शर में ही
बसती है दीप्ति विनय की
सन्धि-वचन संपूज्य उसी का
जिसमें शक्ति विजय की।

सहनशीलता, क्षमा, दया को
तभी पूजता जग है
बल का दर्प चमकता उसके
पीछे जब जगमग है।


Oct 20, 202102:51
Main Tumhe Dhundhne - Kumar Vishwas

Main Tumhe Dhundhne - Kumar Vishwas

Listen in to a recitation of the famous poem “Main Tumhe Dhundhne” by Kumar Vishwas.

Lyrics in Hindi:

मैं तुम्हें ढूँढने स्वर्ग के द्वार तक
रोज आता रहा, रोज जाता रहा
तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई
मंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा

जिन्दगी के सभी रास्ते एक थे
सबकी मंजिल तुम्हारे चयन तक गई
अप्रकाशित रहे पीर के उपनिषद्
मन की गोपन कथाएँ नयन तक रहीं
प्राण के पृष्ठ पर गीत की अल्पना
तुम मिटाती रही मैं बनाता रहा
तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई
मंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा

एक खामोश हलचल बनी जिन्दगी
गहरा ठहरा जल बनी जिन्दगी
तुम बिना जैसे महलों में बीता हुआ
उर्मिला का कोई पल बनी जिन्दगी
दृष्टि आकाश में आस का एक दिया
तुम बुझती रही, मैं जलाता रहा
तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई
मंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा

तुम चली गई तो मन अकेला हुआ
सारी यादों का पुरजोर मेला हुआ
कब भी लौटी नई खुशबुओं में सजी
मन भी बेला हुआ तन भी बेला हुआ
खुद के आघात पर व्यर्थ की बात पर
रूठती तुम रही मैं मानता रहा
तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई
मंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा
मैं तुम्हें ढूँढने स्वर्ग के द्वार तक
रोज आता रहा, रोज जाता रहा

Oct 19, 202103:39
Jo Tum Aa Jaate Ek Baar - Mahadevi Verma

Jo Tum Aa Jaate Ek Baar - Mahadevi Verma

Listen in to a recitation of the famous poem “Jo Tum Aa Jaate Ek Baar” by Mahadevi Verma.

Lyrics in Hindi:

जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करुणा कितने सँदेश,
पथ में बिछ जाते बन पराग,
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग-भरा उन्माद-राग;
आँसू लेते वे पद पखार !
जो तुम आ जाते एक बार !

हँस उठते पल में आर्द्र नयन
घुल जाता ओठों से विषाद,
छा जाता जीवन में वसंत
लुट जाता चिर-संचित विराग;
आँखें देतीं सर्वस्व वार |
जो तुम आ जाते एक बार !

Oct 18, 202102:03
Veer Tum Badhe Chalo - Dwarika Prasad Maheshwari

Veer Tum Badhe Chalo - Dwarika Prasad Maheshwari

Listen in to a recitation of the famous poem “Veer Tum Badhe Chalo” by Dwarika Prasad Maheshwari.

Lyrics in Hindi:

वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

हाथ में ध्वजा रहे बाल दल सजा रहे
ध्वज कभी झुके नहीं दल कभी रुके नहीं
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो
तुम निडर डरो नहीं तुम निडर डटो वहीं
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

प्रात हो कि रात हो संग हो न साथ हो
सूर्य से बढ़े चलो चन्द्र से बढ़े चलो
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

एक ध्वज लिये हुए एक प्रण किये हुए
मातृ भूमि के लिये पितृ भूमि के लिये
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

अन्न भूमि में भरा वारि भूमि में भरा
यत्न कर निकाल लो रत्न भर निकाल लो
वीर तुम बढ़े चलो ! धीर तुम बढ़े चलो !

Oct 16, 202102:33
Aaj Sadko Par Likhe Hain Saikdo Naare Na Dekh - Dushyant Kumar

Aaj Sadko Par Likhe Hain Saikdo Naare Na Dekh - Dushyant Kumar

Listen in to a recitation of the famous poem “Aaj Sadko Par Likhe Hain Saikdo Naare Na Dekh” by Dushyant Kumar.

Lyrics in Hindi:

आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख,
पर अन्धेरा देख तू आकाश के तारे न देख।

एक दरिया है यहां पर दूर तक फैला हुआ,
आज अपने बाज़ुओं को देख पतवारें न देख।

अब यकीनन ठोस है धरती हक़ीक़त की तरह,
यह हक़ीक़त देख लेकिन ख़ौफ़ के मारे न देख।

वे सहारे भी नहीं अब जंग लड़नी है तुझे,
कट चुके जो हाथ उन हाथों में तलवारें न देख।

ये धुन्धलका है नज़र का तू महज़ मायूस है,
रोजनों को देख दीवारों में दीवारें न देख।

राख़ कितनी राख़ है, चारों तरफ बिख़री हुई,
राख़ में चिनगारियां ही देख अंगारे न देख।

Oct 15, 202102:18
Itni Rang Birangi Duniya - Kumar Vishwas

Itni Rang Birangi Duniya - Kumar Vishwas

Listen in to a recitation of the famous poem “Itni Rang Birangi Duniya” by Kumar Vishwas.

Lyrics in Hindi:

इतनी रंग बिरंगी दुनिया, दो आँखों में कैसे आये,
हमसे पूछो इतने अनुभव, एक कंठ से कैसे गाये.
ऐसे उजले लोग मिले जो, अंदर से बेहद काले थे,
ऐसे चतुर मिले जो मन से सहज सरल भोले-भाले थे.

ऐसे धनी मिले जो, कंगालो से भी ज्यादा रीते थे,
ऐसे मिले फकीर, जो, सोने के घट में पानी पीते थे.
मिले परायेपन से अपने, अपनेपन से मिले पराये,
हमसे पूछो इतने अनुभव, एक कंठ से कैसे गाये.
इतनी रंग बिरंगी दुनिया, दो आँखों में कैसे आये.

जिनको जगत-विजेता समझा, मन के द्वारे हारे निकले,
जो हारे-हारे लगते थे, अंदर से ध्रुव- तारे निकले.
जिनको पतवारे सौंपी थी, वे भँवरो के सूदखोर थे,
जिनको भँवर समझ डरता था, आखिर वही किनारे निकले.
वो मंजिल तक क्या पहँुचे, जिनको रास्ता खुद भटकाए

हमसे पूछो इतने अनुभव, एक कंठ से कैसे गाये,
इतनी रंग बिरंगी दुनिया, दो आँखों में कैसे आये.

Oct 14, 202103:13
Kaun? - Balswaroop Raahi

Kaun? - Balswaroop Raahi

Listen in to a recitation of the famous poem “Kaun?” by Balswaroop Raahi.

Lyrics in Hindi:

अगर ना होता चाँद रात में,
हमको दिशा दिखलाता कौन?

अगर ना होता सूरज दिन को,
सोने सा चमकाता कौन?

अगर ना होती निर्मल नदियाँ,
जग की प्यास बुझाता कौन?

अगर ना होते पर्वत मीठे,
झरने भला बहाता कौन?

अगर ना होते पेड़ भला फिर,
हरियाली फैलता कौन?

अगर ना होते फूल बताओ,
खिल खिल कर मुस्काता कौन?

अगर ना होते बादल नभ में,
इंद्रधनुष रच पाता कौन?

अगर ना होते हम तो बोलो,
ये सब प्रश्न उठाता कौन?

Oct 13, 202102:09
Geet Naya Gata Hun - Atal Bihari Vajpayee

Geet Naya Gata Hun - Atal Bihari Vajpayee

Listen in to a recitation of the famous poem “Jo Beet Gayi So Baat Gayi” by Atal Bihari Vajpayee.

Lyrics in Hindi:

दो अनुभूतियां

-पहली अनुभूति

बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं 
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं
गीत नहीं गाता हूं

लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं
गीत नहीं गाता हूं

पीठ मे छुरी सा चांद, राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूं
गीत नहीं गाता हूं

-दूसरी अनुभूति
गीत नया गाता हूं

टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रात

प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूं
गीत नया गाता हूं

टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,

काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं

Oct 12, 202103:05
Jo Beet Gayi So Baat Gayi - Harivansh Rai Bachchan

Jo Beet Gayi So Baat Gayi - Harivansh Rai Bachchan

Listen in to a recitation of the famous poem “Jo Beet Gayi So Baat Gayi” by Harivansh Rai Bachchan.

Lyrics in Hindi:

जो बीत गई सो बात गई

जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई

जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई

जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई

मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई।।

Oct 11, 202103:15
Ho Gayi Hai Peer Parvat Si - Dushyant Kumar

Ho Gayi Hai Peer Parvat Si - Dushyant Kumar

Listen in to a recitation of the famous poem “Ho Gayi Hai Peer Parvat Si” by Dushyant Kumar.

Lyrics in Hindi:

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

Oct 10, 202102:08
Koi Deewana Kehta Hai - Kumar Vishwas

Koi Deewana Kehta Hai - Kumar Vishwas

Listen in to a recitation of the famous poem “Koi Deewana Kehta Hai” by Kumar Vishwas.

Lyrics in Hindi:

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!
समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!
भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!
Oct 09, 202103:27