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LIFEARIA

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By Dr. A. Bhagwat

तुम-सी मैं, मुझ-से तुम, इक दूजे-से हम...
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Afternoon Poem | दोपहर hindi

LIFEARIAJul 30, 2021

00:00
03:20
दीजिए अपनी ज़ुबां को एक ऐसा स्वाद...जो बदल कर रख दे ज़िंदगानी!! | LIFEARIA
Jun 26, 202203:44
पीर पराई by Dr. A. Bhagwat | LIFEARIA
Jun 24, 202203:32
रात....चाँद....और मैं Dr. A. Bhagwat | Moon & Me!

रात....चाँद....और मैं Dr. A. Bhagwat | Moon & Me!

रात, चांद और मैं (Moon and Me!)  

कल रात सोचा कुछ लिखूं चांद पर...!! 

और जब दिखा चांद तो नज़रें न कागज़ पर टिकीं न कलम पर....!! 

बस ठहर गई आसमां पर....!! 

कि पूनम के चांद पर...नहीं लिख्हा जाता पूनम पर.....अमावस पर ही बेहतर होगा..... लिखना चांद पर!.....

Jun 24, 202200:57
सवाल-जवाब 1 | भला कैसे टूट जाते हैं हमारे रिश्ते ?
Jun 23, 202201:37
मिट्टी के दीये by Dr. A. Bhagwat | LIFEARIA

मिट्टी के दीये by Dr. A. Bhagwat | LIFEARIA

मिट्टी के दीपक कविता (Poem) by Dr. A. Bhagwat  

घर भी मिट्टी के होते हैं! और सपने भी मिट्टी के उनके !  जो मिट्टी के दीए बेचने, प्लास्टिक के बाज़ार में आ जाते हैं! जैसे बारिश में कागज़ की कश्ती लिए आते हैं! लोग इधर आकर उधर से गुज़र जाते हैं! फ़िर दिन दीवाली के कुछ और क़रीब आते हैं! बाजूवाले के प्लास्टिक दीए सारे ही बिक जाते हैं!

Jun 23, 202202:03
सफाई! सफाई! दिवाली की सफाई...! A Poem by Dr. A. Bhagwat

सफाई! सफाई! दिवाली की सफाई...! A Poem by Dr. A. Bhagwat

safai poem ( सफाई कविता ) by Dr. A. Bhagwat 

सफाई! सफाई! सफाई! सफाई!  

लो शुरू हो गई, दीवाली की सफाई...!  

इसके पहले हो घर की सफाई! इसके पहले हो दुकानो की सफाई!

Jun 22, 202201:37
प्यार का गठबंधन by Dr. A. Bhagwat

प्यार का गठबंधन by Dr. A. Bhagwat

गठबंधन.....  भले ही गांठ बांध कर शुरू किए जाते हों रिश्तें! मगर वास्तव में रिश्तों की कोई गांठ नहीं हुआ करती! जिसे खोल कर आज़ाद हुआ जा सके और चुपके से दोबारा बांध कर फिर बन्ध जाया जा सके!! क्योंकि रिश्तों में तो दरअसल गांठ की कोई गुंजाइश ही नहीं होती!! इसीलिए सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी की तर्ज़ पर अक़्सर बस टूट जाते हैं रिश्तें!!! कि उनकी कोई एक्सपायरी डेट तो होती नहीं! जिसका रिन्युअल करवाया जा सके!!

Jun 22, 202202:20
सोचने वाली बात 08 | मास्टर शैफ़ वही बनते हैं, जिन्हें हरी मिर्च और प्याज़ काटने से परहेज़ नहीं होता!

सोचने वाली बात 08 | मास्टर शैफ़ वही बनते हैं, जिन्हें हरी मिर्च और प्याज़ काटने से परहेज़ नहीं होता!

सोचने समझने वाली बात 08   प्यारे दोस्तों, सादर नमस्कार स्वागत है आप सभी का आपके अपने यू ट्यूब चैनल 'लाइफेरिया' के इस मंच पर जहां आज हम बढ़ रहे हैं एक और बेहद जरूरी और सोचने वाली बात की ओर पर इससे पहले की मैं शुरुआत करूँ मैं आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूँ आपके साथ,सहयोग, समर्थन और प्रोत्साहन का जिसके लिए लाइफेरिया आपका शुक्रगुज़ार रहेगा हमेशा हमेशा ! तो चलिए करते हैं शुरुआत...

Apr 18, 202208:08
सोचने वाली बात 07 | क्या करें ? जब ग़लत समझ बैठे लोग हमें ! या नहीं समझे वैसे, जैसे हम हैं ! LIFEARIA

सोचने वाली बात 07 | क्या करें ? जब ग़लत समझ बैठे लोग हमें ! या नहीं समझे वैसे, जैसे हम हैं ! LIFEARIA

बहुत गफ़लत होती है!, बेहद परेशानी! बड़ी बैचेनी! एक तरह से उलझन में डाल देनेवाली स्थिति, जब लोग कोई ग़लत राय बना लेते हैं हमारे बारे में! कोई टैग लगा देते हैं हम पर! या फ़िर सोचने लगते हैं कुछ ऐसा हमारे बारे में जैसे हम वास्तव में हैं ही नहीं ! फ़िर चाहे वो हमारे घरेलू मामले हों, रिश्तेदार हों,सहकर्मी हों,या फ़िर पड़ोसी कोई....लोगों की इसतरह की ग़लतफ़हमी या फ़िर कभी कभी खुशफ़हमी का हम आए दिन शिकार होते रहते हैं! अब सोचनेवाली बात यह है कि हम ऐसे तथाकथित लोगों, ऐसी परिस्थितियों से आख़िर कैसे निपटें?

Apr 18, 202203:27
अपनी ख़ुशी से अपना ही दिल तोड़ना पड़ा! LIFEARIA

अपनी ख़ुशी से अपना ही दिल तोड़ना पड़ा! LIFEARIA

आंखें बंद थी! पलकों पर झूल रहे थे ख़्वाब... होंठों पर मिलने की आस....मुस्कान बन कर महक रही थी! एक दूजे को याद कर फूले नहीं समां रहे थे हम.... एक लंबा सफ़र जो तय किया था ,इक दूजे के बग़ैर....अब ख़त्म होने को था ! मन्नते सच होने जा रही थी ! दुआएं क़ूबुल होने को थीं ! जो रची नहीं थी अबतक हाथों में वो मेहंदी खिलने लगी थी ज़हन में और सपना वो हक़ीक़त होने को था  जब ....वहीं ज़िन्दगी के उसी हसीन मोड़ पर ,ठिठक कर क़दम रोक लिए थे हमनें कि अपनी ख़ुशी से अपने ही दिल तोड़ लिए थे हमनें!  फ़क़त अपना ही ख़याल होता तो कुछ और बात होती! कुछ और दिन होते, कुछ और रात होती!

Apr 17, 202203:05
तुम्हें खोने की हिम्मत नहीं है मुझमें, फ़िर भला तुम्हें पाने की ज़ुर्रत क्यों करूँ!

तुम्हें खोने की हिम्मत नहीं है मुझमें, फ़िर भला तुम्हें पाने की ज़ुर्रत क्यों करूँ!

जानते हो? हर दफ़ा तुम्हें पा लेने के मेरे ख़्वाब, बस तुम्हें खो देने के डर से ही टूटे हैं! तो अब पूरी शिद्दत से चाहती हूं मैं, बरक़रार रखना अपने दिल में तुम्हारी चाहत को ,तुम्हें पाने की कोशिश के बग़ैर! जैसे अक्सर बियाबान जंगलों में ही खिला करती हैं, महकते फूलों की हसीन वादियां, ये जानते हुए भी कि उन्हें देखने कोई नहीं आएगा! कोई आस की बाती जलती रहती है फ़क़त तेल की आख़री बून्द की ख़ातिर,दिये को ख़बर हुए बग़ैर ही! क्योंकि वास्ता उसका रोशनी से हुआ करता है!

Apr 17, 202203:05
थप्पड़ परम्परा - Thappad
Nov 21, 202102:54
ख़्वाहिशों को सिखाइए सब्र का हुनर... कि अभी बहुत ज़रूरतें पूरी करनी हैं
Nov 21, 202102:22
शक्ति और सामर्थ्य | Day 9 | shakti or samrthya
Oct 31, 202103:17
सुख और आनंद | Day 8 | sukh or anand

सुख और आनंद | Day 8 | sukh or anand

सुख है तो यही है कि दे सकें किसी को कुछ! और पाने के लिए आनंद से अधिक न कुछ!
जी हां प्यारे दोस्तों, न पेड़ सूखते हैं अपने फल फूल लुटाकर और न नदियां ही सूखती हैं कभी किसी की प्यास बुझाकर! चांद, सूरज कभी निस्तेज नहीं हुए इस धरा को रोशन कर अपनी ऊर्जा से! कहाँ समंदर खाली हुआ हमें बारिशों से नवाज़ कर! और कितने समृद्ध हो जाते हैं माता-पिता अपने बच्चों पर अपनी ममता एवं प्यार लुटाकर! फ़िर भला क्यों रुक जाते हैं हाथ हमारे! बढ़ते नहीं मदद को किसी की ! ये भूल कर कि देने के सुख से बड़ा कोई और सुख है ही नहीं! और ये भी कि जो कुछ भी हम एकत्रित करते रहते हैं, संग्रहित करते रहते हैं आवश्यकता से अधिक! वो एक न एक दिन नष्ट होना तय है! क्योंकि वापसी तो खाली हाथ ही मुमकिन है हमारी! हम देखते हैं कि पंछी नहीं इकट्ठा करते कभी दानें अपने घोसलों में! क्योंकि उन्होंने ही सुना होता है मधुमख्खियों को गाते हुए ये गीत कि "ख़ाली हाथ शाम आई है!" जब उनका इकठ्ठा किया हुआ शहद चुरा ले जाते हैं इंसान ! अथाह धन और सम्पत्ति के बावज़ूद लोभी और कंजूसों को भूखे प्यासे दम तोड़ते! read more
Oct 17, 202102:29
भाव और संवाद | Day 7 | bhav or sanvad

भाव और संवाद | Day 7 | bhav or sanvad

बिन सुने कुछ मैं सुनूं!!, बिन बोले कुछ तुम कहो! दो लोगों की ख़ामोशी में गूंजता हुआ संवाद हो!
जी हाँ, प्यारे दोस्तों स्वागत है आप सभी का आपके अपने यूट्यूब चैनल लाइफेरिया के इस मंच पर जहां आज हम सातवीं ज़रूरी बात कर रहे हैं! खुल रहे हैं एक बेहद रोचक विषय के पन्ने... तो चलिए करते हैं शुरुआत.... एक बेहतरीन विषय की.....उन बातों की जिन्हें भावों तक पहुंचने के लिए भाषा के पुल की गरज़ ही नहीं होती क्योंकि उनका सफ़र तो तय होता है सीधे दिल से दिल तक और दिमाग़ से दिमाग़ तक! पर सच कहूं तो ये कोई बहुत बड़ा रॉकेट साइंस नहीं है ! read more
Oct 17, 202103:53
कर्म और समर्पण | Day 6 | karm or samrpan

कर्म और समर्पण | Day 6 | karm or samrpan

बिन समर्पण भाव के, कर्म न हो साकार! पुष्प तो हर दिन खिलें, सुरभित न हो बयार!
स्वागत प्यारे दोस्तों,साथियों, लगातार साथ बने रहने के लिए! आपने कभी सोचा है प्यारे दोस्तों कि सुबह होते ही कितने सारे काम होते हैं न करने के लिए! यहां तक कि रात को सोने से पहले भी एक लंबी फेहरिस्त होती है हमारे ज़हन में कि ये - ये काम कल निपटाने हैं! ये दुनिया चल ही इसलिए रही है कि कुछ न कुछ चल रहा है हर कहीं! सबकुछ थम नहीं गया! हम सभी के पास अपने अपने काम हैं! हालांकि चाहते तो हम सभी हैं कि हमारे सारे ही काम बेहतरीन हों! पर वास्तव में ऐसा होता नहीं है! read more
Oct 17, 202103:29
क्षमा और शांति | Day 5 | kshama or shanti

क्षमा और शांति | Day 5 | kshama or shanti

सुखी निर्विघ्न जीवन की हम लाख़ रखें महत्वाकांक्षा ! पर बिन क्षमा के सम्भव नहीं शांति की आकांक्षा !
नमस्कार प्यारे दोस्तों, एक बार पुनः स्वागत आप सभी का! आस्था ,विश्वास,धैर्य,संयम,उत्साह,उमंग और दृढ़ संकल्प के बाद आज हम पहुंच चुके हैं नौ दिन नौ रातें और ज़रूरी नौ बातों के पांचवे पायदान पर! जहां बात होगी शांति और क्षमा की! जिसके बग़ैर हम सुखों की कल्पना भी नहीं कर सकते! read more
Oct 17, 202103:19
प्रण और संकल्प | Day 4 | pran or prakalp

प्रण और संकल्प | Day 4 | pran or prakalp

मन का घड़ा जब भरा हो संयम से! विश्वास अटूट,अडिग खड़ा हो! बड़े सपने तो सभी देखते हैं उत्साह से! क्यों न इस दफ़ा संकल्प भी बड़ा हो!
नमस्कार प्यारे दोस्तों, आप सभी का बहुत बहुत स्वागत और धन्यवाद मेरे वीडियोज़ को लगातार सुनने,समझने के लिए! तो आइए करते हैं शुरुआत । अक्सर यूं होता है न कि लगभग हर रोज़ ही हमारे मन में जागती हैं कई कई ख़्वाहिशें! दिल ये अरमानों से भला कब खाली रहता है! फ़िर ख्वाहिशों के पीछे पीछे उग आते हैं हज़ार हज़ार इरादें भी! मगर लाख़ चाहने पर भी इरादें टूट टूट जाते हैं! और अधूरी रह जाती हैं ख़्वाहिशें तमाम! read more
Oct 17, 202103:15
उत्साह और उमंग | Day 3 | utsah or umang

उत्साह और उमंग | Day 3 | utsah or umang

"उत्साह और उमंग न हो तो, हो कैसे शुरुआत! बस भावों के रहने से ही,बने न मन की बात!"
नमस्कार प्यारे दोस्तों, स्वागत है आप सभी का आपके अपने यूट्यूब चैनल "लाइफेरिया" के इस मंच पर जहां आज हम बात कर रहे हैं "नौ दिन नौ रातें,और ज़रूरी नौ बातें! " जिसके अंतर्गत अबतक हम बात कर चुके हैं आस्था और विश्वास की,धैर्य और संयम की! और आज हम प्रस्तुत हैं उत्साह और उमंग पर बात करने के लिए जिसके अभाव में जीवन के उत्सव की कल्पना भी सम्भव नहीं! जीवन जो हर पल बस बीते ही जा रहा है ! read more
Oct 17, 202103:56
धैर्य और संयम | Day 2 | dhairya or sanyam

धैर्य और संयम | Day 2 | dhairya or sanyam

धैर्य और संयम के बग़ैर पकने न पाए फ़सलें भी खेतों में! हमारा विचलित होना न होना, है हमीं के हाथों में!!
जी हाँ! प्यारे दोस्तों , आज हम पहुंचे हैं "नौ दिन,नौ रातें! और ज़रूरी नौ बातें!" की दूसरी कड़ी में जिसके अंतर्गत आज हम बात कर रहे हैं धैर्य और संयम की। read more
Oct 17, 202103:03
आस्था और विश्वास | Day 1 | astha or vishwas

आस्था और विश्वास | Day 1 | astha or vishwas

"बिन आस्था विश्वास के, बस कागज़ के फूल! न सुगन्ध न कोमलता, जमी रहे बस धूल!" नमस्कार प्यारे दोस्तों, आप सभी को नौ रात्रियों की हार्दिक शुभकामनाएं! और इसी बहाने आज हम शुरू कर रहे हैं एक नई शृंखला नौ दिन नौ रातें, और ज़रूरी नौ बातें! तो आज पहली कड़ी में हम बात कर रहे हैं आस्था और विश्वास की । read more
Oct 17, 202103:41
Meditation Poem | चलो भाग चलें भीतर की ओर

Meditation Poem | चलो भाग चलें भीतर की ओर

Jul 31, 202102:08
Afternoon Poem | दोपहर hindi
Jul 30, 202103:20
Corona Poem | कोविड 19 "नहीं...नहीं!"

Corona Poem | कोविड 19 "नहीं...नहीं!"

क्या-क्या हो रहा है न इन दिनों ! सोना चाहो तो नींद नहीं ! आँख खुले तो चैन नहीं ! भोजन मिले तो भूख नहीं ! जल मिले तो प्यास नहीं ! फुर्सत में तो हम सभी हैं पर बेफ़िक्र हममें कोई नहीं ! घण्टों बैठे रहें मगर दिल को कहीं आराम नहीं ! सारा परिवार घर में ही हैं पर हँसी ख़ुशी की शाम नहीं !ऑफ़र तो ढेरों थे पर क्या धंधा ज़ीरो हुआ नहीं !और कारोबारी कैसे बचे ? जब कारोबार ही बचा नहीं ! स्कूल नहीं, कॉलेज नहीं, ऑफ़िस नहीं, बाज़ार नहीं, ज़िंदा लोगों की बस्ती में ,बन्दे सारे ज़िंदा नहीं! तन से कुछ-कुछ ज़िंदा भी हैं पर मन से सारे ज़िंदा नहीं ! आधे जीकर, आधे मरकर हमने जाना सत्य यही कि झूठे सारे रिश्ते नाते, इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं ! read more - www.lifearia.com/poem-on-corona-virus-covid-19-in-hindi/
Jul 27, 202103:41
Gulmohar udash hai | गुलमोहर उदास है! | A Poem

Gulmohar udash hai | गुलमोहर उदास है! | A Poem

'हाय-वे’ के किनारे… एक अकेला गुलमोहर ,बस रह गया है! “सड़क चौड़ीकरण” में उसका एक-एक साथी जाता रहा ! बस गुलमोहर ही रह गया है अकेला ! अफ़सोस है उसे अपने किनारे होने का…यूँ चीखा वो तब भी था जब कट रहे थे उसके हमसाये ! -“बख़्श दो इन्हें ! किस बात की सज़ा देते हो?? मगर सज़ा ये ‘उसके’ लिए थी ! अकेले छूट जाने की !
May 15, 202102:25
सोचने वाली बात 06 | ज़िन्दगी यदि सवाल है तो जवाब भी ज़िन्दगी ही होना चाहिए…मौत नहीं !

सोचने वाली बात 06 | ज़िन्दगी यदि सवाल है तो जवाब भी ज़िन्दगी ही होना चाहिए…मौत नहीं !

ज़िन्दगी यदि सवाल है तो जवाब भी ज़िन्दगी ही होना चाहिए…मौत नहीं! सोचनेवाली बात है न ! कि हमेशा तो नहीं !!! पर हाँ ! अक़्सर सवालों में ही कहीं छुपे होते हैं जवाब भी…..वैसे ही जवाबों का धुआं है, तो यक़ीनन सवालों की आग भी धधक ही रही होगी कहीं!! और जैसे लाजवाब होती हैं बाते कईं …..वैसे ही नहीं खोजे जाते हैं जवाब ,जिनके सवाल नहीं हुआ करते….और इसीलिए बरबस हम कह उठते हैं कई दफ़ा कि “सवाल ही नहीं उठता” (ग़ौर तलब है कि हमारी सोच,हमारा परसेप्शन भी सवालों को जवाब, और जवाबों को सवाल बनाने के लिए पर्याप्त होता है ।)

May 15, 202103:44
What is Importance of Prayer | प्रार्थना का महत्व | हम प्रार्थना क्यों करते हैं ?
Apr 20, 202105:18
विचार प्रबंधन | Thought Management | how to think positive ?

विचार प्रबंधन | Thought Management | how to think positive ?

विचार प्रबंधन पर सुनिए विचार by Dr. A. Bhagwat एक विचार बस अभी अभी आया है । बस कुछ  ही क्षणों में ये बीत जाएगा बग़ैर अपनी कोई निशानी छोड़े  और  कोई दूसरा  विचार उसका स्थान ले लेगा फिर कुछ इसी तरह  तीसरा, चौथा  और  पाँचवा विचार ! विज्ञान कहता है कि प्रतिदिन हमारे मन में लगभग  50 हज़ार  विचार आते  हैं ।  और ये सभी हमनें  आमन्त्रित नहीं किए होते  वरन्  स्वतः आगमित होते हैं । हमारे लिए किसी सोचे हुए विषय या विचार  पर भी ; बहुत लम्बे समय तक बने रहना सम्भव नहीं है । कभी शीघ्र और कभी कुछ समयांतर पर कोई दूसरा , तीसरा विचार  बीच- बीच में हस्तक्षेप अवश्य  करता है । फिर हमें स्मरण होता है कि हम किसी विषय विशेष  पर  विचारमग्न थे और हम पुनः उसी विषय पर आने का प्रयास करते हैं । परन्तु  फिर कोई अन्य विचार हमें आकर्षित करता है और ये क्रम चलता रहता है....Read More..https://www.lifearia.com/how-to-think-positive-in-hindi/

Apr 20, 202107:21
Earth Day Special | पृथ्वी के पक्ष में पेड़ों के हक़ में… | 22 April

Earth Day Special | पृथ्वी के पक्ष में पेड़ों के हक़ में… | 22 April

प्यारे दोस्तों, आप सभी को पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !! बात पृथ्वी की होगी तो पेड़ों तक भी पहुँचेगी । वो पेड़ जो लाख़ झड़ चुके पत्तों के बावज़ूद खड़े रहा करते हैं , फ़िर लौटने वाली बहारों की ख़ातिर …कि ज़रुर वो उगे थे कोमलता को लिए …हरदम बदलते मौसमों को बर्दाश्त करते हुए भी…वो बने रहें ,वो बने रहेंगे…कि बने रहना ही फ़ितरत है उनकी….वो यही सिखाते भी हैं कि बने रहो बस……बदलो जितना मुमकिन है बदलना…..छोड़ों जितना मुमकिन है छोड़ा जाना ……उतना ही लो जितना हो ज़रूरी….. https://www.lifearia.com/earth-day-2021-in-hindi/

Apr 20, 202102:38
सोचने वाली बात 05 | Love You Zindagi

सोचने वाली बात 05 | Love You Zindagi

सुनो ! खाना ठंडा हो रहा है जल्दी खाओ ! ट्रेन निकलने को है, जल्दी पकड़ो भाई ! ऑफ़िस नहीं जाना क्या ? उठो जल्दी उठो ! कबतक सोते रहोगे ? परीक्षाएं सर पर हैं ,चलो उठो ,पढ़ाई करो !  अलग करो भाई! गिला और सूखा कचरा, कचरा गाड़ी आगे निकल जाएगी! अरे! बंद करो कुकर तीन सिटी आ चुकी है !जल्दी बंद करो मोटर, पानी की टँकी ओवर फ्लो हुए जा रही है!!! उफ़!!! क्या भागम भाग है न !!

Apr 20, 202102:47
सोचने वाली बात 04 | दिल पर ले ले यार... और दिमाग पर भी

सोचने वाली बात 04 | दिल पर ले ले यार... और दिमाग पर भी

पंछी को क्या पता कि कौन शिकारी घात लगाए बैठा है...कल मिला था जो दाना पानी वो आज नसीब भी होगा या नहीं !! पर इस एक ख़याल से ही वो रद्द नहीं कर देता उड़ानें अपनी ! कि उसको यक़ीन है अपने पंखों से कहीं ज़्यादा अपनी परवाज़ों पर, अपने फैसलों पर, अपने हौसलों पर ! और इसीलिए वो बैठा नहीं रहता शाखों पर, घोंसलों  में....भूख प्यास से मर जाने के लिए !!.............

Apr 20, 202103:35
सोचने वाली बात 03 | क्या ये भी दूसरे ही तय करेंगे कि हमारे जीने की दशा और दिशा क्या होगी !

सोचने वाली बात 03 | क्या ये भी दूसरे ही तय करेंगे कि हमारे जीने की दशा और दिशा क्या होगी !

आपने देखा होगा कि अक्सर  हमारे परिवार में ही ,हमारा कोई अपना ही, ऐसा होता है जो परिवार के बाक़ी दूसरे सदस्यों के लिए आफत बना होता है ! बाक़ी सारे उसके व्यवहार से हैरान - परेशान होते रहते हैं ! पर कुछ कह नहीं पाते ! कुछ कर नहीं पाते !  डर, असुरक्षा या लोक लिहाज़ के चलते !..............

Apr 20, 202104:43
सोचने वाली बात 01 | अक्सर हम सोचा हुआ क्यों नहीं कर पाते ?

सोचने वाली बात 01 | अक्सर हम सोचा हुआ क्यों नहीं कर पाते ?

स्वागत है आप सभी का आपके अपने "लाइफेरिया" के इस मंच पर जहां आज हम शुरुवात कर रहे हैं श्रृंखला  "सोचनेवाली बात"

Visit our website - https://www.lifearia.com

Apr 20, 202103:23
No school = No Fees = No Salary = No Teachers = No Education

No school = No Fees = No Salary = No Teachers = No Education

While the world suffers due to the impact of this Pandemic (COVID19) , all the sectors including the education sector is facing a lot of difficulties in being able to manage studies through online platforms. At the same time the lack of support shown by the parents associations is a big challenge in front of educational institutions.

Apr 16, 202105:16
Mind During The Covid19 Era (कॅरोना मनस्थिति)

Mind During The Covid19 Era (कॅरोना मनस्थिति)

This video portrays the journey that our mind has gone through in the last few months... All the quotes are created by Dr. A. Bhagwat.  Hope you like it

Apr 16, 202104:23
कॅरोना का ख़त, सेनेटाइज़र के नाम | letter of corona, name of sanitizer

कॅरोना का ख़त, सेनेटाइज़र के नाम | letter of corona, name of sanitizer

It is human tendency to first make jokes then take things seriously and at last start the cycle again. Perhaps this is what happened during the pandemic.  

Here's a poem written and recited by Dr. Bhagwat !  Hope you like it...

Apr 16, 202103:14
दरवाज़ें | The Doors

दरवाज़ें | The Doors

Another poem written and recited by Dr. Bhagwat

Apr 16, 202101:21
Ekaant (एकांत) Alone

Ekaant (एकांत) Alone

जानिए इस कॅरोना काल में एकांत का महत्व, डॉ. भागवत की स्वरचित कविता 'एकांत' के माध्यम से ...

Apr 16, 202101:08
आलिंगन | Embrace Love

आलिंगन | Embrace Love

Poem was written and recited by Dr. A. Bhagwat.

Apr 16, 202101:33
ज़िन्दगी पॉज़िटिव, कॅरोना नेगेटिव | life positive, corona negative

ज़िन्दगी पॉज़िटिव, कॅरोना नेगेटिव | life positive, corona negative

Lifearia aims at spreading positivity in such difficult times..

Apr 16, 202102:51
नेकी की दीवार | Goodness Wall

नेकी की दीवार | Goodness Wall

Neki Ki Deewar; a poem written and recited by Dr. A. Bhagwat

Apr 16, 202101:12
तुम पंछी मैं शाख़ | You bird, I am Branch

तुम पंछी मैं शाख़ | You bird, I am Branch

beautiful poem was written and recited by Dr. A. Bhagwat

Apr 16, 202101:33
Parents | अभिभावक

Parents | अभिभावक

A poem written and recited by Dr. Anamika Bhagwat

Apr 15, 202105:54
Khidki | खिड़की

Khidki | खिड़की

Poem 'Khidki' written and recited by Dr. A. Bhagwat

Apr 15, 202100:42
Candle | मोम

Candle | मोम

The real reason behind why a candle burns

Apr 15, 202101:20
Rishtey | रिश्ते

Rishtey | रिश्ते

Lifearia presents the poem 'Rishtey' written by Dr. A. Bhagwat.

Apr 15, 202101:18
Khwaab - a memory, a dream

Khwaab - a memory, a dream

Poem - Khwaab Written and Recited by Dr.A. Bhagwat

Apr 15, 202101:10
Mohabbat | मोहब्बत

Mohabbat | मोहब्बत

Have you ever fallen in love but never expressed it ?? Here's a poem for all such people out there !!

Apr 15, 202101:53
कोना | Corner

कोना | Corner

The poem "Kona" written and recited by Dr. A. Bhagwat.

Apr 15, 202100:44