Renu Records विचारों से व्यंग्य तक | Hindi Podcast
By Renu Devpura
Collection of my satires and articles, written on various social and contemporary issues
Renu Records विचारों से व्यंग्य तक | Hindi PodcastApr 17, 2021
खुशी की गोतें | Khushi Ki Gotein (Satire)
मलाल है न 🙇♂️
ज़िन्दगी में 🙆🏼♀️
करना क्या है 🤷🏻♂️
खुशी का 🥸
सोशल डिस्टेंसिंग | Social Distancing (Satire)
दायरे ‼️
फांसले🧍 🧍♀️
रखें कैसे 🥺
सीखें हमसे ✌️
न होने का डर | Na Hone Ka Darr (Satire)
लगे रहो 🧐
जुटे रहो 🤖
Online रहना ही 📲
जीवन है 🤙
चलके पर सेमिनार | Chalke Par Seminar (Satire)
जो कुछ है ✊
थोथा पन है 👎
सार का 👌
क्या करना 🙄
पीढ़ी दर पीढ़ी | Peedhi Dar Peedhi (Satire)
अधिकारी हो 👎
उत्पीड़न की 😨
पुरुष सत्ता में 💪
हे नारी 🧕🏻
संवेदना संदेश | Samvedna Sandesh (Satire)
मौका कुछ भी हो ⚰️
स्थान कोई भी हो 😨
उद्देश्य सिर्फ एक 👆
बस हमारा नाम हो 😎
यमलोक हुआ कम्प्यूटराइज | Yamlok Hua Computerize (Satire)
पाप-पुण्य ⚖️
लेखा-जोखा 🖋️
क्या परवाह 😏
होगा तब होगा 👎
तुम हो तो हम हैं | Tum Ho To Hum Hain (Satire)
तुम पूजनीय हो🙏
हमारे वन्दनीय हो🙇♀️
बशर्ते बने रहो 👍
बेरोजगार🙍♂️🙍♀️
इच्छा-पत्र | Ichha-Patra (Satire)
सुधर जाओ 🤐
या सिधर जाओ ⚰️
समय रहते ⏳
समझ जाओ 🥺
बासंती बहार | Baasanti Bahaar (Satire)
सरसों, बौरों,🌾
कोयल, भंवरों,🐝
तुम बिल के दायरे में भी हो।📜
हमारे ध्यान के शिकंजे में भी।💢
खुदा ही खुदा है | Khuda hi Khuda hai (Satire)
खोदना जरूरी है⛏️
खो देना मंजूर है😫
विकास बाबा👹
हम सबका प्रिय जो है😘
आओ समय बिगाड़ें | Aao Samay Bigadein (Satire)
जितना चाहो 🙆♂️
जैसे चाहो 🤷🏻♂️
समय का क्या है ⏳
मजे से उड़ाओ 💃🕺
गणतंत्र की हिलोरें | Gantantra Ki Hilorein (Satire)
अधिकार मेरे 👈
कर्त्तव्य तुम्हारे 👉
वाह भारत 👍
सही जा रहे हो 🤙
दिखाने के और | Dikhaane Ke Aur (Satire)
नकली ही सही 🎭
बस चमक चाहिए 💥
दांतों में भी🦷
बातों में भी 🤷🏻♂️
ठण्डी हवाओं | Thandi Hawao (Satire)
कड़ाके की ठंड है🥶🧥
बर्फबारी, बारिश ❄️🌧️
यही तो मौसम है⚡
कबड्डी-कबड्डी का🤼♂️
संकल्प के सौन्दर्यमान | Sankalp Ke Saundryamaan (Satire)
अमल मत करो ❌
बस दृढ़ निश्चय ✊
करके देखो 🤓
अच्छा लगता है 🤪
बैठा बनिया | Baitha Baniya (Satire)
इधर का उधर 👈👉
उधर का इधर 😉
इस इधर-उधर में😎
किधर का किधर🤔
क्या लिखूं, कैसे लिखूं? | Kya Likhoon, Kaise Likhoon? (Satire)
लोग पढ़ने को तैयार बैठे हैं📖
समय ही समय है उनके पास🕰️
लिखने भर की देर है✍️
तुम कुछ लिखो तो लेखकों 📝
वसीयतनामा | Wasiyatnama (Satire)
कमाओ,खूब कमाओ💰
उड़ा दो खाने-पीने में🍔🍾
मौज - मस्ती में 💃🕺
और बीमारियां पालने में🩺🛏️
चप्पा-चप्पा, चस्पा-चस्पा | Chappa-Chappa, Chaspa-Chaspa (Satire)
जिसे देखो👆
जहां देखो👉
जब देखो👇
चिपकाने में लगा है🖼️
रंगीले रतन | Rangeele Ratan (Satire)
दिल का मामला💘
दिल से ही समझना चाहिए💓
लोग मूर्ख हैं जो😬
इसमें भी दिमाग लगाते हैं🧠
देश के प्रिय | Desh Ke Priy (Satire)
पृथ्वी को लपेटा था तुमने 🌍
किसी ने तुम्हें लपेट दिया 👥
सांस लेना प्लास्टिक में 👹
कैसा होता है, पता तो चला 😩
सातवीं इन्द्रिय | Saatvi Indri (Satire)
बिना उसके सब रुक जाता है 🚫
दिल की धड़कन भी 💓
मानव शरीर की ये अनिवार्यता📱
अब आन्तरिक होनी चाहिए 🤳
मैं बेकार हूँ | Main Bekaar Hoon (Satire)
बेकार लोग बेकार दिखते हैं 🥺
हमेशा बेकार कहलाते हैं ☹️
बेकार ही समझे जाते हैं 😬
और बेकार क़रार दिये जाते हैं #️⃣
छूट का चन्दन | Chhoot Ka Chandan (Satire)
बचत पैसा बचाने से नहीं💰
खर्च करने से होती है🎊
जितना खर्च उतनी छूट💬
ज्यादा छूट ज्यादा बचत💸
रावण लीला | Ravan Leela (Satire)
हंस के हिस्से दाना तिनका 🌾🦢
कलयुग के लिए तय था🙄
त्रेता के आदर्श🙏
किताबों में ही मिलेंगे 📖
जय माता दी | Jai Mata Di (Satire)
धन💰 चाहिए तो लक्ष्मी माता
ज्ञान 📖 चाहिए तो सरस्वती
शक्ति 💪चाहिए तो मां दुर्गा
कुछ भी चाहिए तो माता ही याद आती हैं🙏
गुलाब जामुन - एक सामजिक सरोकार | Gulab Jamun - Ek Samajik Sarokar (Satire)
मुखौटा है असली चेहरा,
मोटी चमड़ी पहचान।
हमें चाहिए अपनी मस्ती,
बाकी सबसे हम अनजान।
ऍफ़. आई. आर. | F.I.R. (Satire)
पेड़ ईंटों के,
पहाड़ प्लास्टिक के,
जंगल सीमेंट के,
हमने प्रकृति तक को विकसित कर दिया।
कल आज और नल | Kal, Aaj Aur Nal (Satire)
पानी की क्या परवाह करना,
वो तो फैक्ट्रियों में बना लेंगे।
हमें सिर्फ बच्चों के आर्थिक भविष्य,
और भौतिक सुखों की चिंता करनी चाहिए।
मनोरंजन के दिन | Manoranjan Ke Din (Satire)
उदासी जीवन रस सोख लेती है।
दिल पर बुरा असर डालती है।
मुद्दे असली है या नहीं,
हमें क्या फर्क पड़ता है?
सहज माफ़ी का दौर | Sahaj Maafi Ka Daur (Satire)
गलती करके परेशान न हों..
मनुष्य है ही गलतियों का पुतला..
सीख,सबक, सुधार के सिवाय..
कुछ और भी बेहतर हो सकता है।
बंदोबस्त | Bandobast (Satire)
या फिर.... सौंप
दो अपनी मेहनतकश जमाओं को उन्हें,
जो आपके धन से खा पी कर मज़ा करें।
बड़ी देर भई नंदलाला | Badi Der Bhai Nandlala (Satire)
देर नहीं, तो अन्धेर कैसे हो?
अन्धेर नहीं, तो आश्वासन कैसे हो?
आश्वासन नहीं, तो भाषण कैसे हो?
भाषण नहीं, तो शासन कैसे हो, प्रशासन कैसे हो?
शूर वीर ये भी कम नहीं | Shoor Veer Ye Bhi Kam Nahi (Satire)
वीरता नहीं दिखाना कायरों का काम है,जो हम कतई नहीं हैं।
सीमा पर नहीं भेजोगे तो गली - मुहल्ले - शहर, जहां हम हैं उसी को रणक्षेत्र बना बहादुरी दिखा देंगे।
खून है तो खौलेगा ही।
अजीब आदमी है, आदमी | Ajeeb Aadmi Hai, Aadmi (Satire)
बुद्धि ने उसे बेवकूफ बनाया,
उसने कायनात को बेवकूफ बनाया।
सबको जीतने के चक्कर में,
स्वयं से हारता चला गया।
सुखी होने के लिए खूब दुःख दिये खुद को,
इतने दुःख पा कर कैसे सुखी हो सकता था।
ब्रेक के बीच में | Break Ke Beech Mein (Satire)
दिमाग का दही कर दिया इन विज्ञापन बना कर माल बेचने वालों ने। होने और दिखाने में जमीन आसमान से कम का अंतर नहीं होता।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की गर्दन इनके शिकंजे में है और उससे चिपके रहने के कारण हमारी भी।
ये बेवकूफ समझ कर बेवकूफ बनाते हैं या बेवकूफ बना कर बेवकूफ समझते हैं।
इतनी सी बात | Itni Si Baat (Satire)
समझदारी और परिपक्वता नहीं,चमड़ी की रंगत ही,चरित्र और बुद्धि की श्रेष्ठता निर्धारित करती है।
गोरे दूध के धुले हैं और काले .....
हम भारतीयों का रंगभेद दुनिया में सबसे उम्दा किस्म का है, ये दूसरों के लिए प्रर्दशन में विश्वास नहीं करता।
ये यकीन करता है अपने परिवार, समाज की सांवली/काली बेटियों पर प्रहार में।
नेगेटिव पॉजिटिव | Negative Positive (Satire)
ये हो क्या रहा है?
नेगेटिव रहने के लिए सोच को पाॅजिटिव होना जरूरी बताया जा रहा है। पाॅजिटिव आ जाने पर नेगेटिव करने की कोशिश की जा रही है।
नकारात्मक समझदार माना जा रहा है, और सकारात्मक बेचारे पर ढ़ेरों प्रश्न दागे जा रहे हैं।
वारियर्स ये भी | Warriors Ye Bhi (Satire)
वायरस शब्द ने तो हाल ही में प्रसिद्धि पाई है जबकि वायरल शब्द बहुत पहले से चर्चित रहा है।
सन्देश कैसा भी हो, वायरल करने के पुनीत कार्य में लगे वारियर्स का उचित सम्मान होना जरूरी है।
ग्रुप के सभी सदस्य अपने स्तर पर कितना परिश्रम करते हैं तब कहीं जाकर दिमाग का एनकाऊंटर हो पाता है और आशातीत परिणाम आ पाते हैं।
दुश्मन बनिया | Dushman Baniya (Satire)
बाजार हथियाने के एक से एक हथकंडे मुझे आते हैं।
दूसरे देशों के उत्पादों ही नहीं अर्थव्यवस्था को पटखनी देकर मैं यहां तक पहुंचा हूं।
तुमसे कमाए को तुमसे कमाने में लगा देने का तरीका मुझे पता है और तुम्हारे खिलाफ लगाना भी।
मैं, दो पाया | I, The 2 Legged (Satire)
मेरे पैर दो और तुम्हारे चार। कहने को तो फर्क सिर्फ दो पैरों का है। लेकिन कपाल के भीतर का तन्त्रिका- तन्त्र जिसे बुद्धि कहते हैं वो खास है।
मैंने अपनी विलक्षण बुद्धि का उपयोग ऐसा किया कि तुम चौपायों को जानवर बना दिया।
मै नहीं होता तो अपना लम्बा जीवन तुम्हें पूरा बिताना पड़ता। तुम्हें जीव-बन्धन से मुक्ति दिलाने के लिए ही मैं रात- दिन लगा रहता हूं।
कोई कारण नहीं | No Reason At All (Satire)
अपनी समझदार संवेदनाओं को संभाल कर रखिएगा। पीड़ित व्यक्ति के जिन्दा रहते ही खर्च कर दी तो उसके मरने के बाद क्या करेंगे?
कहां से लाएंगे Social Media पर सार्वजनिक करने के लिए शहद में डूबे अच्छे - अच्छे शब्द और वाक्य विन्यास?
कैसे दिखाएंगे अपना ज़िम्मेदार नागरिक होना?
कैसे प्रर्दशित करेंगे कर्त्तव्य परायण परिवार, समाज और देश होना?
भगवान् तुम्हारे हाथों में | Bhagwan Tumhare Hathon Mein (Satire)
ये हमारी भलमनसाहत है, कि हमने लोगों की तकलीफें दूर करने का काम चुना है। सरकार सभी की परेशानियों का निराकरण नहीं कर पा रही थी। उसने हमसे हाथ बंटाने के लिए कहा तो हम जुट गए तन-मन-धन से।
Jahan Hai To Jaan Hai | जहान है तो जान है (Satire)
दो - ढाई महीने तो लगे, आखिरकार हम कोरोना से negotiation करने में सफल रहे। वह सिर्फ और सिर्फ रात को सक्रिय होने के लिए मान गया। इसलिए दिन को lockup से बाहर कर दिया, जबकि रात अभी कुछ और दिन- महीने वहीं रहेगी।
Outcry | हो हल्ला (Satire)
There is the same routine, peace in the morning and evening in the house, but the world outside is seen changing rapidly every day. An echo of ruthlessness is also heard with many voices.
Everlasting after-effects of the lockdown (Satire) - तुम्हारे जाने के बाद (व्यंग्य)
Adapting to the New Normal - मरता, क्या न करता?
स्वतः नहीं, ज़बरदस्ती ही सही।
#corona #covid19 #lockdown #positivity #adaptingtothenewnormal
History Of Pandemics - महामारियों का इतिहास और इतिहास पर उनका प्रभाव
हमारे लिए यह स्थिति बिल्कुल नई और असाधारण है। अपने-अपने तरीके से हम इसे समझने और इससे सामंजस्य स्थापित करने में लगे हैं। हमारी सोच को सहारा देने में इतिहास के सन्दर्भ महत्वपूर्ण भी हैं और दिलचस्प भी।
महामारियों का इतिहास और इतिहास पर उनका प्रभाव, मेरी कलम से,
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