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सपनेवाली | Sapnewaali

सपनेवाली | Sapnewaali

By Surabhi Yadav

सपनेवाली, साझे सपने का कार्यकर्म है जिसमें युवक युवितया उन लोगो से चर्चा करते है जिनसे लीक़ से हट कर कुछ हासिल किया हो | इन मुलाकातों में उम्मीद है, और मज़ा है - ऐसी बातें जो दिल को रोशन कर दे | इस कार्यक्रम का सूत्रधार साझे सपने है जो गांव की युवतियो को कुशल, सक्षम बनाने और कमाई के रास्ते खोलता है | जुड़ने के लिए इमेल करे: soochna@Sajhesapne.org

Sapnewaali (dreamers) is a podcast by and for young adults talking to people they find inspiring and interesting. Learning about ways to achieve dreams and leadership skills by women leaders and achievers in villages in India. It is a creation of Sajhe Sapne, a social enterprise that helps young women in villages achieve their career aspirations.
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बुंदेलखंड की आवाज़ बुलंद करती सम्पादक: चर्चा ४ । साझे सपने, सपनों से मंज़िल तक

सपनेवाली | SapnewaaliNov 29, 2020

00:00
37:26
चर्चा 9 : वार्ड सदस्य और आशा कार्यकर्ता के रूप में बनाई अपनी पहचान/Established unique identity as Ward member and Asha worker.

चर्चा 9 : वार्ड सदस्य और आशा कार्यकर्ता के रूप में बनाई अपनी पहचान/Established unique identity as Ward member and Asha worker.

यह कहानी है मोरा जी की, जो हिमाचल प्रदेश के नैण गांव की रहने वाली हैं। इन्होंने आशा कार्यकर्त्ता और वार्ड सदस्य के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। मोरा जी अपने गांव की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं, जिन्हें देख कर आस-पास की महिलाओं को भी कुछ हटकर करने का ज़ोश मिला। 

This is a story about Mora Ji, who belongs to the village of Nain in Himachal Pradesh. She has made a distinct identity for herself as an Asha worker and ward member. Mora Ji is an inspiration for the women of her village, and her enthusiasm has encouraged women in the surrounding areas to do something extraordinary.



Mar 30, 202327:02
सपनेवाली चर्चा: 8 | मेरे एक निर्णय ने बदला मेरा करियर

सपनेवाली चर्चा: 8 | मेरे एक निर्णय ने बदला मेरा करियर

यह कहानी है बिहार के गांव से संबंध रखने वाली एक लड़की की, जिसने करियर बनाने के लिए अपने जीवन में बहुत सारे निर्णय लिए हैं। जो आमतौर पर बहुत ही कम ग्रामीण लड़कियाँ कर पाती है। निर्णय लेने की उसकी यही क्षमता उसे बाकी लड़कियों से अगल करती है। 

Feb 10, 202339:15
सपनेवाली चर्चा: 7 | गाँव में फुटबॉल से हार्वर्ड विश्वविद्यायल तक की सीमा कहानी

सपनेवाली चर्चा: 7 | गाँव में फुटबॉल से हार्वर्ड विश्वविद्यायल तक की सीमा कहानी

आज की चर्चा के हमारी मेहमान है सीमा कुमारी, जो झारखंड के डहु गांव की रहने वाली है। सीमा की कहानी सुनकर आप घर बैठे ही स्पेन की सैर कर लीजिएगा। सीमा एक आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, इन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए साद्री भाषा से इंग्लिश बोलना सीखा और अभी विश्व के जानेमाने विश्वविद्यालय हारवर्ड में जाकर इकोनॉमिक की पढ़ाई कर रही है। इसके साथ ही सीमा एक फुटबॉल प्लेयर भी है। सीमा से बातचीत कर रही हैं सपनेवाली ऋतु यादव, जो साझे सपने के स्टूडेंट रह चुकी है और मुस्कान नाम की संस्था में जॉब भी कर रही हैं।

Oct 31, 202230:55
सपनेवाली चर्चा ६। सपनों की उड़ान। निक्की कुमारी और अदिती ठाकुर

सपनेवाली चर्चा ६। सपनों की उड़ान। निक्की कुमारी और अदिती ठाकुर

क्या आप भी कभी सोचती हो कि आसमान में उड़ना कैसा होता होगा? मिलिए बीड गाँव की अदिति से- ये रोज़ आसमान में उड़ती हैं और अपने साथ और लोगों को भी उड़ाती हैं। अदिति हिमाचल की पहली और इकलौती महिला पैराग्लाइडिंग पायलट हैं। अदिति को यह कदम उठाने के लिए उनके पापा ने प्रोत्साहित किया।और अब उनके लिए बड़े गर्व की  बात है उनकी बेटी को देखकर और लड़कियाँ भी पैराग्लाइडिंग सीखने लगी हैं।  इस एपिसोड में अदिति से उनकी कहानी पूछेंगी साझे सपने कि छात्रा निक्की जो अभी हिमाचल में एक साल का कोर्स कर रही हैं।

May 22, 202123:06
सपनेवाली चर्चा ५ : रिश्ते और सपने - भाग २ | सुरभि यादव और ज्योति कुमारी

सपनेवाली चर्चा ५ : रिश्ते और सपने - भाग २ | सुरभि यादव और ज्योति कुमारी

ज़िन्दगी में कई बार ऐसा होता कि हमारे अपने और सपने साथ नहीं चल पाते | कभी समाज का दबाब तो कभी परिवार से अनबन, यह चीज़ें हमारे अंदर की ज़िद्द को डर में बदल देती है | इन्हीं तरह की उलझनों से भरा है हमारे सपनों का सफर | वैसे तो यह दिक्कतें सभी को आती है पर औरतें पर पारिवारिक और सामाजिक उम्मीदों का बोझ ज्यादा होता है | तो क्या इसका मतलब है हमें सपने पाने के लिए रिश्ते छोड़ने पड़ेंगे, या रिश्ते निभाने के लिए सपने? कुछ ऐसे ही सवाल लेकर आयी है हमारी आज की मेहमान ज्योति कुमारी, सुरभि यादव के लिए। ज्योति अपने गांव कत्रासीन (बिहार) की पहली महिला है जिन्होंने स्कूल पूरी कर आगे बढ़ने की सोची | वह अभी साझे सपने में मैनेजमेंट का कोर्स कर रही है | साझे सपने गांव में रहने वाली औरतों को सक्षम बनाकर उनके करियर बनाता है | सुरभि यादव इस संस्था की संस्थापक है |
आप भी यह चर्चा सुने और आशा है की आपके मन में उठे कुछ सवालों के भी जवाब आपको मिल पाएंगे |
Jan 04, 202124:23
सपनेवाली चर्चा ५ : रिश्ते और सपने - भाग १ | सुरभि यादव और ज्योति कुमारी

सपनेवाली चर्चा ५ : रिश्ते और सपने - भाग १ | सुरभि यादव और ज्योति कुमारी

ज़िन्दगी में कई बार ऐसा होता कि हमारे अपने और सपने साथ नहीं चल पाते | कभी समाज का दबाव तोह कभी परिवार से अनबन, यह चीज़ें हमारे अंदर की ज़िद्द को डर में बदल देती है | इन्हीं तरह की उलझनों से भरा है हमारे सपनों का सफर | वैसे तो यह दिक्कतें सभी को आती है पर औरतें पर पारिवारिक और सामाजिक उम्मीदों का बोझ ज्यादा होता है | तो क्या इसका मतलब है हमें सपने पाने के लिए रिश्ते छोड़ने पड़ेंगे, या रिश्ते निभाने के लिए सपने? कुछ ऐसे ही सवाल लेकर आयी है हमारी आज की मेहमान ज्योति कुमारी, सुरभि यादव के लिए। ज्योति अपने गांव कत्रासीन (बिहार) की पहली महिला है जिन्होंने स्कूल पूरी कर आगे बढ़ने की सोची | वह अभी साझे सपने में मैनेजमेंट का कोर्स कर रही है | साझे सपने गांव में रहने वाली औरतों सक्षम बनाकर उनके करियर बनाता है | सुरभि यादव इस संस्था की संस्थापक है |
आप भी यह चर्चा सुने और अपने लिए नई राहें निकाले |
Dec 31, 202024:53
बुंदेलखंड की आवाज़ बुलंद करती सम्पादक: चर्चा ४ । साझे सपने, सपनों से मंज़िल तक

बुंदेलखंड की आवाज़ बुलंद करती सम्पादक: चर्चा ४ । साझे सपने, सपनों से मंज़िल तक

मीरा जाटव के सपनो की कहानी सुनकर उन्हें बुंदेलखंड की नारीवादी नंबर 1 बुलाने का मन करता है | पिछले २० साल में उन्होंने कई ग्रामीण महिलाओ को पत्रकार बनाया है और गांव के मुद्दों को सरकार और समाज के सामने उठाया है | यह सिर्फ दो समाचार संस्थाओ की संपादक ही नहीं पर दोनों की सह-संस्थापक भी रही है | सबसे पहले ख़बर  लहरिया नाम की सन्स्था संभाली और अब चित्रकूट कलेक्टिव चला रही है | 


मीरा जी ने समाज के दिए हुए हर उस दायरे को लांघा है जो उनको बांधने के लिए बनाया गया था - फिर वह चाहे उनकी दलित जाती की पहचान हो, या पांच बेटियों की माँ होने की ज़िम्मेदारी | उनके पत्रकारिता के करियर में उन्होंने बड़े बड़े डाकुओं का सामना किया, शक्तिशाली व्यवसायी और नेताओ के खिलाफ भी ख़भरे छापी | 


इस एपिसोड में उनकी बेटी दीपिका यह जानना चाहती है की  एक ग्रामीण महिला होकर उन्होंने पत्रकारिता जैसे पुरुष प्रधान छेत्र में किस तरह अपने काम का और अपने सपनो का  परचम लहराया

Nov 29, 202037:26
सपनेवाले गायत्री और सूरज: चर्चा ३ | सौजन्य - साझे सपने

सपनेवाले गायत्री और सूरज: चर्चा ३ | सौजन्य - साझे सपने

सपनेवाली, साझे सपने का कार्यकर्म है जिसमें युवक युवितया उन लोगो से चर्चा करते है जिन्होने लीक़ से हट कर कुछ हासिल किया हो | भारत में करोडो लड़किया है जो स्कूल भी पूरी नहीं कर पाती | हिमाचल के रक्कड़ गांव की गायत्री शर्मा भी उन्ही लड़कियों में से एक थी | इस एपिसोड में गायत्री ने स्कूल छूट जाने से लेकर खुद को अंग्रेजी सीखा कर अमेरिका में पढाई करने के सफर को साझा किया | योल गांव के सूरज थापा के लीये यह चर्चा अपने करियर के अगले पड़ाव की जानकारी लेने के लिए बहुत उपयोगी था | आप भी यह सुने और आगे बढ़ने की प्रेरणा ले |
Oct 09, 202042:14
 सपनेवाली कमला भसीन और सविता वर्मा | सौजन्य से: साझे सपने, सपनों से मंज़िल तक

सपनेवाली कमला भसीन और सविता वर्मा | सौजन्य से: साझे सपने, सपनों से मंज़िल तक

सपनेवाली, साझे सपने का कार्यकर्म है जिसमें युवक युवितया उन लोगो से चर्चा करते है जिन्होने लीक़ से हट कर कुछ हासिल किया हो | इन मुलाकातों में उम्मीद है और मज़ा है - ऐसी बातें जो दिल को रोशन कर दे | इस एपिसोड में झुंझुनू के पिलानी गांव की सविता बात करेंगीं कमला भसीन, जो की जीवन भर एक नारीवादी विकास कर्मी रही है और काफी युवाओ के लिए एक आइकॉन | सविता अपने गांव में पहली युवती है जिन्होंने ना सिर्फ स्कूल खत्म किया पर घर से दूर कॉलेज भी गयी और अपना करियर सोशल सेक्टर में बना रही है | उनसे यह समझेगी की सामाजिक कार्य में करियर बनाने के लिए दिल और दिमाग कैसे पक्का करे | इनकी चर्चा में यह भी निकल कर आता है की अपने सपनो की छलांग लगते हुए अपनों को कैसे साथ लेकर चले | इस कार्यक्रम का सूत्रधार साझे सपने है जो गांव की युवतियो को कुशल, सक्षम बनाने और कमाई के रास्ते खोलता है | जुड़ने के लिए इमेल करे: soochna@Sajhesapne.org
Sep 13, 202048:11
 सपनेवाली संध्या और बबली : चर्चा १ | साझे सपने, सपनों से मंज़िल तक

सपनेवाली संध्या और बबली : चर्चा १ | साझे सपने, सपनों से मंज़िल तक

सपनेवाली, साझे सपने का कार्यकर्म है जिसमें युवक युवितया उन लोगो से चर्चा करते है जिन्होने लीक़ से हट कर कुछ हासिल किया हो | इन मुलाकातों में उम्मीद है और मज़ा है - ऐसी बातें जो दिल को रोशन कर दे |
इन किस्सों के सिलसिले में पहली मुलाक़ात ढुकार (चम्बा) की बबली और कंडबाड़ी (काँगड़ा) की संध्या से होगी | संध्या दानापुर (बिहार ) में पली -बड़ी और अपने कस्बे की
पहली लड़की थी जिन्होंने साइकिल चलाई, इंजिनियरिंग की और अमेरिका जाकर पीएचडी करके वैज्ञानिक बनकर काम भी किया | पिछले कई सालों से वह हिमाचल में आविष्कार नाम की संस्था चला रही है जो सरकारी स्कूलों में विज्ञान और गणित को मजेदार बनाने का काम करती है | बबली भी संध्या की तरह अपने आस पास के माहौल से कुछ अलग करते हुए अपना कैरियर एजुकेशन में बना रही है | इस कार्यक्रम का सूत्रधार साझे सपने है जो गांव की युवतियो को कुशल, सक्षम बनाने और कमाई के रास्ते खोलता है | जुड़ने के लिए इमेल करे:
soochna@Sajhesapne.org
Aug 30, 202031:09