दिल की बात।ध्यान आयुष के साथ।
By Ayush Ghai
शो में आयुष सवालों के जवाब भी देते हैं।अतिथियों के साथ गहरी, दिलचस्प एवं मनोरंजक वार्तालाप भी होती हैं । हसी मज़ाक दिलचस्प वार्तालाप संगीत कविता कहानी के माद्यम से समझ ध्यान भी हो जाता है.
दिल की बात।ध्यान आयुष के साथ।Jan 06, 2019
Psycopath क्या होता है जानते हो, पहचानते हो?
हो सके तो पहचानो व बचो
गांव हिवरे बाजार को सलाम!
गाँव समाज की आत्मा है
कानपूर के मध्यस्थ दर्शन संसथान के राजुल जी US return हैं| उनका संसथान का परिवार, जिसमे IIT कानपूर के लोग भी जुड़े हैं, एक अनूठी पहल के अंतर्गत मानव चेतना विकास की शिक्षा भारत, भूटान व अन्य देशों के अनेकों colleges और परिवारों में दे रहा है | राजुल जी से उनके प्रोजेक्ट, मानवता और गाँव शहर के जीवन पर बात चीत|
दीप्ति, तुम्हारे मन को सलाम
दीप्ति ने अपनी बढ़िया चलती हुई सुप्रीम कोर्ट की law practice छोड़ कर एक दूसरा रास्ता पकड़ा | उसने अपना तन मन धन संसार की सच्ची सेवा में न्योछावर किया | ऐसी प्रेरणादायक स्त्री से इस एपिसोड में उसके सपने की बात |
गुरु शिष्य का पावन रिश्ता - पार्ट 2
गुरु गोबिंद दाउन खड़े, काके लागु पाए? बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताये |
गुरु शिष्य का पावन रिश्ता
गुरु गोबिंद दाउन खड़े, काके लागु पाए? बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताये |
सहकर्मियों के रिश्ते की बात
जिनके साथ काम करते हैं उनसे अपने रिश्ते की सही पहचान केर लें | फिर बहुत अच्छा काम होगा|
भाई-बहन-दोस्ती के रिश्ते का महिमा गान - पार्ट 2
इस एपिसोड में आयुष अपने जीवन की सच्ची कहानी का साथ लेते हुए भाव विभोर होके इस सुन्दर रिश्ते के रूप, गन, स्वाभाव, धर्म को दर्शाते हैं |
भाई बेहेन और दोस्तों को सलाम | तुम्हारी दोस्ती महान है
इस एपिसोड में आयुष अपने जीवन की सच्ची कहानी का साथ लेते हुए भाव विभोर होके इस सुन्दर रिश्ते के रूप, गन, स्वाभाव, धर्म को दर्शाते हैं
कुछ दोस्तों के साथ लोक संगीत और अस्तित्व प्रेम की चर्चा
१ January 2019 को Shampy, Prabhu और Sunny दोस्तों ने surprise visit दी | उनके साथ सुन्दर पुराने लोक गीत और प्रेम की भक्ति भजन हुआ| हमारे बीच का मधुर संगीत सुनिए और आनंदित हो जाइये..
स्त्री पुरुष का पावन प्रेम सम्बन्ध - दो तन एक मन - Part 2
पति पत्नी स्त्री पुरुष boyfriend girlfriend. ये इस रिश्ते के कईं नाम हैं | रिश्ता एक ही है | प्रेमपूर्वक जागृति की और बढ़ने का | नयी पीढ़ी तैयार करने का | दो तन होक एक मन हो जाके जीने का |
स्त्री पुरुष का पावन प्रेम सम्बन्ध
पति पत्नी स्त्री पुरुष boyfriend girlfriend. ये इस रिश्ते के कईं नाम हैं | रिश्ता एक ही है | प्रेमपूर्वक जागृति की और बढ़ने का | नयी पीढ़ी तैयार करने का | दो तन होक एक मन हो जाके जीने का |
एक होके जी जाने में ही सुख शांति समृद्धि
इंसान अपने को जब समझ जाएगा, अपना धर्म समझ जाएगा तो इंसानियत सुखी हो जाएगी |
इंसान का धर्म क्या है?
इंसान अपने को हिंदी मुस्लमान सिख इसे यहूदी अथवा अथवा मंटा चला आया है | आज मेरा तुमसे ये सवाल है की बताओ इंसान होने के नाते इंसान का धर्म क्या है ?
इंसान इंसान से बटा क्यों, कटा क्यों ?
फुलवाना में आतंकवादी हमले में ४४ इंसान को इंसान ने ही मार दिए | ऐसे अनंत फुलवामा होते रहे हैं | ऐसा होता आया है हर देश और हर काल में| ये क्यों होता है ? ये कब रुकेगा? कैसे इसका जड़ से समाधान हो? इसपर dedicated ये तीन एपिसोड |
माता पिता, तुम अपने बच्चे के मैनेजर नहीं हो| तुम उस तीर के कमान हो
माँ बाप वो कमान हैं जिससे बच्चे के रूप में तीर निकलता है | यही धरती पे जीवन की नित्य चलते रहने की और Evolution की और आगे बढ़ने की प्रक्रिया है| यही प्रकृति का खेल है, नियति है | माता पिता को केवल दिशा निर्देश के साथ तीर छोड़ देना है| तीर स्वयं आगे जाएगा और heat seaking missile की तरह निशाने पे लगेगा ही लगेगा| उसको नियति पे छोड़ दो | उसके मैनेजर मत बनो | उसके रखा बनो| वो तीर तुमसे निकल के आगे ही जाएगा, पीछे नहीं|
माता पिता के लिए धकडकता दिल और महिमा गान
ये एपिसोड मेरे शरीर के माता पिता के साथ समस्त सृष्टि के माता पिताओं के लिए हैं | इसमें उनकी महिमा गान है| साथ में ये भी जताया है की माँ के बच्चों को कैसे संसार में बड़ा होने की आवश्यकता है और आयुष इसी राह पे चला है | सुनिए और आयुष के साथ भाव विभोर हो जाइये |
[इंसान के रिश्ते] माता पिता बच्चे का पावन रिश्ता और वंदना - Part 1
बात शुरू होती हैं इंसान के ७ प्रकार के रिश्तों से | १७ मिनट से माता पिता बच्चों के रिश्ते पे बात शुरू होती है | Ayush अपने जीवन की कहानियां सुनते हुए भावुकता समेत इस पावन रिश्ते पर दर्शन देते हैं और हृदय से अपनी कृतज्ञता जताते हैं | | ये और अगले तीन एपिसोड्स हर माता पिता बच्चे को सुन्ना चाहिए|
जीवन और शरीर की आवश्यकताएं जानो, मानो, पहचानो और निर्वाह करो |
[Know, assume, identity and fulfil the needs of your self and your body]
शरीर की आवश्यकताएं आती हैं , जाती है - अस्थायी हैं, समय के साथ बदलती रहती हैं | जीवन की आवश्यकता स्थायी है - वो है नित्य सुख | शरीर और शारीरिकता की सारी आवश्यकताएं गुणात्मक (quantitative) हैं, मात्रा में नापी जा सकती हैं | जीवन की आवश्यकता feeling (अनुभूति) में है - मूल्यात्मक (qualitative) है - मात्रा में नहीं नापी जा सकती | मात्रा से जीवन नहीं, शरीर की ही ज़रूरतें पूरी हो सकती हैं | जीवन हर क्षण सुख मूल्य की अपेक्षा रखता है |
आवश्यकताओं का निर्वाह जानने, मानने , पहचानने और निर्वाह करने के क्रम से होता है | अपना को बिना जाने, कल्पनाशीलता से मंगरंथ आवश्यकताओं व लक्ष्यों को मान के आज मानव जी रहा है| इसलिए तैरने का सतत प्रयास कर तो रहा है पर सुखी होने के लिए चटपटा ही रहा है | इसलिए दुःख और परेशानियों के सागर में डूबा हुआ है | पता नहीं क्या करना है, क्या पाना है जिससे मन को शांति मिले |
योग का भाव और आत्मा पर ध्यान
इस एपिसोड में आयुष भाव के अर्थ (भाव) की बात करते हैं | जैसी आपकी समझ और अनुभव, वैसे ही आपका भाव | योगः क्या है? जुड़ जाने को ही योगः बोला गया| आयुष यहाँ से सह-अस्तित्व से जुड़ जाने के ध्यान की ओर, अपनी चेतना पर ध्यान की ओर लेकर जाते हैं, जो की अगले एपिसोड में भी continued रहेगी |
Additional note: आत्मा हमेशा जागृत होती ही है| दृष्टा पद में होती है| सारा अनुभव यही देखती है और साथ में अनुभव की अभिव्यक्ति भी यही देती है | आत्मा से जुड़ा मन आशा, विचार, इच्छा, संकल्प की शक्ति से संचालित होकर शरीर की इन्द्रियों के माध्यम से संसार को देखता है, चखता है, और जीने के लिए शरीर को क्रिया कार्य के लिए आउटपुट भी देता है | चेतना आत्मा और मन की संयुक्त क्रिया का नाम है | ये गहरी नींद में सोई सी होती है| गहरी नींद में शून्यता होती है | गहरे ध्यान में जब इन्द्रियां inactive होती हैं और मन की क्रियाएं भी शून्य हो जाती हैं, तो उसी शून्यता का "जागृत दर्शन" हो जाता है | आत्मा शून्य (दूसरा नाम परमात्मा) के समान ही है | आत्मा के इसी शून्यता के पर्दे पर मन, शरीर और संसार का अनुभव होता है |
मै शून्य की अनंत चदरिया में होने वाली एक तरंग हूँ
बिना अनुभव का ज्ञान खोखला ज्ञान है | धरती पे ७०० करोड़ मानव कौन सी एक समझ से जुड़ सकते हैं ? वो बात क्या है ? वो बात ये है की सब कुछ एक है | सब कुछ एक ही है | वो अद्वैत है | इस बात पर हर मानव जुड़ जाएगा | प्रेम किसी से एक सा महसूस करना ही है |
अपने को जान लेने का मतलब ये भी जान लेना की मै क्या नहीं हूँ | अपने स्वत्व को ही अहंकार बोलै गया | अहम् से ही अहंकार है | अहम् का मतलब मै हूँ | मै शून्य के क्षेत्र में शेष जड़ और चैतन्य प्रकृति के साथ समाया हुआ हूँ | इस शून्य की अनंत चदरिया में होने वाली एक तरंग हूँ मै |
On relationships, growth, existence, energy, space [Hindi]
This episode starts with casual and light conversation between Ayush and Dhyana about chicks, cuddles, farts, fights - thereby expanding to a talk about relationships. What is a relationship? How can there be happiness, peace, satisfaction and bliss in Self and its relationships? How do we handle dispute? How do we learn from disagreements in relationships to evolve in our journey of self growth? Ayush shares about the existential purpose of Dhyana-Ayush's and in general universal human couple's relationship - evolution and growth of Life as Self and continuity of human tradition on Earth in resolution & bliss.
Then the conversation expands to talk about four orders in Existence and their Dharma (co-existential role in Existence) - i.e. material order, prana (living order like bacteria and plants), animal order, knowledge order (ex. humankind on Earth). He talks how Earth could just be one of the worlds in infinite worlds that exist. He talks how there are two kinds of human consciousness - awakened and asleep. How human only can understand all this, and resolution for life, and not cats or dogs. The day human will understand about Self, Existence and values of life, there will be happiness, satisfaction, peace and bliss in continuity.
From there Ayush talks about how energy is the fabric of all of existence as co-existence. Everything is but energy, interconnected together. Starting from atoms to stones to life.
Life as human. Existence as co-existence. The screen of experience, mind and body [Hindi]
Ayush talks about the nature of material and conscious part of existence and also the Self. He talks about the phenomenon of Life as humans and even as ants and other animals.
The non-dual existence itself is co-existence. A Life as human is dualistic part of Existence, inquiring about the nature of Self as human and Existence as Co-existence. Real knowledge is that which is backed by personal experience. The heart or centre or Atma of Self experiences everything and along with it is the mind which has four parts. On the screen of heart, the mind, body & world is projected like a film. This screen experiences "nothingness" of deep sleep, all the dreams and the waking life. When you rise from deep sleep, emerges first the mind, then the body with the world. This screen is the experiencer of experiences and also the projector that directs the experience.
Ayush also talks about the four orders on Earth, in nature - material order, Prana (living) order, Animal order, Knowledge order (humans on Earth). He explains the Dharma of every order and how every next order builds on top of the previous order. He explains how a human is the culmination of development and evolution process in nature and has full potential to understand his nature in totality. He explains that a Human's Dharma is Happiness, Peace, Contentment and Bliss.
Episode 11 - सब कुछ एक ही इकलौती वस्तु है| मै भी वही हूँ | उसका हिस्सा हूँ|
आयुष बात कर रहे हैं की जो कुछ भी है (सब कुछ) एक ही वस्तु है | ये अलग अलग नहीं है | सब कुछ जुड़ा हुआ, एक ही वस्तु है | और ये वस्तु इकलौती है | कोई दूसरा नहीं |
मै यही हूँ | आयुष, आप और जो कुछ भी है, वह इसी अद्वैत अविभाजित अस्तित्व की इकाइयां है | यदि अस्तित्व सागर है तो हम इसकी बूँदें है| गीता , योग वशिष्ठ , जीसस सब लोगों ने धर्मों ने एक ही वस्तु की बात की| इसी अस्तित्व को ही ईश्वर भी बोला गया |
Episode 11 - मै कौन हूँ?
In this episode Ayush talks about how the whole of Existence is 'one and only' non-dual entity and "we" are all parts of "that" experiencing and understanding itself. He explains what is meant by ancient India texts when they say "I am all that is" . He takes reference from his life journey, ancient India texts like Bhagvat Geeta, Yoga Vashishtha and teachers from India and South America.
Episode 10
आयुष की इस जीवनकाल में स्वयं परिचय और ईश्वर खोज की कहानी की शुरुआत |
जॉब, बिज़नेस के बीच में स्वयं ईश्वर की खोज की नयी जिज्ञासा | उसी क्रम में १० दिन का विपस्सना ध्यान, गीता पाठ | फिर कॉलेज के दो सीनियर्स ले गए उसको धर्मशाला उसी के सवालों के जवाब से साक्षात्कार कराने | उसे उनसे दक्षिण अमेरिका का अध्यात्म से परिचय हुआ | चलते चलते एक अलौकिक घटना ऐसी हुई की वो उन गुरु भाइयों के साथ अपने को धरमसाला में अघंजर महादेव मंदिर के किनारे नदी के तट पे एक जादू की सी स्थिति में पाया और ऐसा बोध हुआ की वो इसी प्रकृति के साथ एक है | उसे जीवन में पहली बार आनंद का दर्शन हुआ | उसे लगा की शायद यही प्रेम है | उस दिन उसका जीवन बदल गया था |
Episode 9 - Conversation with Federico the sailor
In this episode, Ayush and Federico, two humans abroad the ship of Lifemaker, having identified the challenges humanity faces and committed to bringing in permanent human resolution on Earth, sit together for a heart to heart conversation and exchange.
Episode 8 - Family rooted human resolution, five dimensions explained
In this episode Ayush talks about the resolution for humanity across five dimensions of Education (Life education, general education) , health (mind + body) , Ecological production and services, economics and cooperation, Self governance. He also talks about family is the unit of resolution for humanity.
Episode 7 - मानवता के लिए समाधान समाधानित परिवारों के योग से ही संभव।
इस एपिसोड में और अगले एपिसोड में आयुष बात करते हैं समाधान के पांच आयाम के बारे में । ये भी बात होती है की परिवार ही मानव और मानवता के समाधान की इकाई है और सार्वभौमिक (Universal ) समाधान जागृत न्यायिक परिवार, जिसमे एक ही सोच हो, ऐसे परिवार के गठन से ही संभव है । बात ये भी होती है की परिवार का योग सबसे बड़ा योग है और ये की आज तक मानव और मानवता के सामने ये परिवार वाली बात प्रस्तुत ही नहीं की गयी है ।
Episode 6 - मानव की आज की स्थिति
आज की तारिख में मानवता की स्थिति और गति पर दर्शन।
Episode 5 - मानव की समस्या
मानव आज ही नहीं, जब से धरती पे आया है क्या समस्या का सामना करता रहा है, क्या नयी समस्याएं उभरी हैं । आयुष के साथ थोड़ा ध्यान इस्पे ही ।
Episode 4 - सुरिंदर और आयुष की दिल से दिल की बात
सुरिंदर और आयुष जो की Lifemaker project के टीम के सदस्य हैं, साथ में बात कर रहे हैं अपने बारे में, जीवन के बारे में , अपने परिवार गाँव के बारे में, अपने सुन्दर सपनों के बारे में.
Ep#3 कर्ता का भाव छोड़ दो तुम भी महान हो जाओगे।
A light, funny and moving talk by Osho Rajnish on how some things happen in Life without a cause, without doing. And those things are of real value. The things that are achieved by doing have a 'price' and are useful only for living. Real 'value' is in things that simply happen, without doing. Price and value are two different things.
Ayush's take - One way to live is with values, and the other is to be sold for a price.
Episode 2 - Intro to show and Ayush continued
In this episode Ayush talks about his realisation how humanity is running in a blind race of "doing", "making money", "spending, consuming", disconnecting from each other, disconnected from our own true nature and running into a trap of its own doom. He talks about that moment in front of his office, when he had this epiphany in 2007.
Pilot
आयुष अपना, शो का और Lifemaker का परिचय देते हैं हसी और मज़ाक के साथ!