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GreyMatters Podcast

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By GreyMatters Communications

GreyMatters Communications is India's leading Communications Consulting firm. The podcast is designed to bring out stories, issues, perspectives and discussions around communications, public relations, political communication, government communication, trends in social media, digital communication, advocacy and public affairs and so on.
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Panch Ka Punchnama

GreyMatters PodcastOct 11, 2021

00:00
05:06
1️⃣4️⃣ Years of #GreyMatters!

1️⃣4️⃣ Years of #GreyMatters!

Tune in to our latest #podcast episode as we celebrate 14 years of our journey. From humble beginnings to impactful campaigns, we're sharing the highs, lows, and lessons learned along the way.



Apr 18, 202404:00
Happy Holi

Happy Holi

Diving into memories of #Holi celebrations on our latest podcast episode!


From childhood joys to cultural significance, join us for a nostalgic journey filled with laughter, joy and the essence of this festival of colours.


Share your favourite Holi memory with us!


#GreyMatters

Mar 24, 202403:16
Exploring the intricate dynamics between PR & Journalists in the digital age.

Exploring the intricate dynamics between PR & Journalists in the digital age.

Exploring the intricate dynamics between PR & Journalists in the digital age. 🎙️✒️


ये रिश्ता क्या कहलाता है? 🤔


Join our colleague @pragyaranjan1 on the #GreyMatters podcast as she shares pearls of wisdom from our director, Dr @navneetanand. With vast experience in both journalism and PR, Dr Anand offers invaluable knowledge, to thrive in media relations & maintaining an impactful connection, you won't want to miss!

Mar 04, 202408:11
InternationalMotherLanguageDay

InternationalMotherLanguageDay

There is no better way to touch the chords of heart than by speaking in our mother tongue.🗣️


Maa, Maiya, Baba, Babuji – sound so earthy, connected & raw.


On #InternationalMotherLanguageDay, immerse yourself in our exclusive podcast.🎙️🎧


Share your mother tongue with us in the comments box. ✉️

Feb 21, 202404:38
Yashasvi Jaiswal's journey

Yashasvi Jaiswal's journey

We dive deep into another episode of 'Triumphs Unveiled', where we unravel the extraordinary journey of young cricketer Yashasvi Jaiswal.

Feb 20, 202403:36
सरस्वती पूजा, 2024

सरस्वती पूजा, 2024

नमस्कार, आप सभी का ग्रेमेटर्स पोडकॉस्ट में स्वागत है।


आज सरस्वती पूजा है और आप सभी को शुभकामनाएं। वैसे आपको अपना बचपन याद है जब सरस्वती पूजा का बेसब्री से इंतजार रहता था। इसकी तैयारी में हम चार पांच दिन पहले से लग जाते थे। शुरुआत होती थी मोहल्ले में घर घर जा कर चंदा इक्कट्ठा करने से। सरस्वती पूजा की तैयारी में सारी सारी रात जागना, नई नई साड़ियों से मंडप को सजना, आधी रात तक मंडप में मूर्ति लाना, फिर उसे सजाना, और पूजा के दिन सुबह से ही प्रसाद काटने में लग जाना, कितना कुछ होता था सरस्वती पूजा में! सभी बच्चे अपने अपने तरीके से लगे रहते थे। और इस दिन हमें पढ़ाई से भी छुट्टी मिल जाती थी। जो सबसे टफ सब्जेक्ट होता था, हम वही किताबें मां शारदे के आगे रखते थे ताकि हम अच्छे नंबर आए।


सरस्वती पूजा बचपन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके साथ ही एक nostalgia का भी अहसास है। यह त्योहार न केवल शिक्षा की महत्ता को उजागर करती है, बल्कि बचपन के खुशी और उत्साह को भी साकार करती है। सरस्वती पूजा के दिन बच्चों को विद्या की देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनकी पढ़ाई और सीखने में उत्साह बढ़ता है। इस दिन के उत्सव में विद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जो बच्चों को विद्या के महत्व को समझने में मदद करती हैं और उन्हें बचपन की यादें संजोने का मौका देती हैं।


आज भी कमोबेश स्थिति यही है। बेर, गाजर और शकरकंद के बिना पूजा आज भी नहीं होती, आज भी बच्चे कॉपी-कलम चढाते हैं मां सरस्वती की प्रतिमा पर। ये अलग बात है कि किताब कॉपी की संख्या कम हो गई है। अब युवाओं के बीच में मोबाइल और लैप टाप का क्रेज है। हाथ से पेन ओर पेपर छूटता है, दुनिया पेपरलेस कार्य की ओर बढ़ चली है।


वैसै तकनीक क्रांति के बावजूद सरस्वती पूजा युवाओं के बीच आज भी काफी लोकप्रिय है। चौक चौराहों और घरों में मां सरस्वती की मूर्ति की स्थापना करके उनकी पूजा अर्चना करने में की परंपरा आज भी चल रही है। सुबह से ही शुद्ध जल से स्नान करने के बाद युवक-युवतियों की अलग अलग टोलियां मां सरस्वती के दर्शन के लिए पंडालों में जमा होने लगती है।


बसंत ऋतु की शुरुआत सरस्वती पूजा से ही होती है। शायद यही वजह है कि लोग इस दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करके पूजा पाठ करने के लिए घर से निकलते हैं।


इस दिन का इंतजार हर उस व्यक्ति को रहता है जो मां सरस्वती का उपासक है, जो कला और संस्कृति की उन्नति के लिए निरंतर प्रयत्नरत है, जो पूरी तरह से ज्ञान और विज्ञान के प्रति समर्पित है।

मां सरस्वती को वेदों में कई नामों से पुकारा गया है।

Feb 14, 202405:22
12th Fail Special

12th Fail Special

GreyMatters dwells on the touching movie '12th Fail', a story that intricately weaves hope and resilience. It is a tale that embraces probity in both public and private life, echoing the sentiments of a bygone era.

Feb 09, 202403:24
Festival Week

Festival Week

नमस्कार ग्रे मैटर्स पॉडकास्ट में आपका स्वागत है!


त्योहारों के इस मौसम में हमने सोचा क्यों न आपकी भावनाओं को थोड़ा सा टटोला जाए; बस फिर क्या था हमारी ये सोच और हम आ गए आपसे बातें करने। जी हां आज का हमारा यह podcast आने वाले पर्व और त्योहारों पर ही आधारित है।


पितृ पक्ष और फिर नवरात्र! यहां से शुरू हुआ है त्योहारों का मौसम। पहले नवरात्र की तैयारियां, नौ दिनों का पूजन और फिर हवन और कुमारी भोज व विसर्जन के साथ माता रानी की बिदाई। फिर यहाँ से शुरू हुई दिवाली की तैयारी!


घरों की साफ सफाई, नया पेंट, दिवाली की शॉपिंग, जुगनू की तरह चमचमाती लड़ियां और उनसे घरों को सजाते लोग। हर तरफ मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारियां ज़ोरों से चल रही हैं। मौसम में ठंडक भी घुल गई है। क्या आप बता सकते हैं कि ये बदलता मौसम और ये सारी तैयारियां हमें किस बात की याद दिला रही हैं?

जी हां, ठंड तो आ ही रही है, पर इसके अलावा हमारी श्रद्धा और आस्था से ओतप्रोत पर्व छठ ने दस्तक दे दी है। क्यों छठ का नाम सुनते ही आंखें नम हो गई न। घर की याद आ रही है न... तो सोच क्या रहे हैं; अपना मोबाइल उठाइए और घर वापसी की अपनी टिकट आज ही book कीजिए न...


याद है पिछले साल भी काम की वजह से आप घर नहीं जा पाए थे! कितना सूनापन और खाली खाली लग रहा था न आपको!! और उधर घर पर आपकी मां भी आस लगाए बैठी ही रह गयीं आपके इंतजार में और उनका व्रत आपके बिना ही गुजर गया। पर इस बार आप भी नहीं चाहते न कि ऐसा कुछ हो, तो फिर सोचिए मत; पहली फुर्सत में अपनी टिकट book कीजिए और घर के लिए रवाना हो जाइए। घर की पूजा घर के बच्चों के बिना अधूरी रहती है, इसे अधूरी मत रहने दीजिए।

और फिर आपको काम भी तो कितने सारे करने हैं न... गंगा जी से पानी लाना है, घाट तैयार करना है, फल खरीदने हैं, सूप- दौरा, हाथी ये सब भी तो लेने हैं।


पूरा परिवार एक साथ एक छत के नीचे बिना किसी मन मुटाव के अपने अंदर आस्था और प्रेम भर कर इसी पर्व पर तो जमा होता है। और आप शायद इसको मिस तो नहीं करना चाहेंगे न। इतना मत सोचिए, काम तो आप सालों भर करते हैं, लेकिन छठ साल में सिर्फ एक बार ही आता है और यही एक ऐसा वक़्त होता है जब आपकी मां हर आहट पर बस आपके आने की राह देखती हैं। उन आखों को सूना मत रहने दीजिए।

त्योहारों में अपनी उपस्थिति से घर की रौनक बढ़ाइए।


GreyMatters Communications की ओर से एक छोटी सी अपील।


We wish you all a very Happy Diwali!!

And Happy Chhath!!

Nov 07, 202303:14
Let's Cheer for Men in Blue for World Cup 2023

Let's Cheer for Men in Blue for World Cup 2023

In a cricket-addicted India, magic of willow is followed with fanatic religiosity.

As the World Cup 2023 kicks off today, GreyMatters Communications wishes the Men In Blue for a triumphant journey.

Tune in to our #podcast to share in our prayers and firm belief in clinching the Cup for the third time.


Oct 05, 202302:15
Teej Special

Teej Special

हरतालिका तीज, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला यह पर्व कुमारी व सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए अति महत्वपूर्ण है। इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियाँ गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पति का सुख भोग करके शिवलोक को जाती हैं। सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन अनुसार वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान भोले नाथ के लिए रखा था।


ये तो थी तीज से जुड़ी आस्था और विश्वास की कहानी। आइए इसके एक दूसरे पहलू पर नज़र डालें। तीज का व्रत सजा हुआ बाज़ार, उम्मीद भरी निगाहें, अच्छी कमाई के बाद घर लौटने की उम्मीद... ये है इस पर्व का दूसरा पहलू; जहां धर्म जात ऊंच नीच इन सब से इतर सभी दो समान भागों में बटे थे। एक खरीददार और दूसरे बिक्री वाले। खरीदने वालों की सिर्फ़ एक अभिलाषा- कि उन्हें उनका पसंदीदा सामान मिल जाए। पर बेचने वाले अपनी आँखों में कई सपने, अभिलाषाएं और उम्मीद लिए होते हैं।


जहां एक ओर सामान खरीदती महिलाओं की आंखें रंग-बिरंगी चूड़ियों, गुलाबी डलियों, ऐनक- कंघी, मेहंदी लगाने वाले, आदि को देख कर चमकती हैं ; वहीं दूसरी ओर चूड़ी वाले, डलिया वाले, मेहंदी वाले, आदि की आंखें अपनी रेढ़ी या सामान के पास ग्राहकों की लगी भीड़ को देख कर चमकती हैं। चमक तो दोनों तरफ होती है, पर दोनों का अभिप्राय अलग होता है। किसी की आस्था, किसी का श्रृंगार.... किसी दूसरे के लिए दो वक्त की रोटी की, बच्चे के खिलौने की, मां की दवाओं की उम्मीद बनती है।


कितना सुंदर समागम है न! आस्था और उम्मीद दोनों एक साथ चल रही हैं।

आज तीज के इस पावन पर्व पर सबके कल्याण की कामना करते हुए


GreyMatters wishes you Happy Teej!

Sep 18, 202303:14
India's G20 Diplomatic Triumph

India's G20 Diplomatic Triumph

Welcome to another episode of GreyMatters podcast. I'm your host Pragya Lal. Today we have an extraordinary story of India's diplomatic achievement to share with you. India's remarkable success at the G20 Summit has been nothing short of awe-inspiring. In a world filled with geopolitical tensions and divisions, India managed to secure unanimous approval for the 'New Delhi Leaders' Summit Declaration', garnering "100 per cent" consensus on all developmental and geopolitical issues.


The diplomatic prowess displayed by India during this summit is truly exceptional. Over the course of 200 hours of non-stop negotiations, 300 bilateral meetings, and the refinement of 15 drafts, India's G20 Sherpa, Amitabh Kant, played a pivotal role in achieving unanimity on crucial geopolitical issues. One notable aspect of this achievement is the West's decision to step back from its insistence on criticizing Russia, showing the power of diplomacy and compromise.


But that's just the tip of the iceberg. The 'New Delhi Leaders' Summit Declaration' promises significant global developments. One of the most notable outcomes is the induction of the African Union as a full member of the G20, a move that reflects a more inclusive and representative global governance structure. India has also taken the lead in establishing a global biofuel alliance, with the United States and Brazil as founding members. This initiative holds the potential to transform the world's approach to sustainable energy.


Another groundbreaking development is the announcement of the India-Middle East-Europe Economic Corridor. This corridor promises to expedite trade between India and Europe by an estimated 40 percent, opening up new avenues for economic cooperation and growth. It's a testament to India's commitment to fostering international partnerships for mutual benefit.


Prime Minister Modi's vision of "Today's era must not be of war" is at the heart of these initiatives. It underscores the importance of diplomacy and cooperation in a world where peace and sustainability are paramount. His concept of Lifestyles for Sustainable Development (LiFE) resonates with the global community's aspirations for a better future.


The 'New Delhi Leaders' Summit Declaration' set a positive tone for addressing global challenges and fostering international cooperation. India's leadership and diplomatic acumen on the world stage have been truly remarkable.


That's it for today's episode of "India's G20 Triumph: Unanimous Global Diplomacy for Sustainability." We hope you've been inspired by India's diplomatic achievements at the G20 Summit. It's a testament to the power of dialogue, compromise, and cooperation in a world that often seems divided. Stay tuned for more stories. Until next time, I'm your host Pragya Lal, signing off.

Sep 12, 202303:37
Human ingenuity, knowledge and passion will prevail over AI in driving the PR industry

Human ingenuity, knowledge and passion will prevail over AI in driving the PR industry

WORLD PR DAY SPECIAL


Hello and welcome to the GreyMatters podcast on this special edition on July 16, 2023.


Today is World Public Relations Day.


We celebrate this special day and extend our finest wishes to all PR professionals who work tirelessly on reputation building, communication management and crises resolution for their partners. The PR industry has evolved into one of the most thriving and critical to India’s businesses and governance eco-system.


We speak to our Director Dr Navneet Anand to seek his views on the status of PR industry and its prospects. 


Q: Dr Anand how do you look at the industry today?


Public relations in India has gained immense significance in the communication landscape. The growth and evolution of public relations as a profession can be attributed to several factors.

As businesses have expanded, the economy has grown, and industries have become more competitive, the need for effective and professional communication has become increasingly evident. Organizations, both in the private and public sectors, have recognized the crucial role of PR in managing their reputations and engaging with stakeholders. This recognition has propelled the growth of the PR industry, leading to the emergence of numerous agencies and independent professionals seeking to leverage this opportunity.


Q: What are some key trends in the industry and how do you foresee its future.


There are several clear trends shaping the PR industry in India. Firstly, The demand for PR agencies has significantly grown, leading to unprecedented growth in the industry. This is driven by the recognition of the importance of effective communication and reputation management. 


Two, the industry is now characterized by a diverse range of agencies, varying from large corporations to small one-person setups. While this provides opportunities, it can also potentially impact service quality and the industry's reputation. 


Three, the growing aspirational class in smaller cities has contributed to the emergence of regional and local PR agencies. This has created employment opportunities and made local economies more dynamic. 


Four, the Indian government's focus on transparency and digital communication has prompted government agencies to adopt best practices in communication and reputation management. This has created new opportunities for the private sector. 


Five, the digital era has expanded the circumference of audiences, leading to PR agencies catering to a global audience. This requires finesse and quality to meet the diverse needs of a global clientele. 


Six, the rise of AI has raised concerns about its potential disruption to the PR industry. However, quality PR interventions that require human ingenuity, knowledge, and passion are expected to remain essential, with AI playing a peripheral role.


Looking ahead, the PR industry in India is poised for exponential growth. However, it may face challenges due to the presence of non-serious players and issues of quality and service. The industry will also need to address the challenge of acquiring quality human resources and collaborate with academic institutions to share best practices. While technology will enhance efficiency, PR will continue to be human-emotion centric and cannot be reduced to computer program coding.


India has the potential to tap into the global communications market, and with government attention and support, it could carve a significant position in the world business by 2030.


Jul 16, 202304:38
Unsung Hero of India's Freedom Struggle Series: Shri Tara Dwivedi, Kabirdham (Kawardha), Chhattisgarh

Unsung Hero of India's Freedom Struggle Series: Shri Tara Dwivedi, Kabirdham (Kawardha), Chhattisgarh

हैलो दोस्तों! GreyMatters Podcast में आपका स्वागत है।

आज़ादी, यह वह शब्द है जिसे सुनने मात्र से एक सुकून का एहसास होता है। इस स्वतंत्रता दिवस पर हमारा देश आज़ादी के 75 वर्ष पूरे कर लेगा। इस आजादी को हासिल करने की लड़ाई में अनेकानेक वीर सपूतों ने जान की बाजी लगा दी थी। कुछ के नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हैं, तो कुछ गुमनाम रह गए। 

आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर

GreyMatters Podcast की एक विशेष सीरीज में हम पेश कर रहे है ऐसे ही कुछ unsung heroes की कहानियां।

आज सुनिए कबीरधाम (छत्तीसगढ़) की तारा द्विवेदी जी की कहानी।

तारा द्विवेदी

Kabirdham (Kawardha), Chhattisgarh

तारा द्विवेदी का जन्म 12 अगस्त सन् 1926 में हुआ था। विवाह के पूर्व उनका नाम तारा पांडेय था। उनके पिता श्री राम दुलारे पांडेय छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उन्होंने स्कूली शिक्षा रायपुर से प्राप्त की थी। यहीं पर राष्ट्रवादी नेताओं के संपर्क में उनमें राष्ट्रीय चेतना का विकास हुआ। तारा जी के परिवार ने अपनी पुत्री को उच्च शिक्षा देकर योग्य बनाने के लिए इलाहाबाद भेजा। यहां पर वे भारतीय विद्यार्थी कांग्रेस के संपर्क में आयी और उनमें अपनी रियासत की जनता को जागरूक करने की प्रेरणा प्राप्त हुई अतः उन्होंने पढ़ाई करते हुए कवर्धा में मताधिकार एवं जन प्रतिनिधि सभा (कौंसिल) स्थापना के लिये आंदोलन प्रारंभ कर दिया। आंदोलन के कारण तारा जी की शिक्षा में व्यवधान भी पड़ा था।

इलाहाबाद के विद्यार्थी कांग्रेस की नेत्री पूर्णिमा बैनर्जी रीवा राज्य में राष्ट्रीय चेतना का विकास कर रही थी अतः उनसे भी तारा जी को प्रेरणा प्राप्त हुई थी। यहां पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी उन्हें अपने रियासत में जनचेतना के प्रसार करने की प्रेरणा दी अतः वे कवर्धा आकर विलीनीकरण आंदोलन में सम्मिलित हो गयी। रियासत की उच्च शिक्षित नागरिक होने के कारण तारा जी को विशेष सम्मान प्राप्त था। अतः 14 सितंबर सन् 1946 में कवर्धा में स्टेट कांग्रेस का पुर्नगठन हुआ, इसके अध्यक्ष हमीदुल्ला खान थे, तारा जी को कार्यकारी सदस्य बनाया गया। इस संगठन ने 3 दिसंबर सन् 1947 को एक विशाल आम सभा का आयोजन किया जिसमें स्टेट को भारतीय संघ में विलीन करने के लिए कहा गया । इस सभा के पश्चात् गिरफ्तारी प्रारंभ हुई अतः तारा जी को एक लंबे समय तक भूमिगत रहना पड़ा था। सत्ता के हस्तांतरण होने पर भी रियासत का प्रभार वहां के एडिशनल कमिश्नर दशरथ लाल दुबे रियासत के पूर्व कर्मचारी जो राजा के प्रभाव में थे, को मिला। इस से कवर्धा की प्रशासनिक व्यवस्था में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता । अतः ऐसे अधिकारी के होने का विरोध स्टेट कांग्रेस ने प्रारंभ किया तथा तारा पांडे, हमीदुल्ला खान, चतुरसिंह चंद्रवंशी, नरेंद्र जी परिहार आदि के नेतृत्व में नागरिकों का विशाल जुलूस निकालकर मांग की गयी रियासत के पूर्व कर्मचारियों को निलंबित किया जाय। अंततः तारा पांडे की मांग पूरी हुई इस तरह कवर्धा रियासत में जनतंत्र व्यवस्था स्थापित हुई।


आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर GreyMatters Communications की तरफ एक छोटी सी भेंट।


Happy Independence Day!

Jul 08, 202303:37
GreyMatters Case Studies

GreyMatters Case Studies

Hello & Namaskar!

You are listening to GreyMatters podcast. This is the case study segment.

Today, we’re talking about the International Labour Organization’s campaign on Social Protection Floor and its implementation in the state of Odisha, India.


The ILO and the United Nations identified the Social Protection Floor as an essential component of inclusive growth in India. In line with this, the United Nations Development Actions Framework (UNDAF) for year 2012-17, identified Odisha as a pilot state for establishing institutional frameworks for SPF that can be replicated and scaled up at a national level.


GreyMatters Communications was entrusted with the important task of driving awareness about SPF among key stakeholders in Odisha. Our goal was to design and execute a campaign to create a better understanding about SPF and sensitize stakeholders about the significance of ILO’s initiatives.


We designed an advocacy campaign aimed at targeted communication among Policymakers, NGOs, Trade Unions, and Employers Organizations, directly and through conventional and social media platforms. The messaging strategy was carefully crafted to ensure each stakeholder group received customized messages.


We employed an approach of Inter-Personal Communication and Media-Led Communication. This included tools such as a Media Workshop, Editorials, Press Releases, Interviews, Meetings with Influencers, Emailers, and Social Media.


Our efforts paid off and the campaign was a resounding success. 75 news clips were generated over a period of three months with a readership of about 300 million, we organised 3 media workshops, reached out to over 100 journalists Our targeted communication approach helped us reach out to the right stakeholders, and the messaging was well-received. Our media-led communication approach helped spread the word far and wide, and we received significant coverage in both conventional and social media.


The advocacy campaign established better understanding about SPF among key stakeholders. The pilot in Odisha set a benchmark for establishing institutional frameworks for SPF and has opened the door for replication and scaling up at a national level.


Thanks for tuning in to GreyMatters Podcast.

Jul 07, 202302:57
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

हैलो दोस्तों GreyMatters podcast में आपका स्वागत है।


21 जून, यानी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस। जी हां आज के इस episode में बात करेंगे हमारे मनानीय प्रधानमंत्री जी के प्रयासों के बल पर अंतरराष्ट्रीय पटल पर स्थान पा चुके योग दिवस के बारे में।

आज अर्थात 21 जून' 23 को नौवें विश्व अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। यह अकल्पनीय है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किसी दिवस ने वैश्विक आंदोलन का स्वरूप ले लिया हो। आज योग दिनो-दिन हमारे जीवन शैली का हिस्सा बनता जा रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि योग पूरे विश्व में भारत की दिव्य प्राचीन कला और संस्कृति के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है।


योग का उदभव आज से 5000 वर्ष पूर्व हुआ था। योग के बारे में गीता और महाभारत में भी वर्णन है। प्राचीनतम ग्रंथ ऋगवेद में इसका उल्लेख है। योग संबंधी शिक्षाओं में शिव को आदि गुरू माना जाता है। सिंधु संस्कृति की खोज के बाद ही योग उत्पति की जानकारी प्राप्त हुई। पुरातात्विक खोज में सोपस्टोन मोहरों पर प्राप्त योगी जैसी आकृतियाँ इस बात का प्रमाण है कि इस काल में भी योग का अस्तित्व था। मंडोकोपनिषद में कहा गया है कि ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्मा ने अपने पुत्र अर्थव महर्षि को योग का ज्ञान दिया था। फिर महर्षि अर्थव ने ऋषि अंगिरस को, ऋषि अंगिरस ने भारद्वाज ऋषि को और भारद्वाज ऋषि ने सत्यवाह को योग के बारे में बताया था।


पाश्चात् देशों को योग से स्वामी विवेकानंद ने साक्षात्कार कराया था। आधुनिक योग के लिए सन् 1893 का वह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है जिस दिन संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के शिकागो शहर में विश्व धर्म सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें स्वामी विविकानंद ने लोगों से योग के बारे में चर्चा की और उन्हें इसकी महत्ता बताई। इसके उपरांत भारत के कई महान व्यक्तित्वों के नेतृत्व में योग निरंतर प्रगति करता रहा जैसे टी.कृष्णामचारी, बी.के.एस.आयंकर, के.पट्टाभि जॉइस, टी.के.वी देसीकाचार, स्वामी शिवानंद, स्वामी योगेन्द्र, स्वामी सत्यानंद, महर्षि योगी, श्री रविशंकर, स्वामी रामदेव आदि।


योग शब्द संस्कृत भाषा की मूल धातु युज से बना है। जिसका अर्थ एकाकार है। कुछ लोगों का मानना है कि योग एक शारीरिक व्ययाम है जबकि योग एक समग्र अनुशासन है। इसे शरीर, मन और आत्मा को संतुलित व नियंत्रित करने का साधान माना जाता है। इसका ध्येय शरीर, इंद्रियों तथा मन को नियंत्रण के द्वारा आध्यात्मिक उत्कृष्टता प्राप्त करना है।


श्रीमद्भागवद्गीता में कहा गया है कि:

योगस्थ: कुरू कर्माणि सड.गं त्यक्त्वा धनंजय।

सिद्ध्यसिद्ध्यो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।


अर्थात, हे धनंजय, सुख- दुख, लाभ- हानि, शत्रु-मित्र, शीत और उष्म आदि द्वंद्वों में सर्वत्र समभाव रखना ही योग है।


बहुत से लोग योग को हिंदुओं का व्यायाम और खुद को स्वस्थ रखने का तरीका मानते हैं। जबकि इसके ठीक विपरीत योग किसी विशिष्ट धर्म, मत या समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करता बल्कि हमेशा ही यह स्वयं को आंतरिक रूप से स्वस्थ बनाने की पद्धति रही है। जो व्यक्ति पूरी लगन से योगाभ्यास करता है वह इसके लाभ को प्राप्त कर सकता है फिर चाहे वह किसी धर्म, जाति या संस्कृति से संबंधित हो।

योग सिर्फ एक शारीरिक व्यायाम नहीं है, अपितु यह चिकित्सा पद्धति और जीवन दर्शन है। योग भारतीयों की अंत:दृष्टि का संवाहक है जिसमें केवल शरीर ही नहीं बल्कि अध्यात्मिकता को जानने का भी मौका मिलता है।


इस तेज रफ्तार जीवन शैली में योग हमारे लिए अमृत समान है। अतः आप सब से निवेदन है कि आदिकाल से प्रवाहित होती योग के इस अमृत सरिता में आप सभी 21 जून (अतंरराष्ट्रीय योग दिवस) के अवसर पर अवश्य डुबकी लगाएं और योग को हमेशा के लिए अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं। याद रखें कि यह किसी भी देश, प्रांत, मत-पंथ-संप्रदाय के बंधनों से मुक्त है तथा स्वस्थ सुखी जीवन की कुंजी है।

Jun 21, 202304:55
Happy Women's Day!

Happy Women's Day!

नारी तुम प्रेम हो, आस्था हो विश्वास हो,

टूटी हुई उम्मीदों की एकमात्र आस हो,

हर जन का तुम्हीं तो आधार हो,

नफ़रत की दुनिया में मात्र तुम्हीं प्यार हो,

उठो अपने अस्तित्व को संभालो,

केवल एक दिन ही नहीं,

हर दिन नारी दिवस बना लो.... 


हैलो दोस्तों GreyMatters podcast में आपका स्वागत है।


जी हां दोस्तों आज का हमारा यह podcast अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक विशेष प्रस्तुति है।


जैसा की हम सभी जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान तथा उपलब्धियों को पहचान दिलवाना है। क्या आपको पता है कि इस दिन को सर्वप्रथम 28 फरवरी 1909 में मनाया गया था। परंतु संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा वर्ष 1975 में इस दिवस को 28 फरवरी की जगह 8 मार्च के दिन अंतर्राष्ट्रीय रुप से मनाये जाने का निर्णय लिया गया।


इस बात को नकारा नहीं जा सकता की आज के समाज में महिलाओं का योगदान पुरुषों के बराबर ही है, बल्कि वे पुरुषों से भी आगे निकल गयी हैं। शिक्षा के क्षेत्र से लेकर हेल्थ सेक्टर और ऐसे ही कई क्षेत्रों में जिसकी कल्पना पहले की सामाजिक स्थिति में करना नामुमकिन सा था उन सभी क्षेत्रों में महिलाओं का विशेष योगदान रहा है। इतना ही नहीं ज़माने के साथ आगे बढ़ती महिलाएं, न केवल घर संभाल रही हैं बल्कि घर के साथ अपने कार्य क्षेत्र में भी खुद को साबित कर रही हैं।


फिर चाहे वो लक्ष्मी बाई हो या इंदिरा गाँधी या फिर कल्पना चावला या फिर कोई और, हर युग में नारियाँ पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलीं हैं।

सब जानते हैं कभी घर तो कभी ऑफिस, 24x7 अपने परिवार और खुद से जुड़ें लोगों के लिए तैयार खड़ी रहने वाली महिलाओं का कोई भी दिन छुट्टी का नहीं होता।


यही ही नहीं ज़माने के साथ आगे बढ़ती महिलाएं, न केवल घर संभाल रही हैं बल्कि घर के साथ अपने कार्य क्षेत्र में भी खुद को साबित कर रही हैं।

आज जब हम women's day celebrate कर रहे हैं, तो हमने कभी ये सोचा है कि क्या सच में हम नारियों को वो सम्मान दिलवा पाए हैं जिसकी वो हकदार हैं? 


देखा जाए तो बात बहुत सीधी है, महिलाएं फिर चाहे वो गृहणी हो या working, उनके लिए International Women's Day के रूप में कोई एक दिन नहीं होना चाहिए बल्कि हर दिन ही Women's Day होना चाहिए। 


सोचिये, गौर कीजिए और अगर बात दिल तक उतरी हो तो महिलाओं के उत्थान और उनके बेहतर भविष्य के लिए अपना एक छोटा सा ही सही पर योगदान दीजिए।

क्योंकि वो कहते हैं न कि बूंद बूंद कर भरे तलाबा।

तो आइए इस women's day पर शुरुआत अपने ही घर से करें। अपनी माँ, बहन, पत्नी, बेटी को समझें।


GreyMatters wishes you a very Happy Women's Day!

Mar 08, 202303:20
Intellectual capital is new wealth of PR agencies: Dr Navneet Anand

Intellectual capital is new wealth of PR agencies: Dr Navneet Anand

Hello everyone! Welcome to the GreyMatters podcast. 

In every episode, we try to come up with new and innovative ideas. 

In this episode, we are sharing an address by Dr Navneet Anand, Director, GreyMatters Communications. He was speaking as a keynote speaker at the prestigious e4m Awards Ceremony on February 1, 2023. Sharing some examples from the campaigns by GreyMatters Communications, Dr Anand said that young professionals must work on fundamentals and innovation should be their guiding principle. He said intellectual capital are the wealth of organisations, and professionals must constantly strive to excel - to be counted. 

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Feb 20, 202321:14
वसंत पंचमी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और घटनाएं!

वसंत पंचमी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और घटनाएं!

हैलो दोस्तों! GreyMatters पॉडकास्ट में आपका स्वागत है। 


वसंत का महीना आ गया है, हवाएं अपना रूख बदल रही हैं। वातावरण नई सकारात्मक ऊर्जाओं से भरा हुआ है। नई कोपलें, पेड़ों में मंजरियाँ इन सब की खुशबू हवाओं में घुल रही है। और इस वसंत का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, वसंत पंचमी। जी हाँ दोस्तों आज के हमारे इस पॉडकास्ट का विषय है वसंत पंचमी। 

आज इस पॉडकास्ट के माध्यम से हम वसंत पंचमी से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों पर चर्चा करेंगे। 

वसंत पंचमी, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह त्योहार वसंत के पंचमी तिथि को मनाया जाता है। माघ मास के शुक्लपक्ष की इस की पंचमी तिथि को देवी सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही रूपों में अपना महत्व है। वैसे तो हर रंग की अपनी खासियत है, जो हमारे जीवन पर गहरा असर डालती है, परंतु इस दिन पीले रंग की खास एहमीयत है। हिन्दू धर्म में पीले रंग को शुभ माना गया है। पीला रंग शुद्ध एवं सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ साथ इस रंग को भारतीय परंपरा में शुभ का प्रतीक भी माना गया है। इसके अलावा फेंगशुई ने भी इसे आध्यात्मिक रंग अर्थात आत्मा या अध्यात्म से जोड़ने वाला रंग बताया है। फेंगशुई के सिद्धांत ऊर्जा पर आधारित हैं और इसके अनुसार पीला रंग सूर्य के प्रकाश का है यानी यह ऊष्मा शक्ति क प्रतीक है। इसलिए पीला रंग हमें तारतम्यता, संतुलन, पूर्णता और एकाग्रता प्रदान करता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मान्यता यह भी है कि यह रंग डिप्रेशन दूर करने में कारगर है। यह उत्साह बढ़ता है और दिमाग को सक्रिय करता है। जिसके फलस्वरूप दिमाग में उठाने वाली तरंगें खुशी का एहसास कराती हैं, जिससे आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है। 

दोस्तों, ये तो था वसंत पंचमी का पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व। इसके अलावा वसंत पंचमी भारतीय इतिहास में भी अपना महत्व रखती है। दरअसल यह दिन शूरवीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। इसी दिन इस योद्धा ने अपने सखा चंद बरदाई की सहायता से मोहम्मद गोरी को मौत के घाट उतारा था। जी हाँ, पृथ्वीराज चौहान, जो कि दिल्ली की गद्दी के आखिरी हिन्दू सम्राट थे, वे भारतीय इतिहास का एक गौरवशाली नाम हैं। मोहम्मद गोरी से पराजित होने के बाद उन्हें बंधक बना के अफगानिस्तान ले जाया गया और उनकी आंखें फोड़ दी गई। कुछ समय बाद चंद बरदाई जो कि पृथ्वीराज चौहान के सखा और कवि, “पृथ्वीराज रासो” के रचयिता थे, जब पृथ्वीराज से मिलने पहुंचे तो उन्होंने गोरी को चौहान के शब्दभेदी बाण चलाने वाले हुनर के बारे में बताया। जिसके फलस्वरूप गोरी ने पृथ्वीराज चौहान के हाथों में तीर-कमान थमा दिए। इसके पश्चात बरदाई ने चार पंक्तियाँ कहीं, जिसे सुनते ही पृथ्वीराज ने तीर चलाया जो कि सीधा मोहम्मद गोरी के सीने में जा धंसा और उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद चंद बरदाई और पृथ्वीराज चौहान ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा घोंप कर आत्मबलिदान दे दिया।


तो दस्तों ये थी वसंत पंचमी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और घटनाएं। आशा है आपको हमारा यह पॉडकास्ट जरूर पसंद आया होगा। 

हम फिर मिलेंगे कुछ नएपन के साथ।


तब तक के लिए आप सब को नमस्कार।

Jan 26, 202302:54
2022 - Year of Glories for GreyMatters

2022 - Year of Glories for GreyMatters

हैलो दोस्तों GreyMatters podcast में आपका स्वागत है।


नया साल आने वाला है, और हम पुराने साल की विदाई के लिए तैयार बैठे हैं। तो बस बैठे बैठे एक ख्याल आया कि क्यों न एक बार गुज़रते हुए इस 2022 पर एक नज़र डालें। देखें कि इस साल हमने यानी (GreyMatters ने) क्या ऐसा किया या दिया या पाया, जिससे हम अपने आप में संतुष्ट हो सकें कि हाँ हमने कुछ हासिल किया है। इतना ही नहीं, बल्कि आने वाले साल 2023 को हम किस तरह देखते हैं।

तो आइए आज इस podcast के माध्यम से हम एक नज़र GreyMatters communications की उपलब्धियों पर डालें।


कोरोना के दौरान वर्ष की शुरुआत चाहे जैसी भी रही हो, परंतु धीरे धीरे हमारी लगातार कोशिश और मेहनत ने हमें उपलब्धियों की ओर अग्रसरित किया है। चाहे वो top 10 best PR Agencies की लिस्ट में अपनी जगह बनाना हो या E4M Events द्वारा अवार्ड मिलना हो। या फिर Air Products और The Nature Conservency (TNC) जैसी MNC's का bussiness partner बनना हो। NCPEDP के साथ काम कर के दिव्यांग जनों के achievements को हम साथ में celebrate करते हैं, बिहार में जल संसाधन विभाग के साथ हमकदम बन कर हमने उनके द्वारा बाढ़ से बचाव के लिए तथा सिंचाई के लिए उनके द्वारा किए गए कामों को cherish किया है। इसी क्रम में GreyMatters, बिहार सरकार के हर घर गंगाजल के अतिमहात्वाकांक्षी सपने एवं भागीरथी प्रयास को साकार करने में उनका हमकदम भी बना। यही नहीं, हम Bihar State Power Holding Company Ltd के साथ भी कदम से कदम मिला कर चलते रहे हैं। कभी बिहार के विद्युत उपभोक्ताओं तक हम BSPHCL की आवाज बन कर पहुंचे, तो कभी उपभोताओं के धन्यवाद और Thank you को celebrate किया। कभी बिजली दीदी और वोल्टेज भैया बन कर हमने उपभोक्ताओं को जागरूक किया तो कभी पॉडकास्ट के माध्यम से लोगों तक अपनी पहुंच बनाई। और तो और इस वर्ष जब BSPHCL ने अपनी स्थापना के दस वर्षों को 10 साल बेमिसाल के रूप में celebrate किया तो GreyMatters उनकी आवाज़ बना। इसके अलावा हमने political consultancy भी provide की है, जिसमें हमने election campaigns के साथ साथ कई और campaigns भी करवाए हैं। यूं तो, बीज के मामले में किसानों की पहली पसंद रही सिंजेन्टा कम्पनी के साथ हमारा जुड़ाव 10 वर्ष पुराना है, परंतु आज भी GreyMatters और Syngenta एक दूसरे के साथ वो पहली बार वाली feelings के साथ ही काम करते हैं। और सिंजेंटा के साथ 10 वर्षों के अपने गौरवशाली जुड़ाव पर हमें गर्व है। इन सब में हर दिन हमने कुछ नया करने की कोशिश की है, और हर बार हमने अपना एक benchmark स्थापित किया है। 

वैसे देखा जाए तो यह साल GreyMatters के लिए विभिन्न पहलुओं पर अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। इस साल हमें भारत के अग्रणी मीडिया ग्रुप नेटवर्क 18 के लिए भी काम करने का मौका मिला। इतना ही नहीं, हमारे निदेशक श्री नवनीत आनंद जी को इस वर्ष दो अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित भी किया गया; इसके साथ साथ उन्होंने अपने शैक्षणिक प्रयासों में उत्कृष्टता भी जारी रखी है।


GreyMatters की बात हो और फिर इसमें हमारे director श्री नवनीत आनंद जी की बात न हो तो बातें अधूरी रह जाएंगी। हालांकि मैं कोशिश करूँगी कि श्री आनंद जी की शक्सियत को चंद शब्दों में समेट सकूँ। श्री आनंद, एक ऐसी शक्सियत हैं जिहोंने अपने जीवन में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। चाहे वो शिक्षा हो या जॉब हो या फिर GreyMatters जैसी सफल कंपनी; हर क्षेत्र में उन्होंने खुद की पहचान बनाई है। Short में बोलूं तो श्री आनंद अपने आप में एक पूरी यूनिवर्सिटी हैं।


Coming back to the topic, यह साल GreyMatters Communications and Consulting Pvt. Ltd. के लिए बहुत सी उपलब्धियों से भरा रहा है। और आने वाले वर्ष 2023 में Team GreyMatters को इस बात का पूरा विश्वास है कि हम कामयाबी की नई उचाईयों को जरूर हासिल करेंगे। आने वाले साल में भी हम उसी लगन और उसी benchmark के साथ अपने काम को deliver करेंगे।


धन्यवाद! 


GreyMatters Communications wishesh you a very Happy New Year 2023.

Dec 31, 202204:24
Fifa world Cup

Fifa world Cup

हेलो दोस्तों

ग्रे मैटर्स पोडकास्ट में आपका स्वागत है। 

अर्जेंटीना! Fifa world Cup का विजेता बना। और लियोनेल मैसी ने दुनिया को मुठ्ठी में कर लिया। जिसका गवाह कतर का लुसैल स्टेडियम बना। अर्जेंटीना 4-2 से पेनाल्टी शूट आउट में जीता। आगामी वर्ष 2026 में कनाडा, अमेरिका और मेक्सिको के शहरों में मिलने का वादे के साथ कतर में चल रहा fifa cup आखिर संपन्न हो गया। दिग्गज स्ट्राइकर लियोनेल मैसी का सन्यास से वापसी कर फीफा कप खेलना सफल रहा। महान मेसी ने अपने जीवन के पांचवें विश्व कप में न केवल अर्जेंटीना के सपने को ही पूरा किया बल्कि मारडोना के विश्व विजेता वाले सपने को पुन: साकार किया। 

इसके इतर लियोनेल मैसी ने फ्रांस के विरूद्ध जीत के साथ अपने उस सपने को पूरा किया जो वह बचपन से देख रहे थे। अर्जेंटीना के दिग्गज खिलाड़ी माराडोना ने जब 1986 में आखिरी बार टीम टीम को विश्व विजेता बनाया था, तब एक बच्चे ने यही सपना अपने देश के लिए देखा था। 

कतर फीफा वर्ल्ड कप में कई रिकॉड बनें। विश्व कप में 16 टीमों ने भाग लिया। 21 गोल में योगदान के साथ लियोन मैसी ने ब्राजील के दिग्गज खिलाड़ी पेले को भी पीछे छोड़ दिया। उन्होंने अब तक पांच विश्व कप में 13 गोल दागे और 8 गोल का योगदान दिया है। वे इस कतर फीफा वर्ल्ड कप में भी सर्वाधिक सात गोल दागे। 

पेले के क्लब में एमबापे लागातार दो विश्व कप फाइनल में गोल दागने वाले तीसरे खिलाड़ी बनकर दिग्गज पेले और वावा के क्लब में शामिल हुए। एमबापे ने तीन गोल दागकर गोल्डन बूट अपने नाम किया। 36 साल बाद अर्जेंटीना ने ट्रॉफी जीती। तीसरी बार विश्व कप में अर्जेंटीना ने फ्रांस को हराया। अर्जेंटीना ने पिछले 43 मैचों में से एक मैच हारा, 30 जीते और 12 मैच ड्रॉ रहा। कनाडा के अल्फोंसो डेविस ने क्रोशिया के खिलाफ दो मिनट का सबसे तेज गोल दागा। मैसी को सबसे ज्यादा चार बार मैन ऑफ मैच से जबकि एमबापे को तीन बार नवाजा गया। डेनमार्क,वेल्स,कतर,ट्यूनीशिया और बेलजियम ने एक- एक गोल किया। चार मैच में एकभी गोल नहीं गंवाने वाली मोरक्को एक मात्र टीम रही।

कतर विश्व कप में विजेता अर्जेंटीना टीम को 440 मिलियन डालर और उप विजेता फ्रांस टीम को 30 मिलियन डालर मिला।

फीफा वर्ल्ड कप फुटबॉल खेल का कुंभ लगाने वाली संस्था है। इसमें 32 देशों के पुरूष वर्ग की राष्ट्रीय टीम भाग लेती है। कतर फीफा कप में अंतिम में 16 टीमें पहुंची थी। यह कुंभ 118 सालों से लग रहा है। सन 1930 से फीफा विश्व कप प्रत्येक चार वर्षों पर आयोजन होता रहा है सिर्फ 1942 और 1946 में दूसरे विश्व युद्ध के समय विश्व कप का आयोजन नहीं हो सका था। अब तक फीफा कप में सबसे सफलतम टीम ब्राजील की रही है। 118 साल के इतिहास में पांच बार फीफा ट्रॉफी ब्राजील ने अपने नाम किया है।

फुटबॉल का यह महाकुंभ रोमांच की परकाष्ठा के साथ निर्विध्न समाप्त हो गया। 

तो दोस्तों Fifa world cup पर GreyMatters communications की ओर से ये थी एक छोटी सी प्रस्तुति।

अगले पॉडकास्ट में आपसे फिर मुलाकात होगी, तब तक के लिए आप सभी को नमस्कार।

Dec 23, 202203:29
Happy Chhath

Happy Chhath

नवरात्रि गुजरी, दिवाली ने दस्तक दी। और अब दिवाली के जाते ही छठ की खुशबु हवाओं में फैल सी गई है। हवाओं में ठंडक का एहसास भी घुलने लगा है। घर की बहुत याद आ रही है।

हाँ, पता है... अब हम बच्चे नहीं रहे। नौकरी पेशे वाले matured लोग हैं। पर क्या feelings, भावनाएं कभी mature होती हैं? आप सभी को ये तो पता होगा ही कि दिल तो बच्चा है जी।

हाँ तो हम कहां थे? घर की बहुत याद आ रही है। दिवाली तो जैसे तैसे मना ली। पर अब घर जाना है। बिन कुछ कहे जो आंखें दरवाजे पर टकटकी लगाए हुए हैं, उन आँखों को खुशी के आँसू से नम करना है। माँ-पिताजी के चेहरे पर खिली हुई मुस्कुराहट को देखना है। 

छठ के इस त्योहार में घर में जुटे सभी चाचा-चाची, मामा-मामी, मौसा-मौसी और भाई बहनों से मिलना है। किसी से प्यार भरे गुस्से के साथ कान खिंचवाना है, तो किसी से चंपी करवानी है। 

छठ का बाजार भी तो सज गया होगा न। माँ के छठ के लिए दौरा और सूप खरीदना है। सूप में सजने वाले फलों को चुन-चुन कर उठाना है। अरता का पात, बद्धि, मिठाई और न जाने कितनी ही चीजें करनी हैं। 

अरे हाँ! माँ को नहाय-खाय का गंगा स्नान भी तो करवाना है न। खरना का इंतजार तो हर किसी को होता है शायद। मिट्टी के चूल्हे में सजी आम की लकड़ी से निकलती धीमी आंच, और उस आंच पर पकती खरना की खीर। फिर पकती है रोटियाँ। वैसे एक बात बताऊँ, मेरी माँ व्रती के रूप में और खूबसूरत दिखती हैं। हम खरना कें बारे में बात कर रहे थे। खरना का प्रसाद इस ब्रह्मांड का सबसे स्वादिष्ट भोजन है। हो भी क्यों न, इस भोजन में अग्नि देव की आंच के साथ-साथ चंद्रमा की शीतलता जो मिली हुई है। 

पूरा घर हंसी- ठिठोली और छठ के गीतों से गूंज रहा है। यही तो चाहिए था मुझे। यही तो miss कर रहा था न मेरा अंतर्मन। बहुत खुश हूँ मैं कि मैं भी इस माहौल का हिस्सा हूँ, कुछ छूटा नहीं मुझसे। 

खैर आगे चलें! लीजिए साँझीया अरग का दिन भी आ गया। घर की सभी औरतें ठेकुआ और कसार बनाने में लगी हुई हैं। और सारे पुरुष! वो तो busy हैं घाट तैयार करने, घाट को सजाने, फलों और सूप को धोने आदि में। 

लो शाम भी हो गई, वातावरण छठ के गीतों से गुंजायमान हो रहा है। ठेकुआ, कसार और धूप की भीनी भीनी खुशबू धरती पर ही स्वर्ग के होने का एहसास दे रही है। 


कांच ही बांस के बहंगिया, बहँगी लचकत जाए,

उ जे लेहु न महादेव बहँगी, बहँगी घटे पहुंचाए। 


डाला सज गया और घर के सभी पुरुष बहँगी लेकर घाट की तरफ बढ़ चुके हैं। माँ भी घाट पर पहुँच चुकी हैं, और पानी में उतरने की तैयारी कर रही हैं। घाट सज गया है, लाइटें लग चुकी हैं। सुपें सज गईं और अब माँ ढलते सूर्य को अर्घ्य देंगी। पूरी दुनिया उगते सूर्य को प्रणाम करती है, लेकिन ये छठ ही है, जिसमें हम डूबते सूर्य को पहले प्रणाम करते हैं और फिर उगते सूर्य को। कितना खूबसूरत और भक्तिमय माहौल है न। अद्वितीय! तभी तो छठ में दिल सिर्फ घर की ओर ही भागता है। 

ढलते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही आज छठ का साँझीया अरग खत्म हुआ। कल की सुबह कितनी खुशनुमा होगी न।

3 बज चुके हैं। सब जल्दी-जल्दी घाट के लिए तैयार हो रहे हैं। 4 बजे तक घाट पर जो पहुंचना है। एक बार फिर घाट सज गया है और माँ पानी में उतरने के लिए तैयार हैं। हवाओं में मीठी सी ठंड है। पर छठ के उल्लास के आगे ठंड भी फीकी पड़ गई है। सूर्योदय होने को है और माँ अब उगते सूर्य को अर्घ्य दे रही हैं। 


अरे! मुझे तो पता ही नहीं चला कि ये 4-5 दिन कैसे निकल गए। आज तो उषा अर्घ्य भी समाप्त हो गया। 

एक बार फिर अपने दिल को समझाना होगा और वापस काम पर जाना होगा। अच्छा तो अब चलूँ!

फिर मिलने की उम्मीद लिए सबको मेरा प्रणाम।


GreyMatters Communications wishes you Happy Chhath

Oct 28, 202205:40
आज 2 अक्टूबर है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती।

आज 2 अक्टूबर है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती।

गांधी जयंती पर विशेष

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हेलो दोस्तों, GreyMatters पॉडकास्ट में आपका स्वागत है।


आज 2 अक्टूबर है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती।


यह दिन पूरी दुनिया में International Day of Non-Violence यानि अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2 अक्टूबर को 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में मनाने के भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 15 जून 2007 को मतदान हुआ था और महासभा ने इसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया था। प्रस्ताव में गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत की सार्वभौमिक प्रासंगिकता को स्वीकार करते हुए "शांति, सहिष्णुता, ज्ञान एवं अहिंसा पर आधारित संस्कृति" के निर्माण का आह्वान किया गया। साथ ही कहा गया कि 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' "शिक्षा एवं जन जागरूकता के माध्यम से अहिंसा के संदेश को प्रसारित करने" का सही अवसर होगा।


वर्तमान गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में 2 अक्टूबर 1869 को जन्मे मोहनदास करमचंद गाँधी ने स्वतंत्रता और शांति की प्राप्ति के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका में हुए कई ऐतिहासिक आंदोलनों को नई दिशा प्रदान की। गांधी जी को यकीन था कि किसी को चोट पहुंचाए बिना, किसी तरह की हिंसा का सहारा लिये बिना भी, स्वतंत्रता और शांति के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान गांधी जी के नेतृत्व में हुए चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो जैसे अनेक अहिंसक आंदोलनों ने अंग्रेजों को आखिर भारत से जाने पर मजबूर कर ही दिया। गांधी जी के अहिंसक आंदोलनों की सफलता से प्रेरित होकर दुनिया के कई देशों में लोगों ने अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए अहिंसक आंदोलन किये।


अहिंसा सिर्फ एक विचार नहीं, जीने का मार्ग है। किसी भी देश के विकास के लिए शांति और सद्भाव का माहौल अनिवार्य शर्त है। लेकिन, आज दुनिया के कई देशों में आतंकवादी, उग्रवादी एवं अलगाववादी शक्तियां मजबूती से अपना फन फैला रही हैं, नफरत के बीज बोकर देशों और समुदायों को विभाजित करने के प्रयास कर रही हैं। ऐसे वक्त में गांधी जी के सत्य एवं अहिंसा के संदेशों की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। गांधी दर्शन में संपूर्ण मानवता को एकजुट करने की शक्ति है।


गांधी जी कहते थे, "यह पृथ्वी प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन इससे मनुष्य के लालच की पूर्ति नहीं की जा सकती।"


आज आधुनिकीकरण की होड़ में पूरी दुनिया में विज्ञान की चकाचौंध है, भौतिकता का बोलबाला है, अमीर बनने की अनैतिक प्रतिस्पर्धा है, और प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। मानवतावादियों और नीति-निर्माताओं के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है। गांधी जी की चिंतन धारा और जीवन आदर्श हमें इस चिंता से भी पार पाने की राह दिखाते हैं। गांधी जी सिर्फ एक उपदेशक या दार्शनिक नहीं थे, उनका संपूर्ण जीवन उनके विचारों एवं आदर्शों का आईना था। आइए, गांधी मार्ग को जानें और उस पर चलने का संकल्प लें।

 

आज गांधी जयंती के अवसर पर, राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि स्वरूप, यह थी GreyMatters Communications की एक छोटी सी प्रस्तुति। अगले podcast में फिर मुलाकात होगी, तब तक के लिए आप सबको नमस्कार।

Oct 02, 202204:33
Quest for excellence & innovation yields results

Quest for excellence & innovation yields results

Welcome to the GreyMatters podcast. 


Trust you are all having a great time. 

I am here with an interesting case study for you. 


GreyMatters is India’s leading communications agency offering services in public relations, political communications, public affairs & social media management among others.

Always a delight to share something new, and fresh for you. Today, September 24, 2022, we share with you a short case study that will reveal our passion to work. Sure, many of you have heard of one of India’s leading school book publishers Oswaal Books. 

Agra-based Oswaal Books publishes help books for all the leading boards like CBSE, ISC & ICSE. Apart from this, they also publish books for some of the most important national level competitive exams. 

Present for last 35 years, Oswaal Books is trusted by 3 Lakh Teachers, 50000 Schools, 13 million parents.

We have had a tiny role to play in the fantastic journey of Oswaal Books. Oswaal has always been keen to be on the forefront of informed discussions on education. As their communications partner, we had a task cut out to create a forum which would serve this purpose. Rather than taking a short-cut route to glory and getting a few news clips here and there, we brainstormed relentlessly for days together before we came up with an idea - and Bang On, we were there.

The Oswaal Books “Future of School Education” series was born - a robust platform that has seen all stakeholders in the school education ecosystem converge to discuss and deliberate on the challenges and way forward. 

Starting in 2012, we have organised eight mega roundtable meet bringing education ministers, education secretaries, teachers, parents, principals, ed tech companies, NGOs working in education domain among others. Five education ministers have attended our programs.

This has immensely helped Oswaal Books establish a unique credibility for itself. It is not only a leading publisher today, but is also respected for steering credible discussion, and creating an enabling environment for mutual knowledge sharing among all stakeholders.

Thank you for listening. 

Keep tuning in as We strive to bring you a new idea and story every time.

Sep 24, 202202:51
चटयमंगलम जटायु एडवेंचर सेंटर

चटयमंगलम जटायु एडवेंचर सेंटर

हैलो दोस्तों, GreyMatters पॉडकास्ट में आपका स्वागत है।


आज के इस पॉडकास्ट में हम आपसे बात करेंगे एक ऐसे adventure center के बारे में जिसके अंदर जटायु की लगभग 200 फीट लंबी, 150 फीट चौड़ी और 70 फीट ऊंची मूर्ति है, जो कि भारत की सबसे बड़ी मूर्तियों में से एक है। 

जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे हैं केरल के कोवल्लम में स्थित चटयमंगलम जटायु एडवेंचर सेंटर के बारे में। 

अगर आप प्रकृति और एडवेंचर प्रेमी है तो आपको यह adventure center जरूर अपनी ओर आकर्षित करेगा। इस सेंटर में बनी जटायु यानि गरुड़ की विशाल मूर्ति और रॉक थीम एडवेंचर प्रेमियों को अपनी तरफ खींचता है। लगभग 65 एकड़ में फैले इस सेंटर से आप पहाड़ों का मनोरम दृश्य भी देख सकते हैं। यहाँ paintball, valley crossing, bouldering, zip line , trekking , archery, rappelling, wall climbing , आदि जैसी अनेक गतिविधियां हैं।

इस एडवेंचर सेंटर के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि पौराणिक कथाओं में पक्षीराज जटायु लंकापति रावण द्वारा मारे जाने के बाद चटयमंगलम की ही एक पर्वत चोटी पर गिरे थे। जनकनंदनी माता सीता को बचाने के लिए पक्षीराज जटायु ने लंकापति रावण से वीरता पूर्वक युद्ध किया था लेकिन वृद्ध होने के कारण लंकापति रावण से परास्त हो गए। शायद आप सभी यह जानते होंगे कि परास्त होने के बावजूद भी पक्षीराज जटायु ने भगवान श्री राम को रावण द्वारा सीता का अपहरण किए जाने की सूचना दी और फिर उनकी गोद में चटयमंगलम पर्वत पर अपने प्राण त्याग दिए। 

गोस्वामी तुलसी दास ने भी इसका जिक्र राम चरितमानस में किया है।

कर सरोज सिर परसेउ कृपासिंधु रघुबीरा।

निरखि राम छवि धाम बिगत भई सब पीरा।।

तब कह गीध बचन धरि धीरा।

सुनहु राम भँजन भव भीरा।।

नाथ दसानन यह गति कीन्ही।

तेहि खल जनकसुता हर लीन्ही।।


चटयमंगलम जटायु एडवेंचर सेंटर, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं मूर्तिकार श्री राजीव आंचल जी का सपना था। इस adventure center को बनाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि निर्माण से जुड़ी सभी समाग्रीयों को शीर्ष पर ले जाना बेहद मुश्किल काम था। परंतु तमाम मुश्किलों के बाद भी इस सेंटर के निर्माण को पूरा किया गया। जटायु की विशालकाय मूर्ति के निर्माण में लगभग सात साल लगे। इस मुर्ति के अंदर ऑडियो एवं विडियो based डिजिटल म्यूजियम स्थापित किया गया है जहां रामायण के बारे में बताया जाता है। इतना ही नहीं, पर्यटक मूर्ति के अंदर से समुद्र तल से लगभग 1000 फीट उपर के खूबसूरत नजारों का आनंद भी ले सकते हैं। पार्क में आर्युवेदिक गुफा रिसॉट भी है जहां entertainment से लेकर thrill और आराम, ये सब कर सकते हैं।

तो दोस्तों ये थी कोवल्लम स्थित चटयमंगलम जटायु एडवेंचर सेंटर से जुड़ी कुछ जानकारियाँ। हमें पूरी उम्मीद है कि यहाँ जाकर आप निराश नहीं होंगे।

आज के इस पॉडकास्ट में GreyMatters Communications की तरफ बस इतना ही। अगले पॉडकास्ट में हम फिर मिलेंगे कुछ ऐसी रोचक जानकारी के साथ।  

तब तक के लिए सलाम- नमस्ते।

Sep 14, 202203:45
Happy Independence Day!

Happy Independence Day!

हेलो दोस्तों, GreyMatters पॉडकास्ट में आपका स्वागत है।

हम सब आजादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहे हैं। आजादी हमारे लिए वह अनमोल धरोहर है, जिसके लिए भारत माता के न जाने कितने सपूतों ने हँसते-हँसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। उनमें से बहुत से ऐसे unsung heroes भी थे, जिनकी कहानियां इतिहास के पन्नों में वह स्थान नहीं पा सकीं, जिसकी वो हकदार थीं।

आजादी के अमृत महोत्सव की वेला में unsung heroes पर आधारित विशेष पॉडकास्ट सीरीज में आपने श्री जीत सिंह, श्रीमती तारा द्विवेदी, श्री जगन्नाथपुरी और श्रीमती बिमलप्रतिभा देवी जी की कहानियां सुनीं। इसी सीरीज में आज हम आपको सुना रहे हैं एक और unsung hero पीर अली खान साहब की दास्तान। 

पीर अली खान

बात 7 जुलाई 1857 की है। पटना के जिलाधिकारी कार्यालय के सामने बड़ी संख्या में लोग जमा थे। उनके चेहरे पर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश साफ दिख रहा था। आक्रोश इसलिए, क्योंकि वहां क्रांतिकारी पीर अली खान को सार्वजनिक रूप से फांसी दी जाने वाली थी।

फांसी से पहले कमिश्नर विलियम टेलर ने प्रस्ताव दिया था कि अगर पीर अली पटना के क्रांतिकारियों की पहचान और उनके छुपने की जगहों के बारे में बता दे, तो उसे छोड़ दिया जाएगा। पीर ने माफी की पेशकश सुनते ही उसे ठुकरा दिया था।

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के मुहम्मदपुर में जन्मे पीर अली खान जब सात साल के थे, तो पटना आ गये थे। उनकी परवरिश पटना के जमींदार नबाब मीर अब्दुल्ला ने की। बाद में पीर अली ने किताब की एक दुकान खोली, जो पटना के क्रांतिकारियों के लिए योजना बनाने का मिलन स्थल बन गयी। पीर अली ने अंग्रेजों के खिलाफ नियमित अभियान चलाया और धीरे-धीरे अपना एक छोटा संगठन खड़ा कर लिया।

3 जुलाई 1857 को अपनी दुकान पर जुटे करीब दो सौ सशस्त्र क्रांतिकारियों को साथ लेकर पीर अली ने पटना के प्रशासनिक भवन पर हमला कर दिया। हमले में कमिश्नर विलियम टेलर तो बच गया, लेकिन एक अंगरेज अधिकारी मारा गया और कुछ क्रांतिकारी भी शहीद हो गये।

अगले दिन 4 जुलाई, 1857 को पीर अली को कई साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। उनमें से ज्यादातर को एक दिन बाद ही बिना किसी सुनवाई के फांसी दे दी गई, लेकिन पीर अली को बेरहमी से प्रताड़ित किया गया और जिरह की गई। फिर उन्हें 7 जुलाई को सार्वजनिक रूप से फांसी देने की घोषणा की गई।

फांसी के फंदे को चूमने से पहले पीर अली ने विलियम टेलर से कहा था, ‘जीवन में कुछ ऐसे अवसर आते हैं, जब जान बचाना अच्छा होता है। लेकिन, कुछ ऐसे अवसर भी आते हैं, जब जान दे देना ही अच्छा होता है। आज तुम मुझे फांसी पर लटका दोगे, लेकिन मेरे जाने के बाद तुम्हारे इरादों को ध्वस्त करने के लिए हजारों क्रांतिकारी जन्म लेंगे।’

पीर अली को पटना में जिस स्थान पर फांसी दी गई थी, उसे अब शहीद पीर अली खान पार्क के नाम से जाना जाता है। यह पार्क यहां आने वालों को आजादी के इस गुमनाम नायक की शहादत याद दिलाता रहा है और हमेशा दिलाता रहेगा।

तो दोस्तों GreyMatters Communications की तरफ से यह थी unsung heroes पर विशेष पॉडकास्ट सीरीज। 

We wish you a very Happy Independence Day!

Aug 15, 202204:44
Unsung Hero of India's Freedom Struggle Series: Bimalpratibha Debi Cuttack, Odisha

Unsung Hero of India's Freedom Struggle Series: Bimalpratibha Debi Cuttack, Odisha

Hello friends! Welcome to GreyMatters Podcast.


Freedom, a golden word. The mere utterance of which gives a pleasant feeling. our country has paid a lot to get this freedom. This year we are celebrating the 75th anniversary of independence. On this auspicious occasion, we must talk about some such heroes of the country who could not land on the pages of history. 

Yes of course, we are talking about the unsung heroes of our country and the hero of today’s podcast is Mrs. Bimalpratibha Devi. So stay tuned and let's know about her in this podcast today.


Bimalpratibha Debi

Cuttack, Odisha


Born in Cuttack, Bimalpratibha Debi(1901-1978) spent most of her eventful life in Bengal. She had her initiation into nationalism from her father, Surendranath Mukhopadhyay of the Prabartak Sangha. She was married to Dr. Charuchandra Bandyopadhyay a conservative aristocrat, who did not like political activities for women.

But, from 1918 onwards she regularly took part in political activities, joined the non-violent movement as a member of the Nari Karmamandir of Urmila Debi. In 1927, she became the president of the Akhil Bharatiya Naujwaan Sabha, of which Bhagat Singh was the all India president. She took part in the salt satyagraha as a congress worker.

In June 1930, she was imprisoned for six months for leading a procession in Calcutta in violation of the prohibitory order. A fearless lady, she collected funds for Chattagram revolutionaries by selling their photo albums in Calcutta; also met some of them while attending the Tripura Youth Conference in 1931. All these led to her arrest on the charges of her alleged link with the Manicktala Dacoity Case (1931). She was released by the court but police took her immediately into remand and lodged in different jails of Bengal for six years without trial.

After the Tripuri Congress, she ended her long association with the party. In 1941, she was arrested again for incriminating papers and was imprisoned in the Presidency Jail till 1945. Having lost her son and husband, she lived a sordid last life.

 Here we were listening about Bimalpratibha devi. And this was a small contribution from GreyMatters Communications on the occasion of 75th anniversary of Independence.


Happy Independence Day!

Aug 08, 202203:14
Unsung Hero of India's Freedom Struggle Series: Shri Jeet Singh, Himachal Pradesh

Unsung Hero of India's Freedom Struggle Series: Shri Jeet Singh, Himachal Pradesh

Hello दोस्तों! GreyMatters पॉडकास्ट में आपका स्वागत है। 

आजादी का अमृत महोत्सव, आज पूरा देश आजादी के 75वें वर्ष को पूरा करने की खुशी मना रहा है। 

इस आजादी को पाने के लिए न जाने कितने लोगों ने अलग-अलग तरीके से अपना योगदान दिया। कुछ तो इतिहास के पन्नों पर उतर गए, परंतु कुछ वीरों की दास्तान अनकही रह गई। ऐसे ही कुछ unsung heroes की दास्तान लेकर GreyMatters Communications अपने इस पॉडकास्ट में आपके लिए उपस्थित है। हमारे इस पॉडकास्ट के आज के हीरो हैं कांगरा, हिमाचल के श्री जीत सिंह।    


जीत सिंह

Kangra, Himachal Pradesh

जीत सिंह का जन्म गाँव व डाकघर गुलेर तहसील देहरा, जिला काँगड़ा में 1919 में हुआ था। इनके पिता श्री हरी सिंह और माता श्रीमती कलावती थी। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण जीत सिंह शिक्षा तो हासिल नहीं कर पाए लेकिन शारीरिक रूप से काफी वलिष्ठ और मजबूत थे इसी कारण वह 1940 के लगभग जब द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए बड़ी संख्या में सेना में भर्ती की जा रहीं थी उसी भर्ती में इन्हें भी चुन लिया गया और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजी सेना की ओर से भाग लेते हुए जापान में बंदी बना लिए गए। तत्पश्चात नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आह्वान पर आजाद हिन्द फौज में सिपाही के रूप में भर्ती हुए। अखिल भारतीय आजाद हिन्द फौज समिति से प्राप्त पत्र पर उनकी भारतीय सेना में पंजीकरण संख्या 7759 है। 

बारह वर्ष सिंगापुर और मलाया की जेल में रहे। पारिवारिक साक्षात्कार से प्राप्त जानकारी के अनुसार अक्सर उनको जेल के दौरान काफी यातनाऐ दी जाती थी उनको जेल के एक बाड़े में चारों तरफ करंट लगाकर खुला छोड़ दिया जाता था ताकि कोई भाग न सके। खाने के लिए बहुत कम भोजन दिया जाता था। कभी कभी तो काफी दिनों तक भोजन न मिलने पर घास भी खाकर गुजरा करना पड़ता था। वर्ष 1947 में आजादी के बाद जब घर बापस लोंटे तो श्रीमती कलावती से उनकी शादी हुई। जीवनयापन के लिए कुछ समय अमृतसर की एक कपडे की फैक्ट्री में काम किया| शुरुआती तौर पर उनको उस समय 25 रूपये पेंशन मिलती रही। 1967 में जीत सिंह अद्रंग की चपेट में आ गए जिसके कारण उनके शरीर के लगभग एक तिहाई हिस्से ने काम करना बंद कर दिया और सन् 1985 में जीत सिंह की मृत्यु हो गयी । भारत सरकार की ओर से स्वतंत्रता के चालीसवें वर्ष पर प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी द्वारा आजादी में इनके स्मरणीय योगदान के लिए ताम्र पत्र भी भेंट किया गया।

आजादी के अमृत महोत्सव पर आपके लिए GreyMatters Communications की तरफ से एक छोटी सी भेंट। 

Happy Independence Day!

Aug 03, 202203:33
बिहार की धरोहरों, नालंदा विश्वविद्यालय

बिहार की धरोहरों, नालंदा विश्वविद्यालय

नालंदा विश्वविद्यालय  


हेलो दोस्तों! GreyMatters पॉडकास्ट में आपका स्वागत है!


बिहार की धरोहरों पर आधारित विशेष पॉडकास्ट सीरीज के पिछले अंक में हमने पटना के गोलघर की चर्चा की थी। इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज हम दुनिया के पहले आवासीय विश्वविद्यालय की सैर करेंगे, जहां कभी कई देशों के विद्यार्थी पढ़ने आते थे। जी हां, आपने बिल्कुल सही समझा। आज हम आपको बताएंगे नालंदा विश्वविद्यालय के अतीत और वर्तमान की पूरी दास्तान।

बिहार की राजधानी पटना से करीब 90 किलोमीटर दक्षिण में स्थित विश्व प्रसिद्ध नालंदा यूनिवर्सिटी आज भी अपने अवशेषों के साथ विद्यमान है। इसकी स्थापना कुमारगुप्त प्रथम ने 450 ई० में की थी। इसका परिसर स्थापत्य कला का एक अद्भुत नमूना था, जहां करीब 300 कमरे और 7 बड़े कक्ष और एक विशाल 9 मंजिला पुस्तकालय था, जिसमें कभी 3 लाख से अधिक किताबें मौजूद थीं। इसका परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था, जिसमें प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था। यहां अध्ययनरत करीब 10 हजार विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए करीब दो हजार शिक्षक थे। यहां भारत के अलावा कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया एवं कई अन्य देशों से विद्यार्थी पढ़ाई के लिए आते थे। चीनी यात्री हेनसांग ने भी अपनी शिक्षा यहीं ग्रहण की थी और बाद में अपनी पुस्तक में नालंदा विश्वविद्यालय का विस्तार से उल्लेख किया था।

करीब 800 वर्षों तक विश्व में ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले इस प्राचीन विश्वविद्यालय को 1193 ई में बख्तियार खिलजी के आक्रमण ने नेस्तनाबूत कर दिया। कहा जाता है कि आक्रमण के दौरान यहां न केवल मार-काट मचाई गई थी, बल्कि इसे आग लगा कर ज्ञान के इस प्रकाश-पुंज को अंधेरे में धकेल दिया गया था। 

अपने सुनहरे अतीत को खंडहरों में समेटे नालंदा विश्वविद्यालय सदियों तक पत्थर बन कर देवी अहिल्या की तरह अपने तारणहार का इंतजार करता रहा। मार्च 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति Dr. A.P.J Abdul Kalam इस विश्वविद्यालय के लिए अहिल्या के राम बन कर आये। तब बिहार विधानसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने Nalanda University को पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव रखा। उनके इस दूरदर्शितापूर्ण विचार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तुरंत स्वीकार कर लिया और जल्द ही नालंदा यूनिवर्सिटी को पुनर्जीवित करने का आधिकारिक प्रस्ताव केंद्र सरकार के समक्ष पेश कर दिया। दुनिया के कई देशों ने इस यूनिवर्सिटी को पुनर्जीवित करने में मदद की पेशकश की। वर्ष 2010 में नालंदा यूनिवर्सिटी एक्ट भारतीय संसद के दोनों सदनों में पास हुआ।

प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर के निकट ही करीब 450 एकड़ में इसके नये कैंपस का निर्माण किया गया और 2014 में इसने फिर से विद्यार्थियों के लिए अपने द्वार खोल दिये। इस तरह करीब 800 वर्षों के अंतराल के बाद नालंदा यूनिवर्सिटी पुनर्जीवित हो गई।  

करीब 800 वर्षों तक अपने ज्ञान से विश्व को आलोकित करने, फिर करीब 800 वर्षों तक गुमनामी के अंधेरे में खो जाने और एक बार फिर दुनियाभर में ज्ञान का प्रकाश बिखेरने वाला यह नालंदा विश्वविद्यालय अपने आप में एक मिसाल है। आज भारत सहित 18 देश इसके सदस्य हैं।

तो दोस्तों यह थी नालंदा यूनिवर्सिटी पर आधारित GreyMatters Communications की विशेष पेशकश। अगले पॉडकास्ट में फिर मुलाकात होगी बिहार की एक नई धरोहर की चर्चा के साथ। 

तब तक के लिए सलाम- नमस्ते!

Jul 19, 202204:15
GreyMatters Heritage Series: Patna Ke Golghar ki Kahani

GreyMatters Heritage Series: Patna Ke Golghar ki Kahani

गोलघर


हेलो दोस्तों! GreyMatters पॉडकास्ट में आपका स्वागत है।

किसी देश को विरासत में मिले धरोहर सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि उसके अतीत का आईना होते हैं। धरोहरों के जरिए हम उस देश की प्राचीन सभ्यता-संस्कृति, जीवन शैली, परंपराओं और स्थापत्य कला को करीब से जान पाते हैं।

भारत में भी अनेक ऐसे धरोहर हैं, जिनकी देश-दुनिया में एक विशिष्ट पहचान है और जिनको देखने मात्र के लिए सैलानी खिंचे चले आते हैं।

आज से हम अपने देश की कुछ बहुचर्चित धरोहरों पर एक विशेष पॉडकास्ट सीरीज शुरू कर रहे हैं और इसकी शुरुआत बिहार की धरोहरों से कर रहे हैं।

बिहार, जो लोकतंत्र की जननी है। बिहार, जहां दुनिया का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय था। बिहार, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था...

लेकिन, क्या आपको पता है कि इस बिहार में एक ऐसी अनूठी इमारत भी है, जिसमें एक साथ 1 लाख 40 हजार टन अनाज रखा जा सकता है! नहीं पता!

चलिए, एक हिंट और देती हूं। उस इमारत की आकृति गुम्बदाकार है और उसमें एक भी पिलर नहीं है! याद आया!

जी हां! मैं बात कर रही हूं बिहार की राजधानी पटना में स्थित, 236 साल पुराने गोलघर की, जो आज भी बिहार आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र है।

तो चलिए, आपको इस गोलघर की कहानी सुनाती हूं, और साथ में इसकी सैर कराती हूं।

बात उन दिनों की है, जब अंग्रेज नए-नए भारत आए थे। 1764 ईस्वी में बक्सर का युद्ध जीतने के बाद पूरे बंगाल पर ईस्ट इंडिया कंपनी को शासन का अधिकार मिल गया था। तब बिहार भी बंगाल का ही हिस्सा था। इसके पांच साल बाद, वर्ष 1769 से 1773 के बीच बंगाल में भीषण अकाल पड़ा, जिसमें सरकारी अनुमानों के मुताबिक करीब एक करोड़ से अधिक लोग भुखमरी के शिकार हो गये थे!

भूख से त्राहिमाम करती बंगाल की जनता पर शासन करना अंग्रेजों के लिए मुश्किल हो गया था। इसे देखते हुए तब के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने ब्रिटिश फौजों के भोजन के लिए अनाज का भंडारण करने उद्देश्य से गोलघर के निर्माण की योजना बनाई। गोलघर पर लगे शिलापट्ट में लिखा है कि इसका निर्माण अकाल के प्रभाव को कम करने के लिए, तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के आदेश पर, जनवरी 1784 ईस्वी को शुरु हुआ था जो कि 1786 में जा कर पूरा हुआ।

गोलघर पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान से पश्चिम में स्थित है। और 125 मीटर चौड़ी एवं 29 मीटर ऊंची इस गोलाकार इमारत के शिखर पर चढ़ने के लिए कुल 145 सीढ़ियां हैं। जो भी इस गोलघर को देखने आता है, उसका मन इन सीढ़ियों पर चढ़ते हुए इसके शिखर तक पहुंचने के लिए मचल उठता है। हो भी क्यों न, गोलघर पर  चढ़ कर जहां एक तरफ पटना शहर का बड़ा हिस्सा देखा जा सकता है, तो वहीं, दूसरी तरफ पतित पावनी गंगा के मनोहारी दृश्यों और उस पर निर्मित लंबे पुलों को भी निहारा जा सकता है।

क्या आपको पता है कभी गोलघर के शीर्ष पर 2 फीट 7 इंच व्यास का एक छेद भी हुआ करता था, जिसे इसके अंदर अनाज डालने के लिए छोड़ा गया था। हालांकि अब हम उस छेद को नहीं देख सकते, क्योंकि बाद में उसे भर दिया गया था। 

आपके लिए यह हैरानी की बात यह हो सकती है कि जिस प्रकार वादियों में आवाज echo होती है, उसी प्रकार गोलघर के अंदर भी एक आवाज 27 से 32 बार प्रतिध्वनित होती है। है न यह अपने आप में रोचक!

इस गोलघर को वर्ष 1979 में राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया। 2019 में 'इंडियाज मोस्ट वांटेड' नामक हिन्दी फिल्म में भी गोलघर को दिखाया गया है।

कभी पटना की सबसे ऊंची इमारत के रूप में जाना जाता था यह गोलघर। वक्त के साथ इस शहर में भले ही और भी बहुत सी ऊंची इमारतें खड़ी हो गई हों, लेकिन सैलानियों में आज भी यह अपनी एक अलग अहमियत रखता है और गोलघर को देखने का रोमांच आज भी उतना ही है।  

तो दोस्तों आज के पॉडकास्ट में GreyMatters Communications की तरफ से यह थी बिहार के धरोहरों पर एक चर्चा, जिसमें आज का विषय था गोलघर। अगले पॉडकास्ट में आपसे फिर मुलाकात होगी एक नए धरोहर और उसकी विशेषताओं पर चर्चा के साथ।

तब तक के लिए सलाम- नमस्ते!

Jul 03, 202205:50
International Day of Yoga

International Day of Yoga

योग: कर्मसु कौशलम् 

अर्थात्, योग से कर्मों में कुशलता आती है।


हेलो दोस्तों! आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर इस स्पेशल पॉडकास्ट में आपका स्वागत है।

योग न केवल हमारे शरीर को निरोग रखता है, बल्कि हमारे अंदर नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का भी संचार करता है। 

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए, प्रतिवर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया था और योग की महत्ता का वर्णन कुछ इस प्रकार किया था:

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मोदी जी के संबोधन का अंश

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और माननीय प्रधानमंत्री जी के इस प्रस्ताव को ऐतिहासिक समर्थन मिलने के बाद, वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। आज भारत की इस प्राचीन ज्ञान परंपरा को पूरी दुनिया शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान मान रही है।

हालांकि, योग की तमाम खूबियों को जानते हुए भी बहुत से लोग इसके लिए बस सोचते ही रह जाते हैं। लेकिन, हमारे आस-पास बहुत से ऐसे लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने योग को अपनाकर न केवल अपने स्वास्थ को बेहतर किया, बल्कि इससे बढ़े आत्मविश्वास के दम पर कामयाबी की नई उड़ान भरी।

आज के इस विशेष पॉडकास्ट में हम दो महिला सख्शीयतों, श्रीमती मधुलिका पाठक जी और श्रीमती ज्योत्सना सहाय जी, से योग के संबंध में उनके अनुभव और विचार जानेंगे। इन दोनों का यह मानना है कि इनकी कामयाबी में योग की बड़ी भूमिका रही है।

हमारी पहली गेस्ट श्रीमती मधुलिका पाठक जी वर्ष 2018 में Mrs Jharkhand और 2019 में Mrs India World Wide रह चुकी हैं। आप रांची में रहती हैं और फैशन डिजाइनर तथा पर्सनालिटी डेवलपमेंट कोच के रूप में अपनी खास पहचान बना चुकी हैं।

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श्रीमती मधुलिका पाठक का इंटरव्यू ... 

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तो ये थीं श्रीमती मधुलिका पाठक जी।

अब हम बात करेंगे एक और बेहद खास गेस्ट, ग्रेमैटर्स कम्युनिकेशंस की डायरेक्टर श्रीमती ज्योत्सना सहाय जी से। करियर की शुरुआत में अपनी आवाज से सबके दिलों में जगह बनाने वाली RJ Jyotsana आज एक सक्सेसफुल बिजनेस वुमन हैं।  आप दिल्ली में रहती हैं और तमाम व्यस्तताओं के बावजूद आपने योग का दामन मजबूती से थाम रखा है।

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श्रीमती ज्योत्सना सहाय का इंटरव्यू...  

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तो दोस्तों, अभी आपने श्रीमती ज्योत्सना सहाय जी को सुना। इससे पहले आपने श्रीमती मधुलिका पाठक जी को सुना था। दोनों के अनुभवों का सार यही है कि वह चाहे स्त्री या पुरुष, योग हर किसी के लिए बेहद जरूरी है। यदि आपको जीवन से प्यार है, तो आज ही योग को अपनाइए। साथ ही अपने परिवार और आसपास के लोगों को भी इसके लिए जागरूक करिए।


यह थी योग दिवस पर ग्रेमैटर्स कम्युनिकेशंस की विशेष प्रस्तुति। आप सभी को योग दिवस की शुभकामनाएं।

Jun 21, 202217:37
Happy Father's Day

Happy Father's Day

मुझे रख दिया छांव में,

खुद जलते रहे धूप में,

मैंने देखा है एक फरिश्ता,

मेरे पिता के रूप में...


हेलो दोस्तों! ग्रेमैटर्स पॉडकास्ट में आपका स्वागत है!

आज जून महीने का तीसरा रविवार है। इस दिन को दुनिया 'Father's Day' के रूप में मनाती है।

'फादर्स डे', यानी पिता को समर्पित एक दिन।

तो आज आपको पिता और पुत्र की एक मर्मस्पर्शी कहानी सुनाती हूं...

एक लड़का पिता से झगड़ा कर गुस्से में घर से निकला और बस स्टैंड की तरफ तेजी से जाने लगा; यह बड़बड़ाते हुए कि पता नहीं पापा ने कितने पैसे छुपा रखे हैं, पर मेरे लिए एक बाइक भी नहीं खरीद सकते!

उसे पैरों में कुछ चुभने का अहसास हुआ। नीचे देखा तो पाया कि जल्दी में उसने पापा के जूते पहन लिये हैं! जूते में एक कील उभरी हुई थी, जो उसके पैरों में चुभ रही थी। लेकिन, वह गुस्से में बढ़ता चला गया।

फिर उसे याद आया कि उसने तो घर से भागने के ख्याल से पापा का पर्स भी चुरा कर अपने पास रख लिया है। वह पुराना पर्स, जिसे पापा किसी को हाथ भी लगाने नहीं देते थे। उसने सोचा था, पर्स में काफी पैसे होंगे।

लेकिन यह क्या! पर्स खोला तो उसमें पैसे थे ही नहीं! पैसों की जगह एक मिनी डायरी थी। उसने सोचा, जरूर पापा की सेविंग का राज इसी में लिखा होगा। लेकिन, जब उसने डायरी को पढ़ना शुरू किया तो उसे जोर का झटका लगा! डायरी में जो लिखा था, उसकी उसे कतई उम्मीद नहीं थी। डायरी में उन पैसों का हिसाब था, जो पापा ने उसके सपनों को पूरा करने के लिए अलग-अलग लोगों से उधार लिये थे।

एक पन्ने पर था, 50,000 रुपये बेटे के लैपटॉप के लिए। यह वही लैपटॉप था, जिसे उसने ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के लिए खरीदवाया था। लेकिन, उसने कभी सोचा ही नहीं कि पापा ने इसके पैसे कहां से लाये होंगे!

डायरी में उस कैमरे के लिए लिये गये उधार का भी हिसाब था, जिसे उसने अपने जन्मदिन पर जिद कर पापा से गिफ्ट लिया था; जिसे पाकर वह खुशी से झूम उठा था और उसे खुश देख कर पापा भी काफी खुश नजर आये थे।

लड़के का गुस्सा गायब हो चुका था। वह बस स्टैंड पहुंच चुका था। वहां बेंच पर बैठ कर उसने डायरी का अगला पन्ना पलटा। उसमें पापा की कुछ अपनी जरूरतें लिखी थीं। पहली थी- नये जूते!

उसने पापा के जूते को हाथ में लेकर देखा, वह कई जगह से फट रहा था। उसे तुरंत मां की बात याद आई। घर में जब भी कुछ नया खरीदने की बात होती, मां कहती- अब तो नये जूते ले लो। लेकिन, पापा यह कह कर टाल देते कि अभी कुछ दिन और चल जाएगा!

लड़के की आंख भर आई। उसने सीधे डायरी का आखिरी पन्ना पलट दिया। उसमें एक दिन पहले की तारीख लिखी थी और नीचे लिखा था- 50,000 रुपये, बेटे की बाइक के लिए।

लड़के का दिमाग सुन्न होने लगा था। उसने फटे जूते वहीं फेंक दिये और नंगे पांव घर की ओर भागा। घर पहुंचा, तो पिता वहां नहीं थे। उसे तुरंत समझ में आ गया कि पिता कहां गये होंगे! वह भागता हुआ बाइक की दुकान पर पहुंचा। उसके पिता वहीं थे। उसने दौड़ कर पिता को गले लगा लिया! उसके पश्चाताप के आंसू रुक नहीं रहे थे।

इससे पहले कि पिता कुछ अंदाजा लगा पाते कि यह क्या हो रहा है, लड़के ने सीधे-सीधे कहा, पापा मुझे बाइक नहीं चाहिए। आप अभी चल कर नये जूते खरीदिए और मैं बाइक तब खरीदूंगा, जब खुद कमाने लगूंगा।...


जी हां दोस्तों, पापा होते ही हैं ऐसे,

अपनी इच्छाओं का गला घोंट कर,

बच्चों के सपने पूरे करने के लिए जुटाते हैं पैसे...


इस कहानी में पिता के प्रति व्यक्त भावनाओं ने अगर आपके दिल को किंचित मात्र भी छुआ हो, तो आज Father’s Day के मौके पर अपने पिता के त्याग का दिल खोल कर स्वागत करिए और उन्हें कुछ ऐसा उपहार देने का प्रयास करिए, जिसकी इच्छा को कभी उन्होंने आपके सपनों के बोझ दले दबा दिया था।

यह थी GreyMatters Communications की तरफ से एक छोटी सी अपील।


#HappyFather'sDay! #Father'sDay #Papa #Beti #Fatherbetilove

Jun 19, 202205:05
Respect for food is respect for life

Respect for food is respect for life

भूखे भजन न होय गोपाला

ले लो अपनी कंठी माला...

यह पुरानी कहावत आपने भी जरूर सुनी होगी। मतलब बहुत सीधा सा है। पेट जब भूखा हो, तब भगवान के भजन में भी ध्यान नहीं लगता... इंसान के विकास का इतिहास जितना पुराना है, भूख और भोजन का रिश्ता भी उतना ही पुराना है । है न!

हेलो दोस्तों, ग्रेमैटर्स पॉडकास्ट में आपका स्वागत है।

आज रविवार है, 12 जून। आज डब्ल्यूटीओ यानी विश्व व्यापार संगठन के 164 सदस्य देशों के व्यापार मंत्री चार साल बाद 12वें मंत्री स्तरीय सम्मेलन (MC12) के लिए जेनेवा में मिल रहे हैं। ये मंत्रीगण दुनिया भर में चिंता का सबब बन रहे कुछ नये-पुराने मुद्दों का समाधान तलाशने का प्रयास करेंगे। इनमें जिन दो मुद्दों पर सर्वाधिक चर्चा होगी, वे हैं कई विकासशील देशों में बढ़ती खाद्य असुरक्षा और कोरोना से सुरक्षा के लिए टीकों की अपर्याप्त आपूर्ति।

लेकिन, इस पॉडकास्ट की शुरुआत से आप समझ गये होंगे, कि हम आज भूख और भोजन यानी खाद्य असुरक्षा पर चर्चा करेंगे।

आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था द्वारा इसी साल जारी Food Waste Index Report 2021 के मुताबिक दुनिया में वर्ष 2019 में 93 करोड़ 10 लाख टन भोजन बर्बाद हो गया था! जी हां, 93 करोड़ 10 लाख टन! और यह कुल वैश्विक खाद्य उत्पादन का 17 फीसदी है। इनमें सबसे ज्यादा 61 फीसदी भोजन घरों से बर्बाद हुआ। फूड सर्विस प्रोवाइडर यानी होटल, रेस्टोरेंट आदि से 26 फीसदी खाना बर्बाद हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में भारत के घरों में बर्बाद हुए भोजन की मात्रा 6 करोड़ 87 लाख टन थी।

यह स्थिति तब है, जबकि उसी वर्ष दुनियाभर में 69 करोड़ से अधिक, जबकि भारत में करीब 20 करोड़ लोगों को एक शाम ही भरपेट भोजन मिल पाया। दुनिया में भूखे सोने वालों की संख्या वर्ष 2030 तक 84 करोड़ से अधिक हो जाने का अनुमान है! 

कितनी अजीब विडंबना है न! एक तरफ करोड़ों टन भोजन बर्बाद हो रहा है और दूसरी तरफ करोड़ों लोग भूखे सो रहे हैं। इस पर, हर उस व्यक्ति को जरूर गौर करना चाहिए, जो किसी भोज में, होटल में या अपने घर में भूख से ज्यादा खाना लेकर उसे बर्बाद कर देते हैं।

खाने से भरे हुए प्लेट को डस्टबिन में फेंकने से पहले यह जरूर याद रखिएगा कि लाखों लोग ऐसे हैं, जिनके नसीब में भूख तो है पर भरपेट भोजन नहीं। जितना खाना आपने एक प्लेट में फेंका है, महज़ उतने ही खाने की कमी से कोई आज भूखा तड़प रहा होगा।

भोजन की कीमत भूख से तड़पते लोगों की नजर से आंकने का प्रयास करिए।


एक बार सोच कर देखिए,

भूख को महसूस करके देखिए,

भोजन जीवन का आधार है, इसे कचरे में मत फेंकिए।


Respect for food is respect for life

आइए एक संकल्प करें, इस संदेश को तीन और लोगों तक पहुंचाएं।

सोशल मीडिया और whatsapp पर जोक्स और अन्य मेसेजेस् के साथ इस संदेश को भी फैलाएं ।


यह थी GreyMatters Communications की तरफ से एक छोटी सी अपील।

Jun 12, 202203:31
World Environment Day

World Environment Day

ये हसीं वादियां, ये खुला आसमां 

आ गए हम कहां ऐ मेरे जानेजां... (Song Play, These two lines only)

90’s का यह खूबसूरत गाना आज भी प्रकृति की गोद में बैठकर गुनगुनाया जाने वाले लोकप्रिय गानों में शुमार है। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि जिस तेजी से हम modernisation की तरफ बढ़ रहे हैं और उसकी आड़ में प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उसमें यह प्रकृति अपनी खूबसूरती कब तक बनाए रख पाएगी?

हेलो दोस्तों!! GreyMatters podcast में आपका स्वागत है। आज विश्व पर्यावरण दिवस है। इस वर्ष पर्यावरण दिवस की थीम है ‘सिर्फ एक पृथ्वी’, यानि कि पृथ्वी ही हमारा एक मात्र घर है और हमें अपने बचे हुए संसाधनों की रक्षा करनी चाहिए।

In the universe there are billions of galaxies,

In our galaxy there are billions of planets,

But there is #OnlyOneEarth.

Let’s take care of it.

धरती तथा जीवन को सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण का सुरक्षित रहना बहुत जरूरी है। क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के पार्टियों के सम्मेलन (COP-26) में भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने वैश्विक समुदाय को ‘पंचामृत’ द्वारा पाँच संकल्पों से वचनबद्ध किया ताकि पर्यावरण संरक्षण के लिए हम चौतरफा कार्य कर सकें।

क्या आपको पता है कि दुनिया के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं? Center for science and environment के अनुसार हमारी गंगा और यमुना नदियां, दुनिया की 10 सबसे प्रदूषित नदियों में शुमार हैं। प्रकृति और मनुष्य के adaptation के अनुपात में जलवायु बहुत तेजी से गर्म हो रही है। जलवायु के विपरीत प्रभाव से 1 मिलियन प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा बना हुआ है। कुछ अन्य रिपोर्टों के अनुसार, दुनिया भर में 90% से अधिक लोगों को स्वच्छ हवा नहीं मिलती है।

है न चिंतनीय विषय! सोचिए, अगर यही हाल रहा तो हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्या देंगे? 

लेकिन क्या पर्यावरण संरक्षण के लिए केवल कोई एक दिन होना चाहिए? आपको यह जरूर जानना चाहिए कि पशु-पक्षियों को आश्रय देना, आस-पास के जल स्रोतों को गंदा नहीं करना, कचरा खुले में नहीं फेकना, बिजली की खपत तथा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग जरूरत भर ही करना, पानी बर्बाद न करना, कम दूरी के लिए गाड़ियों का उपयोग नहीं करना आदि कुछ ऐसे छोटे-छोटे कदम हैं जिनकी सहायता से हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। 

Small steps can make a big change.

Let’s nurture our nature so that we have a better future!


GreyMatters Communications की तरफ से एक छोटी सी अपील।


#WorldEnvironmentDay #earth #planet #narendramodi

Jun 05, 202203:46
World No-Tobacco Day

World No-Tobacco Day

Hello and Welcome to the GreyMatters Podcast.

आज World No-Tobacco Day है, विश्व तंबाकू निषेध दिवस। आप तंबाकू का सेवन करते हों, या न करते हों, लेकिन आज की चर्चा को आपको अंत तक जरूर सुनना चाहिए।

रफी साहब का गाया यह लोकप्रिय गीत आपने भी जरूर सुना होगा...

(यहां गाना 'मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता....' तक प्ले करना है।)

जी हां, आपके आसपास भी कुछ लोग होंगे, जो सिगरेट का धुआं उड़ाने या अन्य तंबाकू उत्पादों के सेवन के लिए ऐसे बहाने दोहराते होंगे। पर क्या आप जानते हैं कि ऐसा करने वाले लोग जिंदगी का साथ निभाने की बजाय उसे कितने बड़े खतरे में डाल रहे हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू के सेवन से दुनिया में हर साल 70 लाख से ज्यादा, जबकि भारत में 10 लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो जाती है। एक शोध के मुताबिक भारत में हर 9वां व्यक्ति किसी-न-किसी रूप में तंबाकू का सेवन करता है। 

यह स्थिति तब है, जबकि विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके सेवन से फेफड़े, लिवर, मुंह के कैंसर सहित कई प्रकार के रोग होते हैं, हृदय रोग का खतरा कई गुना बढ़ जाता है, और रोग प्रतिरोधक क्षमता में भारी कमी हो जाती है। कोरोना काल में हुए एक सर्वे के मुताबिक धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने वालों को कोरोना के जोखिम का अन्य लोगों के मुकाबले 40-50% तक अधिक सामना करना पड़ा है। 

तंबाकू का सेवन बीमारियों और मौत को न्योता देने के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास और पर्यावरण को भी प्रभावित करता है। तंबाकू की खेती, उत्पादन और वितरण का हमारे पर्यावरण पर अत्यंत विपरीत असर पड़ता है।

तंबाकू उत्पादों के सेवन से होने वाली मौतों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए World Health Organisation ने 1987 में एक resolution pass किया और इसके प्रति जनजागरूकता के उद्देश्य से विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने की शुरुआत की गयी। हालांकि पहली बार यह दिवस 7 अप्रैल 1988 को मनाया गया था, लेकिन 1988 में ही एक अन्य प्रस्ताव पारित कर इसे हर वर्ष 31 मई को मनाने की घोषणा की गयी। तब से हर वर्ष इस दिन दुनियाभर में तंबाकू और इसके उत्पादों के सेवन के घातक परिणामों के प्रति लोगों में जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस दिवस को हर वर्ष एक नई theme के साथ  मनाया जाता है और इस वर्ष की थीम है- 'पर्यावरण के लिए खतरनाक है तंबाकू'।

तो आइए, आज तंबाकू और पर्यावरण से जुड़े कुछ जरूरी तथ्यों को जानते हैं।

WHO की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू उगाने से हर वर्ष करीब 3.5 मिलियन हेक्टेयर भूमि की उत्पादकता नष्ट होती है। तंबाकू की खेती से मिट्टी के पोषक तत्वों में कमी तो आती ही है, कृषि रसायनों के भारी इस्तेमाल के कारण जल, मिट्टी और पर्यावरण के प्रदूषण को भी बढ़ावा देती है।

तंबाकू उत्पादों को बनाने और पैकेजिंग में तथा उसके कचरे को निपटाने में पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। तंबाकू और इसके कचरे को जलाने से निकलने वाला धुआं बड़ी मात्रा में मानव कार्सिनोजेन्स, जहरीले पदार्थ तथा 84 मेगा टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर annual ग्रीनहाउस गैसों को वातावरण में समाहित करता है, जो वैश्विक तापमान को बढ़ाने में मददगार है।

मतलब साफ है, तंबाकू उत्पाद आपको बीमार तो बना ही रहे हैं, पर्यावऱण को भारी नुकसान पहुंचा कर आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरा पैदा कर रहे हैं।

तो क्या इस तंबाकू निषेध दिवस पर आप अपने खुद के स्वास्थ्य और अपनी आनेवाली पीढ़ियों के पर्यावरण की रक्षा के लिए एक नई शुरुआत करेंगे? 

जीवन और पर्यावरण दोनों अनमोल है, इसे धुएं में उड़ा कर या 'अस्सी चुटकी नब्बे ताल' लगा कर बर्बाद न करें।

तंबाकू उत्पादों का सेवन छोड़िए, जीवन और पर्यावरण को बचाइए। खुद तो जागरूक होइए ही, अपने आसपास के लोगों को भी जागरूक करिए।

यह थी GreyMatters Communications की तरफ से एक छोटी सी अपील। अंत तक सुनने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। फिर मिलेंगे, एक नये विषय के साथ।


#WorldNoTobaccoDay  #tobacco #health #WHO

Jun 01, 202204:29
International Tea Day

International Tea Day

एक प्याली चाय। सबकी प्यारी चाय।

बंगाली में चा, कन्नड में चाह, मलयाली में छाया तो तमिल में थिमिर।

नाम अनेक पर काम एक, सुकून दिलाती चाय, थकान मिटाते चाय!

सुबह-सुबह चाय की प्याली के साथ अख़बार पढ़ते हुए या स्मार्टफोन चलाते हुए खुद के साथ जो वक्त बीतता है, उसके आनंद को शब्दों में बयां करना मुश्किल है।

आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि चाय के दीवाने इसके लिए कितने रुपये तक खर्च करते हैं। जी हाँ, हाल में गुवाहाटी टी ऑक्शन सेंटर पर, असम की 'मनोहरी गोल्ड' चाय की एक किलो के लिए 99,999 रुपए की बोली लगाई गयी। यह देश में चाय के लिए सबसे महँगी बोली है।

आज इंटरनेशनल टी डे के मौके पर GreyMatters podcast के इस स्पेशल एडिशन में हम कुछ ऐसे ही रोचक तथ्यों के साथ हाजिर हैं। आइए, साथ में इसका आनंद उठाएं। 

इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में tea lovers के लिए चाय वो साथी है, जिसके साथ दो पल बिताने के लिए वे busy से busy schedule से भी कुछ पल निकाल ही लेते हैं।

भारत में चाय की खेती बहुत ज़माने से होती रही है, लेकिन officially इसकी खोज 1823-24 के करीब Robert Bruce और मणिराम दीवान द्वारा की गयी। आज चाय की दुनिया में भारत की दार्जिलिंग और असम चाय की अपनी एक अलग ही पहचान है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में  चाय की 3000 से अधिक वेराइटीज हैं, और सबकी अपनी एक अलग ही खासियत है।

पूरे दिन की थकान के बाद शाम का वो लम्हा जब चाय की चुस्कियां ली जा रही होती हैं, हलक से उतरती हर घूँट आत्मा को तृप्त करती है और थकान मानो काफ़ूर हो जाती है।

पर इस दौरान क्या कभी यह ख्याल आया है कि इस चाय की उत्पत्ति कहां हुई होगी? एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार चीन चाय की जन्मस्थली है। और वहां भी यह 'चा' ही कही जाती है। चीन के सम्राट शेन नुन्ग ने चाय की खोज की और वो ही चाय पीने वाले पहले व्यक्ति हैं। एक फैक्ट यह भी है कि आज की तारीख में टर्की विश्व में चाय की सबसे बड़ी उपभोक्ता है, जहां annually चाय की औसत खपत 6.961 पौण्ड per person है। 

रोज़मर्रा की जिंदगी में लोग सुबह-शाम चाय पीते हैं, लेकिन शायद ही कोई चाय के इस सफरनामे को जानते होंगे। क्यों, था न यह, चाय का एक बेहतरीन सफरनामा विद फैक्ट्स।

 International Tea Day पर GreyMatters Communications की तरफ से Tea Lovers के लिए एक छोटी सी भेंट।


#InternationalTeaDay #tea #tealover 

May 21, 202204:05
MAA - A whole universe

MAA - A whole universe

One word uniting the whole universe in feeling for her. Happy Mother's Day! 

#happymothersday

Script: Shraddha Suman, GreyMatters Communications

Voice Over: Shraddha Suman, GreyMatters Communications

Editing: Himanshi Sachdeva, GreyMatters Communications

May 08, 202201:38
Don't try fag for the first time, be away from it every time!

Don't try fag for the first time, be away from it every time!

This episode of the GreyMatters podcast talks about the harmful side effects of smoking. Smoking Kills, so don't try fag for the first time, be away from it every time.

#AntiSmoking #SmokingKills

Script: Vinit Kumar, GreyMatters Communications

Voice Over: Shruti Sharma, GreyMatters Communications

Editing & VFX: Himanshi Sachdeva, GreyMatters Communications

Apr 27, 202202:16
Save energy, feel energetic!

Save energy, feel energetic!

 A podcast that talks about the need to conserve energy for a sustainable future. 

Script: Astha Verma, GreyMatters Communications 

Voice Over: Shruti Sharma, GreyMatters Communications

Editing & VFX: Himanshi Sachdeva


Apr 15, 202202:13
बिना स्वस्थ्य तन, बेकार है अर्जित धन!

बिना स्वस्थ्य तन, बेकार है अर्जित धन!

This #WorldHealthDay, let's promise ourselves to keep health before everything else.

Scripting: Vinit Kumar, GreyMatters Communications

Voice Over: Shruti Sharma, GreyMatters Communications

Editing: Himanshi Sachdeva, GreyMatters Communications 


Apr 06, 202202:37
Har Nari hai, Extraordi-NARI!

Har Nari hai, Extraordi-NARI!

GreyMatters wishes a very happy #InternationalWomensDay to all our listeners.

Mar 08, 202201:29
Assembly election 2022

Assembly election 2022

With 5 states headed for elections, it's poll season. The nature of election campaign has changed, hear out who can help you win this election.

Feb 09, 202201:24
A tribute to the nightingale of India, Lata Didi|1929-Eternity|

A tribute to the nightingale of India, Lata Didi|1929-Eternity|

Our tribute to India's Nightingale, late Lata Mangeshkar ji. Her voice transcends generations, regions, languages; such has been the melody and music of our Lata Didi.

GreyMatters will always remember you!


Voice Over: Shruti Sharma, GreyMatters Communications

Editing: Adhyan Tiwari, GreyMatters Communications

Feb 06, 202202:07
New Year, New You

New Year, New You

Let's begin 2022 with a fresh start & fight back the virus.

Script writer: Shruti Sharma, GreyMatters Communications

Voice Over: Shruti Sharma, GreyMatters Communications

Editing: Adhyan Tiwari, GreyMatters Communications

Jan 12, 202203:01
HAPPY NEW YEAR 2022!

HAPPY NEW YEAR 2022!

New year & GreyMatters is here to remind you, self love is first love.

Jan 01, 202201:31
How Amity University’s ‘Marathon for a cause’ raced ahead creating a massive buzz?

How Amity University’s ‘Marathon for a cause’ raced ahead creating a massive buzz?

Want to know, how Amity University’s ‘Marathon for a cause’ raced ahead creating a massive buzz?


Here's a podcast, explaining to you the secret behind the success of one of  India's leading private institutions.


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Dec 14, 202102:21
Case Study

Case Study

It was a challenge to create buzz & ensure credible launch for a hospital tucked in Azamgarh district in Uttar Pradesh. With a mission to creating something big, The GreyMatters zeroed in former President Dr APJ Abdul Kalam. By establishing effective communication with his office and about a month's persuation, Dr Kalam did make it to event, resulting in big take off of Ashirvad Hospital, Azamgarh. Listen to the GreyMatters case study.
Nov 30, 202102:46
Happy Durga Puja✨🙏

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Showing the diversity of India through one festival. Happy Durga Puja 🙏✨🎊
Oct 14, 202100:52
Panch Ka Punchnama

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Every company will become a content company in days to come. Content writing is all about creativity & touching the unexplored. In today's session we discover the mantra of writing a good content and ways of becoming creative. Listen, learn, lead & fly.
Oct 11, 202105:06
How did a small, little known book publisher gain prominence and get into national mainstream?

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Oswaal Books wanted to gain brand visibility & prominence. GreyMatters planned a special concept with an aim to bring together all critical stakeholders in the education domain – principals, teachers, students, parents, NGOs and educationists. The idea clicked and rest is history.
Oct 04, 202102:41
Let's Talk

Let's Talk

This podcast has an interview with a veteran journalist - Alok Nandan know the different tips and tricks to be a good journalist with us.
Sep 13, 202109:28