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By Dharmendra Kumar

Mediabharti.net is a news portal for all netizens. It is an effort to provide a complete informative solution for everyone. You are free to post your comments and participate in discussions in a common endeavour to bridge the communication divide. You may find this platform useful for expression of your ideas, frustrations, longings and downright cynical outbursts. We have tried to include news, comments and critical analysis. We include regular columns on various issues that are in the public eye, plus self-promotion fundas, career, food etc too.
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जन-मानस से कट गया है विपक्ष

Mediabharti.netFeb 03, 2024

00:00
01:55
जन-मानस से कट गया है विपक्ष
Feb 03, 202401:55
दोष नीति का नहीं, नियंताओं का है...
Jan 27, 202402:57
अयोध्या मामले में यूं चूकी कांग्रेस...
Jan 26, 202401:25
अयोध्या के बाद अब कृष्ण की बारी
Jan 23, 202401:51
कुछ इस तरह होगी भविष्य में भारत की राजनीति...
Oct 27, 202303:13
तीन महीने तक खिंच सकता है इजरायल-हमास का युद्ध…!
Oct 23, 202308:06
उत्तर की तुलना में ज्यादा 'समझदार' है दक्षिण भारत का मीडिया

उत्तर की तुलना में ज्यादा 'समझदार' है दक्षिण भारत का मीडिया

उत्तर और दक्षिण भारत के मीडिया में एक बड़ा अंतर यह है कि दक्षिण में खबरों को 'सनसनीखेज' बनाकर पेश करने का चलन उतना नहीं है जितना देश के उत्तरी इलाकों में है। देश के दोनों हिस्सों के बीच मीडिया के प्रस्तुतीकरण में अंतर को स्पष्ट कर रही हैं ह्यूमरटाइम्स.कॉम की संपादक मुक्ता गुप्ता...

Mar 19, 202101:57
हिंदी पत्रकारिता के उन्नयन में मददगार है ऑनलाइन माध्यम
Mar 15, 202102:13
देश को नहीं है ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की जरूरत

देश को नहीं है ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की जरूरत

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का मुद्दा ‘गर्मी’ पकड़ने लगा है। साथ ही, यह बहस भी एक बार फिर शुरू हो चुकी है कि क्या ऐसा करना जरूरी है। पांच साल में 'एक बार' और 'एक साथ' चुनाव के लिए जो 'वजहें' बताई जा रही हैं, बेशक उनमें से कई 'जायज' हैं, लेकिन की वजहें किसी भी तरह से गले नहीं उतरती हैं। 'सुखी लोकतंत्र' के लिए रोजाना कहीं न कहीं चुनाव होते ही रहने चाहिए, नेताओं को अपना 'रिपोर्ट कार्ड' मिलते रहना चाहिए। राम मनोहर लोहिया ने कभी कहा था कि जिंदा कौमें पांच साल तक इंतजार नहीं करती तो फिर आज की सत्ता एक जिंदा कौम को ऐसा करने पर मजबूर क्यों कर रही है? इसी मुद्दे से जुड़े कई सवालों पर मीडियाभारती.नेट से बात कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार विनीत सिंह

Feb 24, 202119:39
इतनी भी आसान नहीं है 'पांच ट्रिलियन डॉलर' की अर्थव्यवस्था...
Feb 06, 202101:27
तीन महीने के खर्चे जितनी बचत है बेहद जरूरी
Jan 29, 202100:54
अब 'साइलेंट वोटर' ही खोलेगा सत्ता का द्वार
Jan 17, 202101:29
भरोसे में आई कमी से बढ़ी हैं नरेंद्र मोदी की मुश्किलें
Dec 29, 202001:22
निजता के नाम पर न बने दूरी

निजता के नाम पर न बने दूरी

निजता के नाम पर रिश्तों में दूरी बनाने से होने वाले नुकसानों का जिक्र कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार केशव चतुर्वेदी...

Dec 18, 202001:21
भोजपुरी भाषा के उद्गम की कहानी

भोजपुरी भाषा के उद्गम की कहानी

भोजपुरी साहित्य की परंपरा संत कबीर दास, दरिया दास व तुलसी दास से लेकर भिखारी ठाकुर की रचनाओं तक विस्तारित है। माना जाता है कि संस्कृत की साक्षात पुत्री है भोजपुरी भाषा...। साहित्य समालोचक प्रमोद कुमार पांडेय बता रहे हैं, भोजपुरी भाषा के उद्गम की कहानी...

Dec 16, 202001:52
अजीब दोराहे पर अटक गया है मीडिया

अजीब दोराहे पर अटक गया है मीडिया

बीते कई राजनीतिक और सामाजिक प्रकरणों में रिपोर्टिंग से ऐसा लगने लगा है कि मीडिया अपनी मारक क्षमता कहीं खो बैठा है। मीडिया के सुर, लय और ताल के खो जाने से खिन्न ब्रज खंडेलवाल बता रहे हैं इसकी वजह...

Dec 16, 202001:45
कम आमदनी में भी ऐसे जारी रखें छोटे निवेश...
Dec 16, 202018:18
समझिए एमएसपी का असली 'खेल'

समझिए एमएसपी का असली 'खेल'

किसानों के संघर्ष की मुख्य वजह बना न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी आखिर है क्या? बहुत ही आसान भाषा में बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार प्रिय रंजन झा...

Dec 16, 202008:08
एमएसपी को ‘लीगल’ करने से नहीं है कोई फायदा

एमएसपी को ‘लीगल’ करने से नहीं है कोई फायदा

किसान सड़कों पर उतरकर नए कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं। लेकिन, ये पंजाब के किसान हैं..., या पंजाब की सीमा से लगे हरियाणा और कुछ दूसरे इलाकों के...। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र या कर्नाटक के किसान इस तरह का विरोध नहीं कर रहे हैं। क्यों नहीं कर रहे हैं, यह सवाल है। क्या पंजाब के किसान नए कृषि कानूनों को समझ नहीं पा रहे हैं? इसके विपरीत, केंद्र सरकार विरोध कर रहे इन किसानों को क्यों नहीं समझा पा रही है? एमएसपी को कानूनी रूप से अनिवार्य करने में क्या अड़चन है?  क्या किसानों की आड़ में नेतागिरी हो रही है? असली समस्या क्या है? इसका हल क्या है? ऐसे ही कई सवालों पर वरिष्ठ पत्रकार प्रियरंजन झा के साथ बात कर रहे हैं मीडियाभारती.नेट के संपादक धर्मेंद्र कुमार ...

Dec 15, 202023:20
‘लव जिहाद’ या महज बीजेपी का खुराफाती दिमाग!

‘लव जिहाद’ या महज बीजेपी का खुराफाती दिमाग!

Dec 15, 202017:24
आ गया है एक्जिट पोल से पीछा छुड़ाने का समय
Dec 15, 202010:05
बिहार चुनाव परिणामों के क्या हैं मायने?
Dec 15, 202020:34
उत्तर और दक्षिण का सामाजिक विभाजन : मिथक और वास्तविकताएं
Dec 14, 202020:41
धर्म की राजनीति का अगला पड़ाव तो नहीं है श्री कृष्ण जन्मभूमि आंदोलन!
Dec 14, 202017:51
सरकारें नहीं, समाज खत्म करेगा बढ़ती ‘संवेदनहीनता’ को
Dec 11, 202024:44
‘बकवास’ ही नहीं, बढ़िया सिनेमा भी बनता है भोजपुरी में

‘बकवास’ ही नहीं, बढ़िया सिनेमा भी बनता है भोजपुरी में

... एक रात को दो बजे, जब अचानक नींद खुल गई तो टीवी से 'उलझ' बैठे और चैनल सर्फ करते-करते 'भोजपुरी टेरीटरी' तक जा पहुंचे। किसी मूवी चैनल पर निरहुआ की फिल्म 'बिदेसिया' आ रही थी। भोजपुरी में ऐसी फिल्में भी बनती हैं, यह जानकर अचंभा हुआ। नौटंकी विधा को फिल्म विधा के साथ गूंथकर बनाई गई यह फिल्म जब देखना शुरू किया तो फिर चैनल बदल ही नहीं पाए। जरूरी नहीं है कि मिठास और श्रम की भाषा भोजपुरी में 'बकवास' फिल्में ही बनती हैं, यहां 'बढ़िया' सिनेमा भी है। भोजपुरी सिनेमा के पुराने रसूख और मौजूदा स्थिति पर वरिष्ठ पत्रकार और साहित्य समालोचक प्रमोद कुमार पांडेय से बात कर रहे हैं मीडियाभारती.नेट के संपादक धर्मेंद्र कुमार ...

Dec 11, 202035:04
बचपन से ही क्यों न दी जाए कानून की शिक्षा..!

बचपन से ही क्यों न दी जाए कानून की शिक्षा..!

हमारे देश में छात्रों के लिए विधिक शिक्षा का प्रावधान स्नातक स्तर पर ही होता है। हालांकि, इससे पहले, विद्यार्थियों को नागरिक शास्त्र के रूप में, थोड़ी-बहुत जानकारी जरूर दी जाती है, लेकिन इसे पर्याप्त कतई नहीं कहा जा सकता। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि वयस्क होने तक भी हमारे विद्यार्थियों के पास अपने ही देश के कानून के बारे में मूलभूत जानकारियां तक नहीं होती हैं। जब ये बच्चे एक नागरिक के रूप में कोई कानूनी मदद लेने के लिए किसी पुलिस थाना या अदालत में पहुंचते हैं, तो इन्हें कानूनी प्रक्रिया, अपने संवैधानिक दायरों, कर्तव्यों और यहां तक कि अधिकारों के बारे में भी बहुत कम जानकारी होती है। देश में वैधानिक शिक्षा के मौजूदा स्वरूप पर अधिवक्ता और विधिक मामलों के जानकार अमिताभ नीहार के साथ बात कर रहे हैं मीडियाभारती.नेट के संपादक धर्मेंद्र कुमार ...

Dec 11, 202013:48
क्या बीजेपी नीतीश कुमार को 'किनारे' लगाने की कोई चाल चल रही है?

क्या बीजेपी नीतीश कुमार को 'किनारे' लगाने की कोई चाल चल रही है?

बिहार में चुनावी सरगर्मियां बहुत तेज हो गई हैं। दल-बदल और राजनीतिक दलों में तोड़म-फोड़ अपने चरम पर है। नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। चिराग पासवान एनडीए में हैं, लेकिन नहीं हैं। वह नीतीश कुमार के साथ भी नहीं हैं। एनडीए उनके दल लोक जनशक्ति पार्टी को अपना घटक मानता है, लेकिन चुनावी अभियान में मोदी के फोटो और नाम का इस्तेमाल करने से रोक भी रहा है। क्या इस सबके पीछे बीजेपी की नीतीश कुमार को किनारे लगाने की कोई चाल है? ऐसे ही कई सवालों के जवाब पाने और बिहार की वर्तमान राजनीति को समझने के लिए वरिष्ठ पत्रकार प्रियरंजन झा के साथ चर्चा कर रहे हैं मीडियाभारती.नेट के संपादक धर्मेंद्र कुमार ...

Dec 10, 202032:20
पक्ष, विपक्ष और मीडिया को अपने गिरेबां में झांकने की जरूरत
Dec 10, 202014:27