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"Critical Thinking" is the only Solution for saving Humanity

"Critical Thinking" is the only Solution for saving Humanity

By Kuhu Sufi

Humanity is facing multiple challenges. Religious disharmony. Communal violence. Various Differences between humanity creating disharmony. Unscientific Social systems.

What is the Solution?

Just listen this Hindi talk.

Welcome

Tushar Cosmic
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Hindi Podcast क्या आत्मा सच में कुछ है? सुनें

"Critical Thinking" is the only Solution for saving HumanityApr 16, 2020

00:00
05:15
Street Dogs~ Problems and Solutions (Hindi)

Street Dogs~ Problems and Solutions (Hindi)

Street Dogs have become a Threat to our day-to-day life. I have discussed not only the problem but the reasons of this problem and the possible solutions. Welcome. ~ Tushar Cosmic.
Apr 03, 202312:24
सुनिए सुनाईये. ...... २६ जनवरी ... क्या हम सच में रिपब्लिक हैं?

सुनिए सुनाईये. ...... २६ जनवरी ... क्या हम सच में रिपब्लिक हैं?

सुनिए सुनाईये. ...... २६ जनवरी ... क्या हम सच में रिपब्लिक हैं? शेयर करें तो इस मैसेज के साथ अन्यथा पता ही नहीं लगेगा की यह ऑडियो फाइल किस बारे में हैं. ..तुषार कॉस्मिक
Jan 27, 202212:10
Confusion is a Good thing.

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Aug 26, 202102:56
चुटकले सिर्फ चुटकले नहीं होते जनाब.

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Aug 05, 202104:37
भरम है कि बुरा करोगे तो आप के साथ बुरा होगा...सुनिए ...तुषार कॉस्मिक

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Jul 01, 202108:59
क्या कोरोना फ्रॉड है?

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Jun 02, 202122:10
कोरोना -- आंकड़ों का खेल

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कोरोना सिवा आंकड़ों को घुमाने के कुछ नहीं. सबूत है कल की ये खबर
May 02, 202103:31
कोरोना कथा सत्य कथा है क्या? ~ तुषार कॉस्मिक ~

कोरोना कथा सत्य कथा है क्या? ~ तुषार कॉस्मिक ~

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May 01, 202109:54
एक चर्चा--कोरोना फ्रॉड है या नहीं

एक चर्चा--कोरोना फ्रॉड है या नहीं

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Feb 05, 202129:46
पैगम्बर कौन?

पैगम्बर कौन?

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Feb 05, 202107:07
सफेद हाथी.....सरकारी नौकर

सफेद हाथी.....सरकारी नौकर

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Feb 05, 202101:18
सरकारी नौकरी..रिजर्वेशन....वर्तमान सरकार

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Feb 05, 202106:04
बढ़ते कुत्ते.. बढ़ती समस्याएं...भाग -3

बढ़ते कुत्ते.. बढ़ती समस्याएं...भाग -3

बढ़ते कुत्ते.. बढ़ती समस्याएं...भाग -3
Feb 05, 202106:55
बढ़ते कुत्ते.. बढ़ती समस्याएं...भाग -2

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बढ़ते कुत्ते.. बढ़ती समस्याएं...भाग -2
Feb 05, 202103:49
झूठ के ताने-बाने से बुनी हुई है इंसानी जिंदगी

झूठ के ताने-बाने से बुनी हुई है इंसानी जिंदगी

झूठ के ताने-बाने से बुनी हुई है इंसानी जिंदगी
Feb 05, 202103:44
बढ़ती जनसँख्या कुत्तों की..बढ़ते ख़तरे... क्या है समाधान

बढ़ती जनसँख्या कुत्तों की..बढ़ते ख़तरे... क्या है समाधान

गलियां..कुत्ते..समस्या..समाधान
Feb 05, 202104:21
बर्ड फ्लू एक चुतियापा

बर्ड फ्लू एक चुतियापा

बर्ड फ्लू
Jan 16, 202103:46
एक कोरोना विक्टिम को मेरी राय

एक कोरोना विक्टिम को मेरी राय

एक कोरोना विक्टिम को मेरी राय
Sep 18, 202004:51
सरकारी नौकर को औकात में कैसे रखा जाए

सरकारी नौकर को औकात में कैसे रखा जाए

सरकारी नौकर को औकात में कैसे रखा जाए
Aug 04, 202010:57
फर्क शास्त्रार्थ और डिबेट में

फर्क शास्त्रार्थ और डिबेट में

हमारे यहाँ कभी डिबेट को ठीक से न समझ गया, न इज़्ज़त दी गई. हम ने अगर किया भी तो शास्त्रार्थ किया जो कि डिबेट बिल्कुल नहीं हैं. क्या फर्क है औऱ इस फर्क को समझने से क्या फायदा है, गौर से सुनिए, पूरा सुनिए
Jul 18, 202003:01
चूतिया इंसान और सयानी कुदरत

चूतिया इंसान और सयानी कुदरत

इंसान मूर्ख है। स्याना बनने के चक्कर में ओवर स्मार्ट हो गया और सब गड़बड़ कर दिया। नाश कर दिया, सत्यानाश कर दिया।
Jun 19, 202007:57
"मादरचोद" की गाली से "मदर डे" की बधाई से आगे तक-मेरा नज़रिया

"मादरचोद" की गाली से "मदर डे" की बधाई से आगे तक-मेरा नज़रिया

मादर चोद यह तकिया कलाम है हमारा.

लेकिन आप फिर भी मदर-डे की बधाई लीजिये. अब आगे चलते हैं. मेरा मानना है कि भविष्य में माँ-बाप का रोल जैसा आज है वैसा बिलकुल नहीं होना चाहिए.

औलाद पैदा करने का हक़ जन्म-सिद्ध (birth राईट, पैदईशी हक़) न हो के, earned राईट होना चाहिए. आज हर किसी को हमने औलाद पैदा करने का अधिकार दे रखा है. और जितनी मर्जी औलाद पैदा करने का हक़ दे रखा है. कई बार तो साफ़ दिख रहा होता है कि यह बच्चा स्वस्थ जीवन नहीं जी पायेगा फिर भी माँ बाप की जिद्द पर उसे इस दुनिया में लाया जाता है और वो बेचारा सारी उम्र नरक भोगता रहता है. दिख रहा होता है कि पैरेंट अभी आर्थिक रूप से खुद का वज़न नहीं झेल सकते, लेकिन उनको बच्चे पैदा करने देते हैं हम. फूटपाथ पर जीवन घसीटने वाले को औलाद पैदा करने देते हैं हम.

न, न यह सब नही चलेगा आगे. अब डिटेल में सुनिए

पहली बात. आपने जैसे किसी पशु की नस्ल सुधारनी हो तो बेस्ट मेल फेमेल लिए जाते हैं. उनका संगम होता है और उनके बच्चे होते हैं. सेम हियर. स्वस्थ तीव्र-बुद्धि बच्चे होने चाहियें बस. उसके लिए हरेक को बच्चा पैदा करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती. पेरेंट्स की मेंडिकल कुंडली मिलाई जानी चाहिए, देखना चाहिए कि इनके बच्चे स्वस्थ होंगे भी नहीं। आज काफी-कुछ पता किया जा सकता है। कई मेल-फीमेल के बच्चे कभी स्वस्थ नहीं हो सकते, वो चाहे खुद स्वस्थ हों तब भी, इनसे बच्चे पैदा नहीं होने चाहिए । बहन-भाई और मा-बेटे बाप-बेटी में बच्चे नाजायज क्यों है सारी दुनिया में. चूँकि बच्चे स्वस्थ नहीं होते उनके. ठीक वैसे ही.

दूसरी बात. जब तक एक लेवल तक कमाने न लगे कोई पेरेंट्स, तब तक उनको बच्चा पैदा करने का हक़ ही नहीं होना चाहिए। कुछ तो निश्चित हो बच्चे का आर्थिक वज़न समाज पर नहीं पड़ेगा।

तीसरी बात और सबसे खतरनाक बात. वो बात जिससे बहुत लोगों की नाक को खतरा हो जायेगा अभी का अभी. . बच्चा माँ-बाप से कैसी भी सामाजिक बेड़ियाँ विरासत में नहीं लेगा। कौन सी हैं वो बेड़ियाँ? वो बेड़ियाँ हैं जिन्हें तुम हीरे-जवाहरात समझते हो. कीमती आभूषण समझते हो. वो हैं तुम्हारे संस्कार, तुम्हारा धर्म। तुम्हारा दीन-मज़हब, पंथ.

देखते हो आप एक बच्चा हिन्दू घर में पैदा हुआ तो वो हिन्दू है, सिक्ख घर में पैदा हुआ तो सिक्ख है, मुस्लिम का बीटा मुस्लिम है. देखते हैं आप?

फिर वो उसी ढंग से सोचता है सारी उम्र।

क्या समझते हो आप कि वोट देने का अधिकार बालिग़ होने पर मिलता है, इसलिए ताकि इंसान सही से सोच समझ सके. यही न. सरासर झूठ बात है यह. वोट कौन कैसे देगा, यह पैदा होते ही तय कर दिया जाता है. अरे भाई उसकी राजनितिक, सामजिक सोच तो आपने उसके पैदा होते ही तय कर दी. वोट भी वो उसी सोच से देता है. यह क्राइम है. जो माँ बाप ने किया बच्चे के खिलाफ ।

हर धर्म के लोग बकवास करते हैं कि वो ज़बरन धरम के खिलाफ हैं. कानून भी हैं कि जबरन किसी का धर्म नहीं बदला जायेगा। लेकिन कैसा लगेगा आपको यदि मैं कहूं कि हर इन्सान पर धर्म-दीन जबरन ही लादा जाता है, उसके पैदा होते ही जबरन लादा जात है. माँ दूध के साथ धर्म का ज़हर भी पिला देती है , बाप ने चेचक के टीके के साथ मज़हब का टीका भी लगवा देता है , दादा ने प्यार-प्यार में ज़ेहन में मज़हब की ख़ाज-दाद डाल देता है, नाना ने अक्ल के प्रयोग को ना-ना करना सिखा देता है, लकड़ी की काठी के घोड़े दौड़ाना तो सिखाया जाता है लेकिन अक्ल के घोड़े दौड़ाने पर रोक लगा दी जाती है.

इसके इलाज के लिए ज़रूरी है कि स्कूलों में ही रहे बच्चा बालिग़ होने तक। माँ-बाप को बस सीमित समय तक ही बच्चे से मिलने का समय दिया जाना चाहिए । या फिर माँ-बाप खुद को धर्म-मज़हब के विषाणु से मुक्त करें तभी बच्चे को अपने साथ रखें। वो भी उनका पाली-ग्राफ टेस्ट होना चाहिए बार बार। झूठ बोले तो सजा होनी चाहिए और बच्चा वापिस स्कूल में जाना चाहिए। यह मुश्किल है लेकिन कोरोना काल में आपने देखा मुश्किल फैसले भी लेने पड़े इन्सान को. धर्म-मज़हब का वायरस अगली पीढ़ी तक न जाए इसके लिए उनको पिछली पीढ़ी से बचाना ही होगा। वरना यह चैन कभी न टूटेगी।

इससे तमाम और तरह की समाजिक-वैचारिक बीमारियाँ भी छटेंगी। मेरा मानना है कि बीमारी, उम्र की सीमा (Logevity) यह सब भी समाज की सामूहिक सोच से प्रभावित होती है, तय होती है.

एक समाज जिसने सोच रखा है कि पचास साल का आदमी बूढा होता है उस समाज में पचास साल का आदमी जवान हो ही नहीं सकता। एक समाज ने सोच रखा है कि साठ साल के बाद आदमी बस मौत के करीब चला जाता है तो वहां आदमी आपको नब्बे साल-सौ साल के स्वस्थ, जवान आदमी मिल ही नहीं सकते । वहां आपको फौज सिंह, बर्नार्ड शॉ कैसे मिलेंगे, जो शतक लगाते ऐन उम्र के भी और क्रिएटिविटी के भी.

तो सिर्फ धर्म की
May 11, 202005:52
सरकार को सरक सरक सरकाता- सरकारी नौकर

सरकार को सरक सरक सरकाता- सरकारी नौकर

ये जो हर ऐरा-गैरा नत्थू-खैरा सरकारी नौकरी पाने को मरा जाता है, वो इसलिए नहीं कि उसे कोई पब्लिक की सेवा करने का कीड़ा काट गया है, वो मात्र इसलिए कि उसे पता है कि सरकारी नौकरी कोई नौकरी नहीं होती बल्कि सरकार का जवाई बनना होता है, जिसकी पब्लिक ने सारी उम्र नौकरी करनी होती है ....
May 06, 202015:27
ताला-बंदी में शराब-बंदी खत्म- सही है क्या?

ताला-बंदी में शराब-बंदी खत्म- सही है क्या?

ताला-बंदी में शराब-बंदी खत्म- सही है क्या?
पीएगा इंडिया तभी तो जीएगा इंडिया
आइये, इस सु-अवसर पर "दारू चर्चा" करें......
May 05, 202003:17
मेरी डाइट टिप्स

मेरी डाइट टिप्स

In Hindi. What to eat, what not to eat? Why to eat, why not to eat?
May 04, 202007:12
गाली देना बोल्ड होना होता है क्या?

गाली देना बोल्ड होना होता है क्या?

"बोल्ड -मतलब क्या?"

'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' फिल्म याद है? 'मादर-चोद' शब्द लंगर की तरह बंटा है फिल्म में. गालियों की भरमार है इसमें."कह के लेंगे." क्या लेंगे? मन्दिर का प्रसाद? नहीं तो फिर क्या?
वो ही जानें, जिसने यह डायलॉग लिखा.

सनी देओल की फिल्म है 'मोहल्ला अस्सी'. नेट पर मिल जाती है. इस फिल्म में एक डायलाग प्रसाद की तरह बंटता है. और वो है, "भोसड़ी के."

अरविन्द केजरीवाल को 'अरविन्द भोसड़ी-वाल' और मोदी समर्थकों को 'मोदड़ी के' लिखना गर्व का विषय माना जाने लगा है.

"सही खेल गया भैन्चोद", यह एक और मशहूर youtube चैनल BB ki Vines वाले भुवन बाम की tagline है.

AIB एक मशहूर youtube चैनल है. All India Bakchod. बस चोद लो सरे-आम.

यू-ट्यूब पर कुछ सीरीज और कुछ और वेब सीरीज इस लिए मशहूर हो रही हैं कि बनाने वाले नंगी गालियाँ दिखाने की हिमाकत कर रहे हैं.

Jolly LLB फिल्म का एक गाना है, "मेरे तो L लग गए......" बप्पी लाहिड़ी साहेब ने गाया है. L मतलब लौड़े. जब इत्ता गा दिया था, यह भी गा ही देना था.

वाह! बोल्ड होना कितना आसान, कितना सस्ता हो गया है.

अगर यही बोल्ड होना है तो यह बोल्डनेस गली के हर नुक्कड़ पर भरपूर मौजूद है. आपको एक दूजे की माँ-बहन करते लोग आम मिल जायेंगे.

शाहिद कपूर की बहुत पहले एक फिल्म थी "कमीने". अभी-अभी ताज़ा ही है एक फिल्म “हरामज़ादा”. और “फुद्दू” नाम से एक फिल्म भी आ चुकी.

एक दूजे को "चूतिया, फुद्दू" कहते हैं....जैसे मैडल बाँट रहे हों. आलिया भट्ट शाहिद कपूर को “फुद्दू” कहती है फिल्म “उड़ता पंजाब” में. और शाहिद कपूर तो अपने बाल ही इस ढंग से कटाता है कि वहां छप जाता है Fuddu, किसी को कोई शक ही न रहे.

तनिक विचार करें, असल में हम सब "चूतिया" हैं और "फुद्दू" है, सब योनि के रास्ते से ही इस पृथ्वी पर आये हैं, तो हुए न सब चूतिया, सब के सब फुद्दू.

और हमारे यहाँ तो योनि को बहुत सम्मान दिया गया है, पूजा गया है.....जो आप शिवलिंग देखते हैं न, वो शिव लिंग तो मात्र पुरुष प्रधान नज़रिए का उत्पादन है, असल में तो वह पार्वती की योनि भी है, और पूजा मात्र शिवलिंग की नहीं है, "पार्वती योनि" की भी है.

हमारे यहीं असम में कामाख्या माता का मंदिर है, जानते हैं किस का दर्शन कराया जाता है, माँ की योनि का, दिखा कर नहीं छूआ कर.

और हमारे यहाँ तो प्राणियों की अलग-अलग प्रजातियों को योनियाँ माना गया है, चौरासी लाख योनियाँ, इनमें सबसे उत्तम मनुष्य योनि मानी गयी है.....योनि मित्रवर, योनि.

और यहाँ मित्रगण ‘चूतिया-चूतिया’ कहते रहते हैं!

जीवन में जस-का-तस जो है, वो दिखाना ही बोल्ड होना यदि है, तो फिर आप और आगे बढिए स्कूलों में भी ऐसा ही सब पढ़ा दीजिये. मुंशी प्रेम चंद, भगवती चरण वर्मा, अमृता प्रीतम के लेखन की जगह माँ-बहन की इज्ज़त में चार-चाँद लगाने वाला साहित्य पढ़ायें, मिल जाएगा भरपूर. और स्कूलों में ही क्यूँ? अपने पूजा-स्थलों में भी सुनाये जाने वाले किस्से-कहानियां को इन्ही अलंकारों से सुसज्जित कर दीजिये. क्या दिक्कत?

इडियट! भूल जाते हैं कि शौच भी किया जाता है ओट में. टट्टी शब्द का अर्थ ही है पर्दा, ओट.

जीवन में बहुत कुछ ऐसा है, जो है, लेकिन अगर बदबूदार है तो हम उसे छुपा देते हैं, मंदिर में नहीं सजाते. मंदिर में अगर-बत्ती लगाई जाती है ताकि चौ-गिर्दा खुशबू से महक उठे.

तो मित्रवर, बोल्ड होने का मतलब बदलिए. एक मतलब मैं दे देता हूँ. सामाजिक मूर्खताओं से टकराइये, हो सकता हैं छित्तर पड़ें, लेकिन हिम्मत रखिये. यही बोल्डनेस है.
तथास्तु!

नोट ---- जो गालीनुमा शब्द प्रयोग किये उनको काँटा निकालने के लिए प्रयोग किया गया काँटा समझिये. अन्यथा आप मेरी किसी भी पोस्ट में शायद ही गाली या अपशब्द पायें. मैं बहुत ही शरीफ बच्चा हूँ, दाल-दाल कच्चा हूँ.

नमन...तुषार कॉस्मिक
May 02, 202003:51
"हिन्दू फल की दूकान" लिखने पर FIR -सही है क्या?

"हिन्दू फल की दूकान" लिखने पर FIR -सही है क्या?

बिहार और झारखण्ड से खबरें हैं कि फल की दुकान पर भगवा झंडे लगने पर या हिन्दू शब्द का बैनर लगाने पर FIR लिख दी गईं. चूंकि इससे समाज में शांति भंग हो सकती ही। समाज के विभीन्न हिस्सों में दुशमनी बढ़ सकती है। धार्मिक भावनाएँ आहत हो सकती हैं। और पता नहीं क्या क्या?


कमाल है भाई! धन्य हैं कंप्लेंट देने वाले और धन्य-धन्य हैं कंप्लेंट लिखने वाले. मैं हैरान हूँ सामान्य बुद्धि का इस्तेमाल भी नहीं किया गया. किसी ने झंडा लगाया अपने ठेले पे, या बैनर लगाया अपने ठेले पे या अपनी दुकान पे हिन्दू फल की दुकान लिख दिया तो उससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहात हो रही हैं या दंगा बलवा होने का खतरा है. वाह! शाबाश कल यह भी तय कर देना कि कौन से रंग की शर्ट कब पहननी है चूंकि उससे भी तो भार्मिक भावनाएं हर्ट हो सकती हैं.

यदि कोई मुस्लिम से सब्ज़ी फल नहीं नहीं ले रहा तो वो वो अफसरान से मिल रहा है, ज्ञापन दे रहा है. देखिये .....

मतलब मजबूर करोगे कि तुम से सब्ज़ी फल लिया ही जाए?

और मुस्लिम जो सिर्फ हलाल प्रोडक्ट ही प्रयोग कर रहे हैं, तो किसी जैन, किसी बौध, किसी सिक्ख ने रिपोर्ट कराई क्या कि हमारे प्रोडक्ट प्रयोग क्यों नहीं कर रहे? क्या किसी गैर-मुस्लिम ने डिमांड की कि मुस्लिम हलाल प्रोडक्ट बंद कर दें चूँकि उनके ऐसा करने से गैर-मुस्लिम भावनाएं हर्ट हो रही हैं. क्या किसी सिक्ख ने FIR करवाई कि उसकी झटका खाने वाली भावना हर्ट हो रही है? या जैन ने कहा कि चूँकि वो मांस खाने का विरोध करते हैं तो उनकी धार्मिक भावना हर्ट हो रही है?

मुस्लिम बड़े शान से हलाल सर्टिफिकेशन कर रहे हैं. आपको लगता होगा हलाल सिर्फ मीट-मुर्गे पर ल्गू होता है। गलत लगता है हलला सर्टिफिकेशन आटा, दाल, चावल चीनी पर भी होता है। हलाल सर्टिफिकेशन तो रेस्त्रौरेंट को भी दिया जा रहा है और टौरिस्म को भी और मेडिकल टौरिस्म को भी दिया जाता है । लेकिन गैर-मुस्लिम ने जरा सा सब्ज़ी-फल पर अपनी मर्ज़ी दिखानी शुरू की तो FIR करवाने लगे. यह तब है जब भारत एक गैर-मुस्लिम प्रधान मुल्क है.

Facebook के एक लेखक हैं। तबिश नाम है शायद उनका, मुझे किसी ने tag किया उनके लेख पर। वो लिखते हैं कि “मुस्लिम ढाबा” इसलिए लिखा जाता है ताकि गैर-मुस्लिम ने यदि मीट-मुर्गा नहीं खाना तो कहीं उसका धर्म भ्रष्ट न हो। वो आगे लिखते हैं कि हलाल सर्टिफिकेशन इसलिए है कि चूंकि मुस्लिम को उसकी मान्यताओं के मुताबिक product और सर्विस मिल सके। मुझे यही समझ आया उनके लेखन से। और वो हिन्दू फल की दुकान लिखने वालों को सख्त सजा देने की भी हिमायत करते हैं चूंकि यह सिर्फ नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है। उनका कहना यह था कि फल थोड़ा न हिन्दू-मुस्लिम होते हैं, जो हिन्दू फल की दुकान लिखा जा रहा है, मुझे यह तर्क बिलकुल समझ नहीं आया, जब दाल-चावल-चीनी हलाल हो सकता है तो फिर फल की दुकान पर हिन्दू क्यों नहीं लिखा जा सकता? जब मीट-मुर्गा हलाल हो सकता है, झटका हो सकता है तो फल-सब्ज़ी भी हिन्दू क्यों नहीं हो सकती? जब रेस्त्रौरेंट, होटल, टौरिस्म हलाल certified हो सकता है फल सब्जी की दुकान विश्व हिन्दू परिषद द्वारा अनुमोदित क्यों नहीं हो सकती? ठीक है मुस्लिम को अपनी मान्यताओं के हिसाब से जीने का हक है तो गैर-मुस्लिम को भी तो वो आज़ादी हासिल होनी चाहिए कि नहीं?

असल में यह सब बहस ही बचकानी है। बस चली आ रही मान्यताओं के खिलाफ खड़े होने का नतीजा है आप गली में कुत्ते की टांग तोड़ दो आप पर मुक़द्दमा हो सकता है, आप सरे आम मुर्गा कटवा लो कोई मुक़द्दमा नहीं। लेकिन कुछ मुल्कों में कुत्ते साँप भी बड़े आराम से खाये जा रहे हैं, कोई दिक्कत नहीं। हलाल चला आ रहा है तो चला आ रहा है हिन्दू फल की दुकान नया नया आया है तो घबराहट पैदा हो रही है। मैंने तो इंटरनेट पर “100% हराम” के बोर्ड भी देखे। आपको क्या चुनना है आपकी मर्ज़ी। मैं विश्व बंधुत्व और वसुधेव कुटुंबकम में यकीन रखता हूँ और इस तरह से लगे बंधे दीन-धर्मों में कोई यकीन नहीं रखता। यह सारी बहस मात्र इसलिए थी कि फिलहाल जैसा समाज है उसमें किसी के साथ भी undue भेदभाव न हो जाए, न मुस्लिम के साथ और न ही गैर- मुस्लिम के साथ ।

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Apr 30, 202004:14
(In Punjabi) Life... Health.. Illnesses...Corona

(In Punjabi) Life... Health.. Illnesses...Corona




What is Life, health, illnesses? It is discussed by me with a friend in the prospective of Corona. The talk is in Punjabi. But as Punjabi is very near to Hindi so it can be understood even by Non- Punjabi friends easily. Welcome.

Apr 29, 202013:20
भक्त कौन है?

भक्त कौन है?

भक्त गोबर-भक्त अंध-भक्त अँड-भक्त ... बहुत से शब्द है जो भाजपा को, मोदी को सपोर्ट करने वालों के खिलाफ प्रयोग होते हैं। कहा जाता है कि भक्ति-काल चल रहा है. हर हर महादेव सुना था लेकिन हर-हर मोदी, घर-घर मोदी भी सुना फिर।



भक्त मतलब जड़बुद्धि. जिसे तर्क से नहीं समझाया जा सकता. जो तर्क समझता ही नहीं.



और कौन कहता है इनको भक्त?



मुस्लिम....... तथाकथित सेक्युलर. लिबरल. विरोधी पोलिटिकल दल. और कोई भी जिसका मन करे।



गुड. वैरी गुड.



तो सज्जन और सज्जननियो। आईये खुर्दबीनी कर लें.



सबसे पहले मुस्लिम को देख लेते हैं. भाई आप से बड़ा भक्त कौन है दुनिया में? आप तो क़ुरआन, इस्लाम और मोहम्मद श्रीमान के खिलाफ कुछ सोच के, सुन के राज़ी ही नहीं होते. मार-काट हो जाती है. बवाल हो जाता है. दंगा हो जाता है. पाकिसतन में ब्लासफेमी कानून है. इस्लाम, क़ुरान, मोहम्मद श्रीमान के खिलाफ बोलने, लिखने पर मृत्यु दंड है. आप किस मुंह से यह भक्त भक्त चिल्ल पों मचाये रहते हो भाई?



और बाकी धर्म-पंथ को मानने वाले भी भक्त ही होते हैं. ज़्यादातर. कोई नहीं सुन के राज़ी अपने देवी, देवता, गुरु, ग्रंथ के खिलाफ. बचपन से दिमाग में जो जड़ दिया गया सो जड़ दिया गया. माँ ने दूध के साथ धर्म का ज़हर भी पिला दिया, बाप ने चेचक के टीके के साथ मज़हब का टीका भी लगवा दिया ? दादा ने प्यार-प्यार में ज़ेहन में मज़हब की ख़ाज-दाद डाल दी ? नाना ने अक्ल के प्रयोग को ना-ना करना सिखा दिया? बड़ों ने लकड़ी की काठी के घोड़े दौड़ाना तो सिखाया लेकिन अक्ल के घोड़े दौड़ाने पर रोक लगा दी?



अब सब भक्त हैं, सब तरफ भक्त हैं, कोई छोटा, कोई बड़ा और कोई सबसे बड़ा.



भक्त सिर्फ मोदी के ही नहीं है. भक्ति असल में खून में है लोगों के. आज तो सचिन तेंदुलकर को ही भगवान मानने लगे. अमिताभ बच्चन, रजनी कान्त और पता नहीं किस-किस के मंदिर बन चुके.

सो सवाल मोदी-भक्ति नहीं है, सवाल 'भक्ति' है. सवाल यह है कि व्यक्ति अपनी निजता को इतनी आसानी से खोने को उतावला क्यूँ है?

जवाब है कि इन्सान को आज-तक अपने पैरों पर खड़ा होना ही नहीं आया, बचपन से ही उसके पैर कुछ दशक पहले की चीन की औरतों की तरह लोहे के जूतों में बांध जो दिये।



खैर, भक्त कैसा भी हो. आज़ाद सोच खिलाफ है. और जो भी ज्ञान-विज्ञान आज तक पैदा हुआ है, वो भक्तों की वजह से पैदा नहीं हुआ है, भक्तों के बावजूद पैदा हुआ है.



भक्त होना सच में ही गलत है लेकिन दूसरों पर ऊँगली उठाने से पहले देख लीजिये चार उंगल आपकी तरफ भी उठती हैं.



राइट?



थैंक्यू.
Apr 25, 202002:36
क्या फल-सब्ज़ी विक्रेताओं से ID मांगना सही है?

क्या फल-सब्ज़ी विक्रेताओं से ID मांगना सही है?

कल से खबर तैर रही है वो यह है कि इंग्लैंड में कोई रेस्टॉरेंट था, जिसके खाने में मानव मल पाया गया और इसे खा कर कई लोग बीमार हो गए. मूल बात इस रेस्त्रां के मालिक दो मुस्लिम थे, पकड़े गए और इनको सज़ा भी मिली. मैंने देखा बीबीसी की साइट पर है. खबर पुराणी है. २०१५ की. अभी क्यों ऊपर आई. सिम्पल चूँकि भारत में कई वीडियो आए जिनमें मुस्लिम सब्ज़ी-फल पर थूकते दिख रहे हैं. कुछ विडियो सच्चे कहे जा रहे हैं, कुछ झूठे.



अब आप इस वीडियो देखें.



देखा आपने? मुस्लिम सब्ज़ी विक्रेता डेप्युटी CM को ज्ञापन दे रहे हैं कि लोग उनके मुस्लिम होने की वजह से उनसे सब्ज़ी नहीं खरीद रहे.





मैं कुछ पॉइंट रख रहा हूँ, आप सोचें, विचारें कि बात कहाँ तक सही है.



जिस ने पैसे खर्च करने है, क्या उसका कानूनी अधिकार नहीं कि वो जाने कि उसने कहाँ खर्च करने हैं कहाँ नहीं?

क्या उसका अधिकार नहीं कि वो जाने कि उसने किसे बिज़नेस देना है किसे नहीं?

क्या आपको पता नहीं होना चाहिए कि किस से डील करना है किस से नहीं?



क्या होटल में रुकने से पहले हमारी ID नहीं मांगी जाती?



मैं प्रॉपर्टी के धंधे में हूँ. किराए पर अपना घर देने से पहले मालिक सब पूछते हैं, किरायेदार जाट है, सिक्ख है, मुस्लिम है, पुलिस वाला है, वकील है कौन है? फिर तय करते हैं कि मकान दिखाना भी है कि नहीं. फिर किरायेदार की बाकायदा पुलिस वेरिफिकेशन होती है. यह बहुत पहले नहीं होता था. लेकिन जब कुछ अपराध हुए, आतंकवादी घटनाएं हुईं तो mandatory कर दिया गया.



यहाँ दिल्ली में जो सोसाइटी फ्लैट हैं, वहां हरेक को थोडा न घुसने दिया जाता है अंदर। गेट-कीपर रजिस्टर में हमारी जन्म कुंडली लिखवाता है. फोन नम्बर लिखवाता है. कौन आ रहा है अंदर। क्या गलत करता है?



तो अब अगर सब्ज़ी-फल बेचने वाले की ID माँगी जा रही है तो क्या गलत है? वो तो हिन्दू-मुस्लिम एंगल से न भी किया जाए, तो भी करना चाहिए ताकि कल यदि कोई और तरह का क्राइम हो जाए तो पूछ-ताछ करने में मदद मिले। हर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के पास रेहड़ी पटड़ी वालों का नाम पता ठिकाना होना ही चाहिए। क्या बड़ी दुर्घटना का इंतज़ार किया जायेगा?



क्या खाने की आइटम पर हरा और लाल निशान नहीं लगाया जाता ताकि खाने वाले को पता रहे कि खाना वेज है या नहीं? क्या दुनिया भर में हलाल का निशान खाने पर नहीं होता?



क्या मुस्लिम ऐसा मीट खा लेगा जो हलाल न हो? झटका मीट खा लेगा क्या मुस्लिम? नहीं खायेगा। तो जब वो झटका खाने से इनकार करता है तो क्या हम यह कहें कि वो नफरत फैला रहा है? तो गैर-मुस्लिम को भी हक़ नहीं कि वो तय कर सके कि उसे किससे फल-सब्ज़ी-मीट-भोजन खरीदना है नहीं खरीदना? यह नफरत फैलाना कैसे हो सकता है?



जैसे मांस न खाने वालों के लिए पैक्ड आइटम पर हरा गोल चिन्ह लगा होता है ऐसे ही जिनको हलाल आइटम न प्रयोग करना हो तो उनके लिए भी कोई निशान होना चाहिए, जिससे पता लगे कि आइटम हलाल नहीं है. इसके लिए तमाम गैर-मुस्लिम समाज को मिल कर प्रयास करना चाहिए



मैं नहीं कह रहा कि आप किस से सब्ज़ी लें न लें. किसे किराए पर घर दें न दें. कौन सी आइटम खाएं न खाएं. वो सब आपका अपना फैसला होना चाहिए. मैं बस आइडेंटिफिकेशन हो न हो इस पर विचार पेश कर रहा हूँ.



बाकी आप मुद्दे के तमाम पहलु कानूनी, सामाजिक, व्यवहारिक पहलु सोचें, विचारें. कमेंट करें, अगर विडियो पसंद आया तो LIKE करें और शेयर करें, अपनी व्यक्तिगत राय के साथ शेयर करें. और मेरा प्रयास है कि हर विडियो में कुछ विचार करने के लिए दिया जाए.
Apr 23, 202003:48
Hindi "वो" कौन है?

Hindi "वो" कौन है?

"वो"

वो शून्य है
अब है तो फिर शून्य कैसे
और शून्य तो फिर है कैसे

लेकिन वो दोनों
कबीर समझायें तो उलटबांसी हो जाए
गोरख समझायें तो गोरख धंधा हो जाए

वो निराकार है
और साकार भी

साकार में निराकार
और निराकार में साकार

वो प्रभु
वो स्वयम्भु

वो कर्ता और कृति भी
वो नृत्य और नर्तकी भी

वो अभिनय और अभिनेता भी
वो तुम भी
और वो मैं भी
बस वो ...वो ...वो ...वो
"वो"
Apr 20, 202001:07
धर्म क्या है? मेरा नज़रिया.

धर्म क्या है? मेरा नज़रिया.

:: धर्म क्या है :::


धर्म का हिन्दू-मुसलमान से क्या मतलब? धर्म का ईशान-सुलेमान से क्या मतलब?
धर्म का कुरआन -पुराण से क्या मतलब?

धर्म है विज्ञान ...
धर्म है प्रेम.....
धर्म है नृत्य.....
धर्म है गायन .....
धर्म है नदी का बहना....
धर्म है बादल का टिप टिप बरसना...
धर्म है पहाड़ों का झर-झर झरना....
धर्म है बच्चों का हँसना......
धर्म है बछिया का टापना.....
धर्म है प्रेम-रत युगल......
धर्म है चिड़िया का कलरव......

धर्म है खुद की खुदाईधर्म है खुद की सिंचाई
धर्म है दूसरे का सुख दुःख समझना.....
धर्म है दूसरे में खुद को समझना.... धर्म है कुदरत से संवाद
धर्म है कायनात को धन्यवाद...

धर्म का मोहम्मद से, राम से क्या मतलब?
धर्म का मुर्दा इमारतों, मुर्दा बुतों से क्या मतलब?

धर्म है अभी....
धर्म है यहीं....
धर्म है ज़िंदा होना...
धर्म है सच में जिंदा होना....

धर्म का हिन्दू-मुसलमान से क्या मतलब? धर्म का ईशान-सुलेमान से क्या मतलब?
धर्म का कुरआन-पुराण से क्या मतलब?

नमस्कार
Apr 19, 202001:30
Hindi Podcast कोरोना- करुणा अवतार-3

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कोरोना से मानव को भविष्य के लिए क्या सीखना चाहिए?
Apr 16, 202006:40
होली पर दिया गया मेरा UnHoly मैसेज

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क्या सच में होली गले मिलने का त्यौहार है? अगर सच में ऐसा है तो फिर इंसान इक दूजे के गले कैसे काट देता है? सुनिए और सोचिए...
Apr 16, 202011:16
दो लहरों की टक्कर

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एक तरफ वैज्ञानिक सोच है एक तरफ मंदिर-मस्जिद के गिर्द घूमती सोच। फर्क समझिए और फैसला कीजिये।
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Hindi-Corona Lockdown and Poor

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Corona virus has given birth to Empathy. How? Listen the podcast..
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March 14, 2020

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Mar 14, 202000:36
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This is Hindi talk describing Humanity's only solution. Critical Thinking. How? Just listen.
Mar 14, 202013:05