मंत्र उच्चारण Mantra Pronunciation
By अनिल शेखर
मंत्र उच्चारण Mantra PronunciationJun 05, 2022
शिव गायत्री मंत्र का उच्चारण
शुक्र ग्रह मंत्र का उच्चारण
श्री राम जानकी गायत्री मंत्र का उच्चारण
सूर्य गायत्री मंत्र का उच्चारण
रूद्र गायत्री मंत्र का उच्चारण
हनुमान गायत्री मंत्र का उच्चारण
शनि माला मंत्र का उच्चारण
मातंगी गायत्री मंत्र का उच्चारण
शनि देव के मंत्र का उच्चारण
विष्णु गायत्री मंत्र का उच्चारण
मंगल ग्रह मंत्र का उच्चारण
भुवनेश्वरी गायत्री मंत्र का उच्चारण
महालक्ष्मी गायत्री मंत्र का उच्चारण
नृसिंह गायत्री मंत्र का उच्चारण
बगलामुखी गायत्री मंत्र का उच्चारण
बुध ग्रह मंत्र का उच्चारण
धूमावती गायत्री मंत्र का उच्चारण
त्रिपुर भैरवी गायत्री मंत्र का उच्चारण
त्रिपुर सुन्दरी गायत्री मंत्र का उच्चारण
श्री निखिलेश्वरानंद कवचम
छिन्नमस्ता गायत्री मंत्र का उच्चारण
तारा गायत्री मंत्र का उच्चारण
दत्त हृदय स्तोत्रम का उच्चारण
गुरु गायत्री मंत्र का उच्चारण
चंद्र ग्रह मंत्र का उच्चारण
गणेश गायत्री मंत्र का उच्चारण
गुरु ग्रह मंत्र का उच्चारण
गौरी गायत्री मंत्र का उच्चारण
कार्तिकेय गायत्री मंत्र का उच्चारण
कृष्ण गोपाल गायत्री मंत्र का उच्चारण
काली गायत्री मंत्र का उच्चारण
कर्पूर गौरम का उच्चारण
गायत्री मंत्र द्वारा 108 देवी देवता पूजन
श्री दुर्गा आपदुद्धारक स्तोत्र
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र
श्री शिव मानस पूजन
नीलकंठ महादेव स्तोत्र
सहश्रक्षरी लक्ष्मी स्तोत्र
सर्प सूक्त
चौंसठ योगिनी पूजन
गोपनीय महामृत्युंजय मंत्र
कल्याण वृष्टि स्तव
कल्याणवृष्टिभिरिवामृतपूरिताभि-
र्लक्ष्मीस्वयंवरणमङ्गलदीपिकाभिः ।
सेवाभिरम्ब तव पादसरोजमूले
नाकारि किं मनसि भाग्यवतां जनानाम् ॥ १॥
एतावदेव जननि स्पृहणीयमास्ते
त्वद्वन्दनेषु सलिलस्थगिते च नेत्रे ।
सान्निध्यमुद्यदरुणायुतसोदरस्य
त्वद्विग्रहस्य परया सुधयाप्लुतस्य ॥ २॥
ईशात्वनामकलुषाः कति वा न सन्ति
ब्रह्मादयः प्रतिभवं प्रलयाभिभूताः ।
एकः स एव जननि स्थिरसिद्धिरास्ते
यः पादयोस्तव सकृत्प्रणतिं करोति ॥ ३॥
लब्ध्वा सकृत्त्रिपुरसुन्दरि तावकीनं
कारुण्यकन्दलितकान्तिभरं कटाक्षम् ।
कन्दर्पकोटिसुभगास्त्वयि भक्तिभाजः
संमोहयन्ति तरुणीर्भुवनत्रयेऽपि ॥ ४॥
ह्रींकारमेव तव नाम गृणन्ति वेदा
मातस्त्रिकोणनिलये त्रिपुरे त्रिनेत्रे ।
त्वत्संस्मृतौ यमभटाभिभवं विहाय
दीव्यन्ति नन्दनवने सह लोकपालैः ॥ ५॥
हन्तुः पुरामधिगलं परिपीयमानः
क्रूरः कथं न भविता गरलस्यवेगः ।
नाश्वासनाय यदि मातरिदं तवार्धं
देवस्य शश्वदमृताप्लुतशीतलस्य ॥ ६॥
सर्वज्ञतां सदसि वाक्पटुतां प्रसूते
देवि त्वदङ्घ्रिसरसीरुहयोः प्रणामः ।
किं च स्फुरन्मुकुटमुज्ज्वलमातपत्रं
द्वे चामरे च महतीं वसुधां ददाति ॥ ७॥
कल्पद्रुमैरभिमतप्रतिपादनेषु
कारुण्यवारिधिभिरम्ब भवत्कटाक्षैः ।
आलोकय त्रिपुरसुन्दरि मामनाथं
त्वय्येव भक्तिभरितं त्वयि बद्धतृष्णम् ॥ ८॥
हन्तेतरेष्वपि मनांसि निधाय चान्ये
भक्तिं वहन्ति किल पामरदैवतेषु ।
त्वामेव देवि मनसा समनुस्मरामि
त्वामेव नौमि शरणं जननि त्वमेव ॥ ९॥
लक्ष्येषु सत्स्वपि कटाक्षनिरीक्षणाना-
मालोकय त्रिपुरसुन्दरि मां कदाचित् ।
नूनं मया तु सदृशः करुणैकपात्रं
जातो जनिष्यति जनो न च जायते वा ॥ १०॥
ह्रींह्रीमिति प्रतिदिनं जपतां तवाख्यां
किं नाम दुर्लभमिहत्रिपुराधिवासे ।
मालाकिरीटमदवारणमाननीया
तान्सेवते वसुमती स्वयमेव लक्ष्मीः ॥ ११॥
सम्पत्कराणि सकलेन्द्रियनन्दनानि
साम्राज्यदाननिरतानि सरोरुहाक्षि ।
त्वद्वन्दनानि दुरिताहरणोद्यतानि
मामेव मातरनिशं कलयन्तु नान्यम् ॥ १२॥
कल्पोपसंहृतिषु कल्पितताण्डवस्य
देवस्य खण्डपरशोः परभैरवस्य ।
पाशाङ्कुशैक्षवशरासनपुष्पबाणा
सा साक्षिणी विजयते तव मूर्तिरेका ॥ १३॥
लग्नं सदा भवतु मातरिदं तवार्धं
तेजः परं बहुलकुङ्कुम पङ्कशोणम् ।
भास्वत्किरीटममृतांशुकलावतंसं
मध्ये त्रिकोणनिलयं परमामृतार्द्रम् ॥ १४॥
ह्रींकारमेव तव नाम तदेव रूपं
त्वन्नाम दुर्लभमिह त्रिपुरे गृणन्ति ।
त्वत्तेजसा परिणतं वियदादिभूतं
सौख्यं तनोति सरसीरुहसम्भवादेः ॥ १५॥
ह्रींकारत्रयसम्पुटेन महता मन्त्रेण सन्दीपितं
स्तोत्रं यः प्रतिवासरं तव पुरो मातर्जपेन्मन्त्रवित् ।
तस्य क्षोणिभुजो भवन्ति वशगा लक्ष्मीश्चिरस्थायिनी
वाणी निर्मलसूक्तिभारभरिता जागर्ति दीर्घं वयः ॥ १६॥
इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य
श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य
श्रीमच्छङ्करभगवतः कृतौ
कल्याणवृष्टिस्तवः सम्पूर्णः ॥
श्री सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का उच्चारण
श्री सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे !!
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट स्वाहा !! इति मंत्र: !!
नमस्ते रुद्ररुपिण्ये नमस्ते मधुमर्दिनि !
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि !! १!!
नमस्ते शुभहंत्र्यै च निशुंभासुरघातिनि !!२!!
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे !
ऐंकारी सृष्टिरुपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका !! ३!!
क्लींकारी कामरुपिण्यै बीजरुपे नमोस्तुते !
चामुंडा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनि !! ४!!
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररुपिणि !! ५!!
धां धीं धूं धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी !
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु !! ६!!
हुं हुं हुंकाररुपिण्यै जं जं जं जंभनादिनी !
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नम: !! ७ !!
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा !!
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा !! ८ !!
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धीं कुरुष्व मे !!
श्री भगवान दत्तात्रेय अष्टोत्तर शतनाम का उच्चारण
श्री भगवान दत्तात्रेय अष्टोत्तर शतनाम
01) ॐ अनसूयासुताय नम:
02) ॐ दत्ताय नम:
03) ॐ अत्रिपुत्राय नम:
04) ॐ महामुनये नम:
05) ॐ योगींद्राय नम:
06) ॐ पुण्यपुरुषाय नम:
07) ॐ देवेशाय नम:
08) ॐ जगदीश्वराय नम:
09) ॐ परमात्मने नम:
10) ॐ परस्मै ब्रह्मणे नम:
11) ॐ सदानंदाय नम:
12) ॐ जगद्गुरवे नम:
13) ॐ नित्यतृप्ताय नम:
14) ॐ निर्विकाराय नम:
15) ॐ निर्विकल्पाय नम:
16) ॐ निरंजनाय नम:
17) ॐ गुणात्मकाय नम:
18) ॐ गुणातीताय नम:
19) ॐ ब्रह्मविष्णुशिवात्मकाय नम:
20) ॐ नानारुपधराय नम:
21) ॐ नित्याय नम:
22) ॐ शांताय नम:
23) ॐ दांताय नम:
24) ॐ कृपानिधये नम:
25) ॐ भक्तिप्रियाय नम:
26) ॐ भवहराय नम:
27) ॐ भगवते नम:
28) ॐ भवनाशाय नम:
29) ॐ आदिदेवाय नम:
30) ॐ महादेवाय नम:
31) ॐ सर्वेशाय नम:
32) ॐ भुवनेश्वराय नम:
33) ॐ वेदांतवेद्याय नम:
34) ॐ वरदाय नम:
35) ॐ विश्वरुपाय नम:
36) ॐ अव्ययाय नम:
37) ॐ हरये नम:
38) ॐ सच्चिदानंदाय नम:
39) ॐ सर्वेशाय नम:
40) ॐ योगीशाय नम:
41) ॐ भक्तवत्सलाय नम:
42) ॐ दिगंबराय नम:
43) ॐ दिव्यमूर्तये नम:
44) ॐ दिव्यविभूतिविभूषणाय नम:
45) ॐ अनादिसिद्धाय नम:
46) ॐ सुलभाय नम:
47) ॐ भक्तवांछितदायकाय नम:
48) ॐ एकाय नम:
49) ॐ अनेकाय नम:
50) ॐ अद्वितियाय नम:
51) ॐ निगमागमपंडिताय नम:
52) ॐ भुक्तिमुक्तिप्रदात्रे नम:
53) ॐ कार्तवीर्यवरप्रदाय नम:
54) ॐ शाश्वतांगाय नम:
55) ॐ विशुद्धात्मने नम:
56) ॐ विश्वात्मने नम:
57) ॐ विश्वतोमुखाय नम:
58) ॐ सर्वेश्वराय नम:
59) ॐ सदातुष्टाय नम:
60) ॐ सर्वमंगलदायकाय नम:
61) ॐ निष्कलंकाय नम:
62) ॐ निराभासाय नम:
63) ॐ निर्विकल्पाय नम:
64) ॐ निराश्रयाय नम:
65) ॐ पुरुषोत्तमाय नम:
66) ॐ लोकनाथाय नम:
67) ॐ पुराणपुरुषाय नम:
68) ॐ अनघाय नम:
69) ॐ अपारमहिम्ने नम:
70) ॐ अनंताय नम:
71) ॐ आद्यंतरहिताकृतये नम:
72) ॐ संसारवनदानाग्नये नम:
73) ॐ भवसागरतारकाय नम:
74) ॐ श्रीनिवासाय नम:
75) ॐ विशालाक्षाय नम:
76) ॐ क्षीराब्धिशयनाय नम:
77) ॐ अच्युताय नम:
78) ॐ सर्वपापक्षयकराय नम:
79) ॐ तापत्रयनिवारणाय नम:
80) ॐ लोकेशाय नम:
81) ॐ सर्वभूतेशाय नम:
82) ॐ व्यापकाय नम:
83) ॐ करुणामयाय नम:
84) ॐ ब्रह्मादिवंदितपदाय नम:
85) ॐ मुनिवंद्याय नम:
86) ॐ स्तुतिप्रियाय नम:
87) ॐ नामरुपक्रियातीताय नम:
88) ॐ नि:स्पृहाय नम:
89) ॐ निर्मलात्मकाय नम:
90) ॐ मायाधीशाय नम:
91) ॐ महात्मने नम:
92) ॐ महादेवाय नम:
93) ॐ महेश्वराय नम:
94) ॐ व्याघ्रचर्मांबरधराय नम:
95) ॐ नागकुंडलभूषणाय नम:
96) ॐ सर्वज्ञाय नम:
97) ॐ करुणासिंधवे नम:
98) ॐ सर्पहाराय नम:
99) ॐ सदाशिवाय नम:
100) ॐ सह्याद्रिवासाय नम:
101) ॐ सर्वात्मने नम:
102) ॐ भवबंधविमोचनाय नम:
103) ॐ विश्वंभराय नम:
104) ॐ विश्वनाथाय नम:
105) ॐ जगन्नाथाय नम:
106) ॐ जगत्प्रभवे नम:
107) ॐ योगज्ञाय नम:
108) ॐ द्रां बीजरुपाय नम: